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सूरजकुंड मेले में कॉपर से बनी डोरबेल और झूमर बने आकर्षण का केंद्र, गुजरात के कलाकार ने लगाई स्टॉल

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 18, 2024, 2:27 PM IST

Surajkund Fair Faridabad: अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में कॉपर से बने सामान की स्टॉल दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी है. जानें क्या है इस स्टॉल की खासियत और किस तरह के सामान इस स्टॉल पर मिल रहे हैं.

Surajkund Fair Faridabad
Surajkund Fair Faridabad
सूरजकुंड मेले में कॉपर से बनी डोरबेल और झूमर बने आकर्षण का केंद्र,

फरीदाबाद: 37वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में कॉपर से बने सामान की स्टॉल दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी है. इस स्टॉल पर कॉपर से बनाई गई घंटियां और विंड चाइम लोगों को खूब पसंद आ रही हैं. स्टॉल संचालक असगर ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि 12वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद से ही वो इस कला को सीखने में जुट गए थे. उन्होंने अपने पिता से सीखा कि कॉपर की घंटियां कैसे बनाई जाती है.

सूरजकुंड मेले में कॉपर से बने सामान की स्टॉल: करीब 200 साल पुरानी पुश्तैनी कला को सीखने के बाद उन्होंने कॉपर से बनी घंटियां और विंड चाइम बनाना शुरू की. अब उन्होंने इसकी स्टॉल सूरजकुंड मेले में लगाई है. उनके बने सामान लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं. असगर ने बताया कि ये कला अब उनके बच्चे भी सीख रहे हैं. वो अपने इस पुश्तैनी काम को आगे बढ़ाना चाहते हैं.

दर्शकों को पसंद आ रही कॉपर की बनी डोरबेल: एनआईटी, निफ्ट आदी नेशनल और इंटरनेशनल ग्रुप्स से भी असगर लोहार का जुड़ाव है. जहां ये लर्निंग और ट्रेनिंग सेशन आयोजित करते रहते हैं. असगर गुजरात के कच्छ के रहने वाले हैं. जहां उन्होंने कॉपर से घंटी बनाने के लिए कारखाना लगाया हुआ है. असगर के मुताबिक उस कारखाने की मदद से वो 25 से 30 परिवारों का भरण पोषण कर रहे हैं. असगर ने बताया कि पहले वो भैंस के गले में बांधने वाली घंटी बनाते थे, लेकिन अब वो डोर बेल और विंड चाइम भी बना रहे. उनका सामान लोगों को खूब पसंद आ रहा है. कॉपर के बने झूमर भी लोगों को खूब भा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- सूरजकुंड मेले में बिहार की बुजुर्ग महिला ने बिखेरे कलाकारी के रंग, जानें मिथिला शैली की एक पेंटिंग से कितना कमाती हैं शांति देवी

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सूरजकुंड मेले में कॉपर से बनी डोरबेल और झूमर बने आकर्षण का केंद्र,

फरीदाबाद: 37वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में कॉपर से बने सामान की स्टॉल दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी है. इस स्टॉल पर कॉपर से बनाई गई घंटियां और विंड चाइम लोगों को खूब पसंद आ रही हैं. स्टॉल संचालक असगर ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि 12वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद से ही वो इस कला को सीखने में जुट गए थे. उन्होंने अपने पिता से सीखा कि कॉपर की घंटियां कैसे बनाई जाती है.

सूरजकुंड मेले में कॉपर से बने सामान की स्टॉल: करीब 200 साल पुरानी पुश्तैनी कला को सीखने के बाद उन्होंने कॉपर से बनी घंटियां और विंड चाइम बनाना शुरू की. अब उन्होंने इसकी स्टॉल सूरजकुंड मेले में लगाई है. उनके बने सामान लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं. असगर ने बताया कि ये कला अब उनके बच्चे भी सीख रहे हैं. वो अपने इस पुश्तैनी काम को आगे बढ़ाना चाहते हैं.

दर्शकों को पसंद आ रही कॉपर की बनी डोरबेल: एनआईटी, निफ्ट आदी नेशनल और इंटरनेशनल ग्रुप्स से भी असगर लोहार का जुड़ाव है. जहां ये लर्निंग और ट्रेनिंग सेशन आयोजित करते रहते हैं. असगर गुजरात के कच्छ के रहने वाले हैं. जहां उन्होंने कॉपर से घंटी बनाने के लिए कारखाना लगाया हुआ है. असगर के मुताबिक उस कारखाने की मदद से वो 25 से 30 परिवारों का भरण पोषण कर रहे हैं. असगर ने बताया कि पहले वो भैंस के गले में बांधने वाली घंटी बनाते थे, लेकिन अब वो डोर बेल और विंड चाइम भी बना रहे. उनका सामान लोगों को खूब पसंद आ रहा है. कॉपर के बने झूमर भी लोगों को खूब भा रहे हैं.

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