लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में 500 से ज्यादा ऐसे संविदा कर्मचारी हैं जिन्हें यात्रियों को बेटिकट यात्रा कराने, दुर्व्यवहार करने या फिर अन्य किसी गलती के चलते नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, उन्हें आर्बिट्रेशन में अपना पक्ष रखने का भी मौका नहीं मिला. अब ऐसे सभी संविदा कर्मचारियों को परिवहन निगम की तरफ से आर्बिट्रेशन के सामने अपना जवाब देने का अवसर प्रदान किया जा रहा है.
रुपईडीहा डिपो के चालक-परिचालकों की संविदा समाप्ति के बाद उठे विरोध के स्वर से परिवहन निगम प्रशासन ने यह फैसला लिया है. मंगलवार से रुपईडीहा डिपो के ड्राइवर कंडक्टर को आर्बिट्रेशन के सामने अपना पक्ष रखने का मौका दिया जा रहा है. ऐसे ही उत्तर प्रदेश के 20 परिक्षेत्रों के ऐसे डिपो जिनमें संविदा चालक-परिचालकों की नौकरी के मामले हैं तो आर्बिट्रेशन के सामने उन्हें भी अपना जवाब प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा. जो दोषी नहीं पाए जाएंगे उनकी नौकरी फिर से बहाल हो सकती है.
पिछले दिनों एक ऐसा मामला सामने आया था जब लखनऊ से रुपईडीहा जा रही एक रोडवेज बस बीच रास्ते पंक्चर हो गई थी. इसके बाद जब ड्राइवर कंडक्टर बस लेकर मैकेनिक के पास पहुंचे तो बस का ट्यूब भी खराब निकला. इसके बाद मैकेनिक ने बस बनाने के लिए ₹1100 की डिमांड की. चालक-परिचालक ने डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक और फोरमैन को फोन किया और ₹1100 भेजने की बात कही लेकिन अधिकारियों ने मना कर दिया.
इसके बाद यात्रियों ने आपस में चंदा जुटाया और बस का पहिया दुरुस्त कराया. इसका वीडियो वायरल हो गया. परिवहन निगम के अफसरों को यह हरकत नागवार गुजरी और एक झटके में ही संविदा ड्राइवर कंडक्टर को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. इसके बाद परिवहन निगम प्रशासन के इस कदम का विरोध शुरू हो गया. चालक परिचालक का ट्रैक रिकॉर्ड चेक किया गया तो पिछले 15 सालों से उनका रिकॉर्ड हर तरह से बेहतर पाया गया. अधिकारियों को भी एहसास हो गया कि जल्दबाजी में उनसे गलत फैसला हो गया है. अब इन दोनों ड्राइवर कंडक्टरों के साथ ही प्रदेश भर में 500 से ज्यादा संविदा चालक परिचालकों को आर्बिट्रेशन समिति में अपनी नौकरी की बहाली के लिए सुनवाई का अवसर मिलेगा.
उपनगरीय डिपो के एआरएम ने भी एक झटके में खा ली नौकरी : कुछ माह पहले केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की तरफ से चालकों के लिए लाए गए सख्त कानूनों का विरोध किया जा रहा था. इसके चलते रोडवेज के तमाम चालकों ने रूट पर बस ले जाने से मना कर दिया. रोडवेज इंप्लाइज यूनियन के शाखा अध्यक्ष प्रदीप पांडेय चारबाग बस स्टेशन पर अपनी यूनियन के सदस्यों को यह समझा रहे थे कि रोड पर बस लेकर तभी जाएं जब अधिकारी सुरक्षा देने की बात करें, क्योंकि रास्ते में ड्राइवर कंडक्टरों से लोग मारपीट कर रहे हैं.
अधिकारियों ने प्रदीप का यह कहते हुए वीडियो बना लिया और इसी को साक्ष्य मानकर डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक जगदीश प्रसाद ने संविदा चालक प्रदीप कुमार पांडेय की संविदा समाप्त कर दी. प्रदीप को आर्बिट्रेशन समिति के सामने पक्ष रखने का अवसर तक नहीं मिला. अब चालक प्रदीप न्यायालय की शरण में गए हैं. ये एक उदाहरण है कि किस तरह अधिकारी साजिश के तहत एक झटके में संविदा कर्मियों की नौकरी से खिलवाड़ कर रहे हैं.
नए सिरे से होती है बहाली, नियमों पर सवाल : आर्बिट्रेशन समिति ने अगर किसी संविदा कर्मचारी के पक्ष में फैसला किया तो उसका लाभ कर्मचारी को यही मिलता है कि उसकी बहाली हो जाती है, लेकिन नौकरी चाहे कितने साल पुरानी क्यूं न हो उसे शुरुआत फिर से नए सिरे से करनी पड़ती है. कर्मचारियों को उसका सीधा नुकसान ये होता है कि अगर पुराने संविदा कर्मियों के नियमितीकरण की बात आती है तो उसका पुराना रिकॉर्ड ही नहीं रह जाता है और फिक्स वेतन या फिर नियमितीकरण के लाभ से खुद ब खुद वंचित हो जाएगा. संविदा कर्मी की कोई गलती नहीं भी निकलती है तो भी उसे नौकरी की बहाली के बाद सिक्योरिटी मनी के रूप में फिर से 10 हजार रुपए जमा करने होते हैं. सवाल यही है कि जब संविदा कर्मी के जवाब से समिति सहमत होती है तभी बहाली करती है तो फिर उसे नए सिरे से नौकरी में क्यों लिया जाता है? उससे सिक्योरिटी मनी फिर से जमा करने का क्या मतलब?
क्या कहते हैं यूपीएसआरटीसी के प्रवक्ता : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक व प्रवक्ता अजीत सिंह का कहना है कि रुपईडीहा के चालक-परिचालक को मंगलवार से आर्बिट्रेशन के सामने अपना पक्ष रखने का अवसर प्रदान किया जा रहा है. प्रदेश भर में 500 से ज्यादा ऐसे संविदाकर्मी हैं जिनके बेटिकट के मामले हैं या फिर मिसबिहेव के मामले हैं उन्हें भी आर्बिट्रेशन के सामने अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा. अगर उनके तर्कों से समिति सहमत होगी तो उनकी नौकरी की बहाली का रास्ता साफ हो जाएगा.
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