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सरकारी अधिवक्ताओं की तैयारी और बहस से हाईकोर्ट संतुष्ट, पहले पारित किया था सख्त आदेश

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (High Court Lucknow Bench) ने सरकारी अधिवक्ताओं की तैयारी और बहस से संतुष्टता जाहिर की है. इसके पहले कोर्ट ने सख्त आदेश पारित किया था.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 29, 2024, 10:54 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा है कि वह अब सरकारी अधिवक्ताओं की मुकदमों में तैयारी और बहस से संतुष्ट है. न्यायालय ने संतोष जाहिर करते हुए कहा कि सभी स्थायी अधिवक्तागण अब पूरी तैयारी से आ रहे हैं और उनके पास सरकार से पर्याप्त दिशा निर्देश भी रहते हैं. इसके साथ ही न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि किसी सरकारी अधिवक्ता के खिलाफ कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है.

यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने दिलीप कुमार दुबे और मंगला की ओर से अलग-अलग दाखिल दो रिट याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान पारित किया. दरअसल न्यायालय ने 8 जनवरी को आदेश पारित करते हुए कहा था कि राज्य सरकार द्वारा तैनात किए गए स्थायी अधिवक्ताओं की ओर से कानूनी पहलुओं पर बहस के दौरान कोर्ट को उनसे उचित सहयोग नहीं मिल पा रहा है. न्यायालय ने इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा था कि कई बार कहने के बावजूद हालात में सुधार नहीं दिख रहा. इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता. न्यायालय ने महाधिवक्ता और प्रमुख सचिव विधि/विधि परामर्शी को आदेश भी दिया था कि वे दो सप्ताह में बताएं कि इस स्थिति को सुधारने के लिए क्या किया जा रहा है.

न्यायालय के उक्त आदेश के अनुपालन में प्रमुख सचिव, न्याय ने अपना हलफनामा दाखिल कर कहा कि सरकार की ओर से गत 12 जनवरी को मामले में उचित कदम उठाए गए हैं और आगे से कोर्ट के बहस में स्थायी अधिवक्ताओं से पूरा सहयोग मिलेगा. न्यायालय ने प्रमुख सचिव, न्याय के हलफनामे पर संतुष्टि जताई और कहा कि उक्त आठ जनवरी के आदेश के बाद कोर्ट को सभी स्थायी अधिवक्ताओं से पूरा सहयोग मिल रहा है और किसी भी स्थायी अधिवक्ता के खिलाफ कार्यवाही की आवश्यकता नहीं है.

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा है कि वह अब सरकारी अधिवक्ताओं की मुकदमों में तैयारी और बहस से संतुष्ट है. न्यायालय ने संतोष जाहिर करते हुए कहा कि सभी स्थायी अधिवक्तागण अब पूरी तैयारी से आ रहे हैं और उनके पास सरकार से पर्याप्त दिशा निर्देश भी रहते हैं. इसके साथ ही न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि किसी सरकारी अधिवक्ता के खिलाफ कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है.

यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने दिलीप कुमार दुबे और मंगला की ओर से अलग-अलग दाखिल दो रिट याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान पारित किया. दरअसल न्यायालय ने 8 जनवरी को आदेश पारित करते हुए कहा था कि राज्य सरकार द्वारा तैनात किए गए स्थायी अधिवक्ताओं की ओर से कानूनी पहलुओं पर बहस के दौरान कोर्ट को उनसे उचित सहयोग नहीं मिल पा रहा है. न्यायालय ने इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा था कि कई बार कहने के बावजूद हालात में सुधार नहीं दिख रहा. इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता. न्यायालय ने महाधिवक्ता और प्रमुख सचिव विधि/विधि परामर्शी को आदेश भी दिया था कि वे दो सप्ताह में बताएं कि इस स्थिति को सुधारने के लिए क्या किया जा रहा है.

न्यायालय के उक्त आदेश के अनुपालन में प्रमुख सचिव, न्याय ने अपना हलफनामा दाखिल कर कहा कि सरकार की ओर से गत 12 जनवरी को मामले में उचित कदम उठाए गए हैं और आगे से कोर्ट के बहस में स्थायी अधिवक्ताओं से पूरा सहयोग मिलेगा. न्यायालय ने प्रमुख सचिव, न्याय के हलफनामे पर संतुष्टि जताई और कहा कि उक्त आठ जनवरी के आदेश के बाद कोर्ट को सभी स्थायी अधिवक्ताओं से पूरा सहयोग मिल रहा है और किसी भी स्थायी अधिवक्ता के खिलाफ कार्यवाही की आवश्यकता नहीं है.

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