जयपुर : राजस्थान सरकार के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर अपने बयानों की वजह से 2024 में लगातार सुर्खियों में रहे. उनकी कई टिप्पणियां, जिनमें आदिवासियों के डीएनए जांच से लेकर महिला शिक्षकों के पहनावे तक शामिल हैं, प्रदेश में बड़े विवादों का कारण बनीं. उन्होंने न सिर्फ विपक्षी दल कांग्रेस को निशाने पर लिया, बल्कि अपनी ही पार्टी और विभाग के भीतर भी कई बार आलोचना का सामना किया. यह कहा जा सकता है कि मदन दिलावर ने शिक्षा मंत्री के तौर पर ज्यादा काम अपनी बयानों से किया, बजाय विभाग में सुधार की दिशा में कुछ ठोस नवाचार करने के.
आदिवासियों के डीएनए जांच का बयान : 2024 में मदन दिलावर का आदिवासियों के डीएनए परीक्षण के संदर्भ में दिया गया बयान सबसे ज्यादा विवादित रहा. सांसद राजकुमार रोत के आदिवासियों को हिंदू नहीं मानने के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए दिलावर ने कहा था, "हम उनके पूर्वजों से पूछ सकते हैं, वंशावली लिखने वालों से जानकारी ले सकते हैं और उनकी डीएनए जांच भी करवा सकते हैं." इस बयान से जबरदस्त बवाल मचा और विपक्षी दलों ने दिलावर को आड़े हाथों लिया.
हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद मदन दिलावर ने सार्वजनिक रूप से अपनी बात स्पष्ट की. उन्होंने कहा, "हिंदुस्तान में रहने वाले सभी लोग हिंदू हैं, आदिवासी भी हिंदू हैं, हिंदू थे और हिंदू रहेंगे. कुछ राष्ट्रद्रोही ताकतें आदिवासी और हिंदू के बीच बंटवारा करने की कोशिश कर रही हैं." इस मामले में उनकी सफाई के बावजूद, उनके बयान को लेकर विवाद लगातार बढ़ता गया और प्रदेश में राजनीतिक तापमान गरम हो गया.
महिला शिक्षकों के पहनावे पर सवाल : नीमकाथाना में एक कार्यक्रम के दौरान शिक्षा मंत्री ने महिला शिक्षकों के पहनावे पर सवाल उठाते हुए कहा था, "कई बहनें अच्छे कपड़े नहीं पहनतीं और पूरा शरीर दिखाकर स्कूल जाती हैं. यह बच्चों पर अच्छा संस्कार नहीं डालता." उनका यह बयान भी बड़ा विवादित साबित हुआ, खासकर महिला शिक्षक संगठनों के बीच. हालांकि बाद में उन्होंने इसे लेकर सफाई दी और कहा कि उनका उद्देश्य यह था कि शिक्षकों को बच्चों के सामने ऐसे कपड़े पहनने चाहिए, जिनसे कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े.
कांग्रेस पर हमला : जोधपुर में सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान मदन दिलावर ने कहा था कि कोई कांग्रेसी कहता है कि वो हिंदू है और हिंदू हिंसक नहीं होता तो उसमें अगर थोड़ी सी भी इंसानियत बची है. हिंदू और देश के प्रति थोड़ा सम्मान उसके मन में है, तो भाजपा में आए या ना आए, लेकिन उसे कांग्रेस तुरंत छोड़ देनी चाहिए, क्योंकि कांग्रेस हिंदू विरोधी पार्टी है, जो हिंदू को हिंसक बताती है.
राहुल पर तंज : मदन दिलावर ने 2024 में कांग्रेस पार्टी के खिलाफ भी तीखे हमले किए. उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा था कि राहुल गांधी "दुर्भाग्यवश एक विदेशी महिला के पेट से जन्मे हैं और उनका भारत से कोई संबंध नहीं है." उनका यह बयान भी कांग्रेस के नेताओं के बीच खलबली मचाने का कारण बना.
पाठ्यक्रम में बदलाव और विवाद : मदन दिलावर ने कई बार पाठ्यक्रम में बदलाव की बात की. उन्होंने अकबर को "बलात्कारी" और "मीना बाजार चलने वाला" बताया और कहा कि अकबर की तुलना महाराणा प्रताप से नहीं की जानी चाहिए. उनके मुताबिक, अकबर को महान कहने वाले मूर्ख हैं. इसके साथ ही उन्होंने यह भी इशारा किया कि पाठ्यक्रम में बदलाव कर महाराणा प्रताप, शिवाजी और वीर सावरकर जैसे नायकों को पढ़ाया जाए.
महिला अपराधों पर कड़ा रुख : राजस्थान में बढ़ते महिला अपराधों के मुद्दे पर मदन दिलावर ने सख्त बयान दिया था. उन्होंने कहा था, "रेप और छेड़छाड़ करने वालों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा. उनकी संपत्ति चिह्नित कर बुलडोजर चलाया जाएगा." यह बयान भी काफी तीव्र प्रतिक्रिया का कारण बना, क्योंकि इसमें कानून और व्यवस्था के पारंपरिक तरीके से अलग, सख्त सजा की बात की गई थी.
योजना नाम बदला : शिक्षा विभाग से जुड़ी मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना का नाम बदलकर पन्नाधाय बाल गोपाल योजना किया गया. इसे लेकर शिक्षा मंत्री ने कहा था कि नाम परिवर्तन करने से बहुत परिवर्तन होता है, एक तो राक्षस रखो और एक राम रखो. बहुत अंतर पड़ता है.
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हीटवेव को लेकर बयान : प्रदेश में अमृत पर्यावरण महोत्सव कार्यक्रम की शुरुआत करने के दौरान दिलावर ने हीट वेव का प्रकोप कांग्रेस के कुकर्मों का परिणाम बताया था. साथ ही उन्होंने गहलोत और डोटासरा को कटघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया था कि उन्होंने पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलवाई है.
शिक्षकों की कार्यशैली पर कड़ी नजर : शिक्षकों के कार्यदिवस के दौरान मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर रोक लगाने का आदेश भी मदन दिलावर ने दिया था, जो लंबे समय तक चर्चा का विषय बना. इसके अलावा, पूजा और नमाज के लिए बाहर जाने पर भी उन्होंने प्रतिबंध लगाया. यह आदेश शिक्षकों के संगठनों के लिए विवाद का कारण बना और कई शिक्षक संगठनों ने इसका विरोध किया.
कोटा में छात्र आत्महत्या पर बयान : कोटा में छात्रों की आत्महत्याओं को लेकर भी शिक्षा मंत्री का एक बयान विवादों में आया. उन्होंने इसे पढ़ाई के दबाव, माता-पिता के दबाव और व्यक्तिगत जीवन की असफलताओं से जोड़ा और कहा कि "जब छात्र संगत में असफल होते हैं या प्रेम में नाकाम रहते हैं, तो वे आत्महत्या कर लेते हैं." इस बयान पर भी उनकी आलोचना की गई, क्योंकि इसे मानसिक स्वास्थ्य और छात्रों के भावनात्मक दबाव से संबंधित संवेदनशील मुद्दे को हल्के तौर पर उठाया गया था.
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राजनीतिक वार और आपसी आरोप : मदन दिलावर ने कांग्रेस के नेताओं, खासकर पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा पर भी कई बार हमला किया. उन्होंने कहा था कि डोटासरा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को "खाना जितना है, अभी खा लें, बाद में जेल में गिनती की रोटियां मिलेंगी और चक्की भी पिसनी पड़ेगी." उनका यह बयान राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को एक नया मोड़ देने वाला था.
बढ़ी फीस को लेकर तंज : प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अर्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षाओं को जिला समान प्रश्न पत्र योजना के तहत आयोजित करने से बढ़े शुल्क को लेकर शिक्षा मंत्री ने कहा था कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के यहां पैसे का पेड़ नहीं लगा हुआ. 40 रुपए का तो आधे दिन में लोग गुटखा खा जाते हैं, जिसको ये पैसा ज्यादा लगता है वो अपना गुटखा छोड़ देगा, तो इसी से ही काम बन जाएगा.
अजमेर दरगाह विवाद पर भी बोले : मदन दिलावर ने अजमेर दरगाह विवाद पर भी टिप्पणी की थी. उन्होंने यह कहा था कि देश के अधिकांश मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाई गई और मुग़ल शासकों, जैसे बाबर और औरंगजेब, ने मंदिरों पर मस्जिदें बनवाई थीं. उनका यह बयान भी धर्मनिरपेक्षता और भारतीय इतिहास की सांप्रदायिक धारा पर सवाल उठाने वाला था.
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2025 की चुनौतियां : हालांकि अब शिक्षा मंत्री मदन दिलावर 2024 के तमाम विवादित बयानों पर कुछ भी कहने से बचते दिखे. हालांकि, आदिवासियों के डीएनए वाले बयान को लेकर उन्होंने ये जरूर कहा कि उसमें उनका कोई दुर्भाव नहीं था, सद्भाव था. बहरहाल, साल 2024 बीत गया है और अब सामने 2025 है. एक तरफ पाठ्यक्रम को रिवाइस करने की प्रक्रिया चल रही है, वहीं सामने रीट पात्रता परीक्षा जैसे चैलेंज भी हैं, जिस पर शिक्षा मंत्री और उनका विभाग कितना खरा उतरता है, ये देखने वाली बात होगी.