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भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा करोड़ों रुपए का स्विमिंग पूल, अधिकारी और जनप्रतिनिधि ने साधी चुप्पी, जांच की मांग तेज - Manendragarh Chirmiri Bharatpur

मनेद्रगढ़ के स्विमिंग पूल निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं. स्विमिंग पूल का निर्माण आठ साल पहले शुरु किया गया था, जो आज तक पूरा क्या आधा भी नहीं बन सका है. सरकार से 1 करोड़ 61 लाख रुपए राशि मनेंद्रगढ़ नगर पालिका परिषद को मिली, जो कहां गया कुछ पता नहीं. मनेंद्रगढ़ के कोई भी अधिकारी और जनप्रतिनिधि इस संबंध में कुछ भी बोलने से बच रहें हैं. इसलिए स्विमिंग पूल निर्माण में भारी भ्रष्टाचार होने की आशंका जताई जा रही है. इसकी जांच करने की मांग अब जनता उठा रही है.

MANENDRAGARH CHIRMIRI BHARATPUR
स्विमिंग पूल निर्माण में भ्रष्टाचार (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 11, 2024, 7:08 PM IST

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : जिले के मनेद्रगढ़ में स्विमिंग पूल निर्माण में घोटाला सामने आ रहा है. यहां स्विमिंग पूल निर्माण पिछले 8 सालों से अधूरा पड़ा हुआ है, जो अब खंडहर में तब्दील हो रहा है. स्विमिंग निर्माण के लिए जारी 1.61 करोड़ रुपए का क्या हुआ, इसकी भी कोई खबर नहीं है. जिस वजह से अधूरा स्विमिंग पूल निर्माण में जनता की आंख के सामने भ्रष्टाचार होने का अंदेशा हो रहा है.

1.61 करोड़ खर्च करने के बाद भी स्विमिंग पूल अधूरा : मनेन्द्रगढ़ नगर पालिका परिषद ने 13 साल पहले सरकार से शहर में स्विमिंग पूल निर्माण करने की मांग की. इसको लेकर कई पत्राचार हुए और सरकार से पैसे मिलने के बाद स्विमिंग पूल का काम शुरू हुआ. लेकिन अब तक 8 साल बीत जाने के बाद भी 1.61 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी स्विमिंग पूल का निर्माण पूरा नहीं किया जा सका है. जबकि इतने ही पैसे में स्विमिंग पूल का निर्माण पूरा करना था. साफ है कि जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों और अफसरों ने स्विमिंग पूल निर्माण में लापरवाही बरती है.

"सरकार से जो राशि स्विमिंग पूल निर्माण के लिए मिली थी, यदि स्विमिंग पूल नहीं बना है तो सवाल उठता है कि उसके लिए मिली राशि कहां गई ? इससे स्विमिंग पूल निर्माण में भ्रष्टाचार किए जाने की संभावना नजर आ रही है. इसकी जांच होनी चाहिए." - दिनेश्वर मिश्रा, स्थानीय निवासी

दोषी अधिकारियों नहीं हो रही कार्रवाई : मनेंद्रगढ़ में स्विमिंग पूल का निर्माण पिछले 8 सालों से अधूरा पड़ा हुआ है. यह अधूरा निर्माण अब खंडहर हो रहा है, लेकिन दोषी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ न तो कोई कार्रवाई हुई है और न ही इस दिशा में कोई पहल की जा रही है. इस बीच आम जनता खुद को ठगा महसूस कर रही है. क्योंकि सरकार ने जब स्विमिंग पूल निर्माण के लिए रुपए जारी किए तो लोगों को लगा की बड़े शहरों की तरह उनके नगर में भी स्विमिंग पूल होगा, लेकिन उनकी इस उम्मीदों पर पानी फिर गया है.

"स्विमिंग पूल निर्माण के लिए 2 करोड़ के लगभग राशि मिली थी. जिसके बाद स्विमिंग पूल के निर्माण में किसी प्रकार की कोई रूचि नहीं ली गई, पैसे का बंदरबाट किया गया. मुझे ऐसा लगता है स्विमिंग पूल निर्माण में भारी भ्रष्टाचार हुआ है. इसकी जांच होनी चाहिए, संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए." - सतीश उपाध्याय, स्थानीय निवासी

"शासन से मिले रुपए का दुरुपयोग किया गया" : 2011-12 में मनेंद्रगढ़ नगर पालिका परिषद के तात्कालिक अध्यक्ष रहे धर्मेंद्र पटवा ने कहा, "शहर के युवा पहले नदी में तैरने जाते थे. उनकी एक मांग थी कि शहर में एक स्विमिंग पूल होना चाहिए. उनकी मांग पर मैंने स्विमिंग पूल निर्माण के लिए छत्तीसगढ़ शासन को पत्र लिखा. सरकार से मंजूरी मिलते ही मनेंद्रगढ़ नगर पालिका परिषद को स्विमिंग पूल निर्माण के लिए दो किश्तों में कुल 1 करोड़ 61 लाख रुपए मिले."

"मेरे पद में रहते तक स्विमिंग पूल का काम शुरु किया गया और टंकी बनी, चेंजिंग रूम बनाया. उसके बाद से अब तक एक ईंट नहीं जोड़ा गया और निर्माण सामग्री पड़ी रह गई. जो सामान नहीं लगा है, उसके लिए रुपए जारी किए गए. देखा जाए तो शासन से मिले रुपए का दुरुपयोग किया गया है." - धर्मेंद्र पटवा, पूर्व अध्यक्ष, मनेंद्रगढ़ नगर पालिका परिषद

अभी फंड नहीं मिला, इसलिए काम रूका : इस संबंध में मनेंद्रगढ़ नगर पालिका परिषद की वर्तमान अध्यक्ष प्रभा पटेल ने कहा, "जब हमने इनक्वायरी किया कि स्वीमिंग पूल की स्थिति क्या है, उसके काम को आगे बढ़ाना है, तो मुझे पता चला है कि स्वीमिंग पूल की फाइल जांच के लिए गई है. क्योंकि स्वीमिंग पूल की शुरुआत हुई थी पटवा जी के टाइम पर, उसके बाद राजू केसरवानी अध्यक्ष बने. हमने एसडीएम से संपर्क किया कि वे डांच का निराकरण कर हमें दे दें तो हम आगे स्वीमिंग पूल को बनाएं. वह फाइल जब हमारे पास आई तो हमने शासन के पास फंड की मांग के लिए प्रस्ताव भेजा. अभी फंड नहीं मिला है, इसलिए स्वीमिंग पूल का काम रूका हुआ है."

दो किश्तों में कुल 1 करोड़ 61 लाख मिले : स्विमिंग पूल निर्माण के लिए दो किश्त में 1 करोड़ 61 लाख रुपए मिले थे. पहली बार में 1.11 करोड़ रुपये मिले. इसके बाद 2012-13 में 50 लाख रुपए मिले. कुल 1 करोड़ 61 लाख 65 हजार रुपए की राशि स्विमिंग पूल के नाम से मिली. लेकिन आज तक स्विमिंग पूल निर्माण नहीं हो सका है. इस संबंध में जिला प्रशासन से लेकर नगर पालिका परिषद मनेंद्रगढ़ के कोई भी अधिकारी और जनप्रतिनिधि कुछ भी बोलने से बच रहें हैं. इसलिए इसमें भारी भ्रष्टाचार किए जाने की आशंका है.

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1.61 करोड़ खर्च करने के बाद भी स्विमिंग पूल अधूरा : मनेन्द्रगढ़ नगर पालिका परिषद ने 13 साल पहले सरकार से शहर में स्विमिंग पूल निर्माण करने की मांग की. इसको लेकर कई पत्राचार हुए और सरकार से पैसे मिलने के बाद स्विमिंग पूल का काम शुरू हुआ. लेकिन अब तक 8 साल बीत जाने के बाद भी 1.61 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी स्विमिंग पूल का निर्माण पूरा नहीं किया जा सका है. जबकि इतने ही पैसे में स्विमिंग पूल का निर्माण पूरा करना था. साफ है कि जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों और अफसरों ने स्विमिंग पूल निर्माण में लापरवाही बरती है.

"सरकार से जो राशि स्विमिंग पूल निर्माण के लिए मिली थी, यदि स्विमिंग पूल नहीं बना है तो सवाल उठता है कि उसके लिए मिली राशि कहां गई ? इससे स्विमिंग पूल निर्माण में भ्रष्टाचार किए जाने की संभावना नजर आ रही है. इसकी जांच होनी चाहिए." - दिनेश्वर मिश्रा, स्थानीय निवासी

दोषी अधिकारियों नहीं हो रही कार्रवाई : मनेंद्रगढ़ में स्विमिंग पूल का निर्माण पिछले 8 सालों से अधूरा पड़ा हुआ है. यह अधूरा निर्माण अब खंडहर हो रहा है, लेकिन दोषी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ न तो कोई कार्रवाई हुई है और न ही इस दिशा में कोई पहल की जा रही है. इस बीच आम जनता खुद को ठगा महसूस कर रही है. क्योंकि सरकार ने जब स्विमिंग पूल निर्माण के लिए रुपए जारी किए तो लोगों को लगा की बड़े शहरों की तरह उनके नगर में भी स्विमिंग पूल होगा, लेकिन उनकी इस उम्मीदों पर पानी फिर गया है.

"स्विमिंग पूल निर्माण के लिए 2 करोड़ के लगभग राशि मिली थी. जिसके बाद स्विमिंग पूल के निर्माण में किसी प्रकार की कोई रूचि नहीं ली गई, पैसे का बंदरबाट किया गया. मुझे ऐसा लगता है स्विमिंग पूल निर्माण में भारी भ्रष्टाचार हुआ है. इसकी जांच होनी चाहिए, संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए." - सतीश उपाध्याय, स्थानीय निवासी

"शासन से मिले रुपए का दुरुपयोग किया गया" : 2011-12 में मनेंद्रगढ़ नगर पालिका परिषद के तात्कालिक अध्यक्ष रहे धर्मेंद्र पटवा ने कहा, "शहर के युवा पहले नदी में तैरने जाते थे. उनकी एक मांग थी कि शहर में एक स्विमिंग पूल होना चाहिए. उनकी मांग पर मैंने स्विमिंग पूल निर्माण के लिए छत्तीसगढ़ शासन को पत्र लिखा. सरकार से मंजूरी मिलते ही मनेंद्रगढ़ नगर पालिका परिषद को स्विमिंग पूल निर्माण के लिए दो किश्तों में कुल 1 करोड़ 61 लाख रुपए मिले."

"मेरे पद में रहते तक स्विमिंग पूल का काम शुरु किया गया और टंकी बनी, चेंजिंग रूम बनाया. उसके बाद से अब तक एक ईंट नहीं जोड़ा गया और निर्माण सामग्री पड़ी रह गई. जो सामान नहीं लगा है, उसके लिए रुपए जारी किए गए. देखा जाए तो शासन से मिले रुपए का दुरुपयोग किया गया है." - धर्मेंद्र पटवा, पूर्व अध्यक्ष, मनेंद्रगढ़ नगर पालिका परिषद

अभी फंड नहीं मिला, इसलिए काम रूका : इस संबंध में मनेंद्रगढ़ नगर पालिका परिषद की वर्तमान अध्यक्ष प्रभा पटेल ने कहा, "जब हमने इनक्वायरी किया कि स्वीमिंग पूल की स्थिति क्या है, उसके काम को आगे बढ़ाना है, तो मुझे पता चला है कि स्वीमिंग पूल की फाइल जांच के लिए गई है. क्योंकि स्वीमिंग पूल की शुरुआत हुई थी पटवा जी के टाइम पर, उसके बाद राजू केसरवानी अध्यक्ष बने. हमने एसडीएम से संपर्क किया कि वे डांच का निराकरण कर हमें दे दें तो हम आगे स्वीमिंग पूल को बनाएं. वह फाइल जब हमारे पास आई तो हमने शासन के पास फंड की मांग के लिए प्रस्ताव भेजा. अभी फंड नहीं मिला है, इसलिए स्वीमिंग पूल का काम रूका हुआ है."

दो किश्तों में कुल 1 करोड़ 61 लाख मिले : स्विमिंग पूल निर्माण के लिए दो किश्त में 1 करोड़ 61 लाख रुपए मिले थे. पहली बार में 1.11 करोड़ रुपये मिले. इसके बाद 2012-13 में 50 लाख रुपए मिले. कुल 1 करोड़ 61 लाख 65 हजार रुपए की राशि स्विमिंग पूल के नाम से मिली. लेकिन आज तक स्विमिंग पूल निर्माण नहीं हो सका है. इस संबंध में जिला प्रशासन से लेकर नगर पालिका परिषद मनेंद्रगढ़ के कोई भी अधिकारी और जनप्रतिनिधि कुछ भी बोलने से बच रहें हैं. इसलिए इसमें भारी भ्रष्टाचार किए जाने की आशंका है.

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