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ऋषिकेश में छात्रा का रेप करने वाला युवक दोषी करार, कोर्ट ने सुनाई 10 साल की कारावास की सजा - देहरादून युवक को सजा

Minor Girl Rape Case in Rishikesh आखिरकार पॉक्सो कोर्ट की स्पेशल जज अर्चना सागर की अदालत ने छात्रा का रेप करने वाले युवक को सजा सुना दी है. अदालत ने युवक को दोषी मानते हुए 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. इसके अलावा 20 हजार रुपए का अर्थदंड भी भरना होगा.

Court Sentenced Youth to 10 Years Imprisonmen
मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी देहरादून
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 22, 2024, 2:18 PM IST

देहरादून: नाबालिग छात्रा का रेप करने वाले दोषी को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है. साथ ही उस पर 20 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है. यह सजा पॉक्सो कोर्ट की स्पेशल जज अर्चना सागर की अदालत में सुनाई गई. दोषी ने साल 2021 घर से स्कूल के लिए निकली छात्रा को दोषी बहला फुसलाकर ले गया था. जिसके बाद उसकी अस्मत लूटी थी.

दरअसल, ऋषिकेश निवासी पीड़िता के पिता ने 8 मार्च 2021 को ऋषिकेश कोतवाली में एक शिकायत दर्ज कराई थी. जिसमें उन्होंने बताया था कि 6 मार्च को उनकी 16 वर्षीय बेटी जो कि 11वीं की छात्रा है, सुबह घर से स्कूल के लिए निकली थी, लेकिन स्कूल की छुट्टी होने के बाद घर नहीं लौटी. परिजनों ने अपनी बेटी की काफी तलाश की, उसकी कोई जानकारी नहीं मिली. इसके बाद परिजनों ने ऋषिकेश कोतवाली में गुमशुदगी दर्ज कराई. गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होने पर पुलिस ने छात्रा की तलाश शुरू की.

वहीं, पुलिस की जांच में पता चला कि ऋषिकेश के श्यामपुर क्षेत्र का सुमित पैन्यूली छात्रा को अपने साथ ले गया है. जिस पर 12 मार्च को पुलिस ने आरोपी सुमित पैन्यूली को उसके घर से गिरफ्तार किया. जबकि, किशोरी को भी बरामद कर लिया था. पुलिस ने जब छात्रा का मेडिकल कराया तो उसमें दुष्कर्म की पुष्टि हुई. जिस पर पुलिस ने मामले में आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म और पॉक्सो की धाराएं जोड़कर 27 मार्च 2021 को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की.

कोर्ट में ट्रायल के दौरान छात्रा ने बताया कि फेसबुक के जरिए सुमित से संपर्क हुआ था. जिसमें छात्रा ने खुद को बालिग बताया और लगातार उससे बातचीत और मुलाकात करने की बात भी कही. उस दौरान किशोरी ने दुष्कर्म से इंकार किया, लेकिन कोर्ट ने किशोरी के बयान को गलत मानते हुए शैक्षिक दस्तावेजों की आधार पर उसे नाबालिग माना और सुमित पैन्यूली को दोषी करार दिया.

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता कल्पना थापा ने बताया कि पॉक्सो अदालत में जज ने दोनों पक्षों को सुनते हुए साक्ष्य के आधार पर आरोपी को दोषी पाया है. साथ ही 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. इसके अलावा 20 हजार रुपए का अर्थदंड भी भुगतना होगा. वहीं, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को आदेश के प्रति भेज कर पीड़िता को राज्य सरकार से एक लाख रुपए बतौर प्रतिकर दिलाने का आदेश भी दिया गया है.

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देहरादून: नाबालिग छात्रा का रेप करने वाले दोषी को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है. साथ ही उस पर 20 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है. यह सजा पॉक्सो कोर्ट की स्पेशल जज अर्चना सागर की अदालत में सुनाई गई. दोषी ने साल 2021 घर से स्कूल के लिए निकली छात्रा को दोषी बहला फुसलाकर ले गया था. जिसके बाद उसकी अस्मत लूटी थी.

दरअसल, ऋषिकेश निवासी पीड़िता के पिता ने 8 मार्च 2021 को ऋषिकेश कोतवाली में एक शिकायत दर्ज कराई थी. जिसमें उन्होंने बताया था कि 6 मार्च को उनकी 16 वर्षीय बेटी जो कि 11वीं की छात्रा है, सुबह घर से स्कूल के लिए निकली थी, लेकिन स्कूल की छुट्टी होने के बाद घर नहीं लौटी. परिजनों ने अपनी बेटी की काफी तलाश की, उसकी कोई जानकारी नहीं मिली. इसके बाद परिजनों ने ऋषिकेश कोतवाली में गुमशुदगी दर्ज कराई. गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होने पर पुलिस ने छात्रा की तलाश शुरू की.

वहीं, पुलिस की जांच में पता चला कि ऋषिकेश के श्यामपुर क्षेत्र का सुमित पैन्यूली छात्रा को अपने साथ ले गया है. जिस पर 12 मार्च को पुलिस ने आरोपी सुमित पैन्यूली को उसके घर से गिरफ्तार किया. जबकि, किशोरी को भी बरामद कर लिया था. पुलिस ने जब छात्रा का मेडिकल कराया तो उसमें दुष्कर्म की पुष्टि हुई. जिस पर पुलिस ने मामले में आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म और पॉक्सो की धाराएं जोड़कर 27 मार्च 2021 को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की.

कोर्ट में ट्रायल के दौरान छात्रा ने बताया कि फेसबुक के जरिए सुमित से संपर्क हुआ था. जिसमें छात्रा ने खुद को बालिग बताया और लगातार उससे बातचीत और मुलाकात करने की बात भी कही. उस दौरान किशोरी ने दुष्कर्म से इंकार किया, लेकिन कोर्ट ने किशोरी के बयान को गलत मानते हुए शैक्षिक दस्तावेजों की आधार पर उसे नाबालिग माना और सुमित पैन्यूली को दोषी करार दिया.

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता कल्पना थापा ने बताया कि पॉक्सो अदालत में जज ने दोनों पक्षों को सुनते हुए साक्ष्य के आधार पर आरोपी को दोषी पाया है. साथ ही 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. इसके अलावा 20 हजार रुपए का अर्थदंड भी भुगतना होगा. वहीं, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को आदेश के प्रति भेज कर पीड़िता को राज्य सरकार से एक लाख रुपए बतौर प्रतिकर दिलाने का आदेश भी दिया गया है.

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