पटना : सोमवार को वीरचंद पटेल पथ पर बीजेपी दफ्तर के बाहर सैकड़ों की तादाद में राज्य भर से आई संविदा कर्मी एएनएम ने स्वास्थ्य विभाग की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किया. विभिन्न जिलों से आई एएनएम ने कहा कि वह लोग ग्रामीण सुदूर क्षेत्रों में काम करती है, जहां नेटवर्क समस्या रहती है. उन लोगों के लिए फेस अटेंडेंस सिस्टम लगा दिया गया है. वहीं जो सरकारी एएनएम हैं और अस्पताल के अन्य कर्मी हैं उनके लिए फेस अटेंडेंस लागू नहीं है. इसके अलावा उन लोगों से काम भी अधिक लिया जाता है और वेतन कम दिया जाता है.
पटना में संविदा कर्मियों का हल्ला बोल : संविदा कर्मी एएनएम संघ की संयोजक और पूर्वी चंपारण जिले से आई हुई अर्चना कुमारी ने बताया कि उन लोगों के लिए फेस रिकॉग्निशन सिस्टम अटेंडेंस के लिए लगा दिया गया है. वह चाहती हैं कि एफआरएस सिस्टम खत्म हो. इसके अलावा समान काम के बदले समान वेतन चाहती हैं.
''स्वास्थ्य विभाग में सिर्फ आउटसोर्सिंग पर कार्यरत एएनएम के अटेंडेंस के लिए फेस रिकॉग्निशन सिस्टम लगाया गया है. बाकी लोगों को छूट है जबकि उन लोगों को गांव के सुदूर क्षेत्रों में जाना होता है जहां नेटवर्क समस्या रहती है. उनके लिए यह संभव नहीं है. जो सरकारी एएनएम है उन्हें लगभग 45000 रुपए महीना मिलता है और उन जो संविदा पर हैं उन्हें महज लगभग ₹13000 महीना मिलता है.''- अर्चना कुमारी, संयोजक, संविदा कर्मी एएनएम संघ
'असमानता के खिलाफ लड़ाई' : बिहटा से आई हुई एएनएम प्रियंका कुमारी ने बताया कि वह लोग एक समान काम करते हैं इसके अलावा सरकारी एएनएम की तुलना में वह लोग अधिक काम करती हैं क्योंकि वह लोग तकनीक का इस्तेमाल अच्छे से जानती हैं. बावजूद इसके दोनों के वेतन में भारी असमानता है. यह नहीं आउटसोर्सिंग कार्यरत लोगों का वेतन भी तीन-तीन महीना लंबित रहता है. अभी भी 3 महीने का वेतन बैकलॉग में है जो नहीं मिला है.
''फेस अटेंडेंस सिस्टम को खत्म करने की मांग को लेकर पिछले 62 दिनों से वह लोग हड़ताल पर हैं लेकिन कोई सुन नहीं रहा है. आज हमलोग बीजेपी दफ्तर में स्वास्थ्य मंत्री से मिलने के लिए आए हुए हैं लेकिन यहां मिलने नहीं दिया जा रहा है.''- प्रियंका कुमारी, बिहटा से आई एएनएम
'अधिकारियों को परवाह नहीं' : रोहतास से आई हुई एएनएम सुमन कुमारी ने बताया कि वह लोग भी चाहती हैं कि क्षेत्र में ड्यूटी करें, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में जब वह फील्ड में ड्यूटी में जाती हैं तो नेटवर्क समस्या करती है. आंगनबाड़ी से लेकर डाटा ऑपरेटर तक का काम उन लोगों से लिया जाता है. फेस अटेंडेंस बनाने में नेटवर्क समस्या बनती है और अस्पताल की दूसरे कर्मियों के लिए और डॉक्टर के लिए फेस अटेंडेंस नहीं है. 2 महीने से हड़ताल पर हैं और अपनी मांगों को लेकर बार-बार वहां अधिकारियों से मिली है लेकिन किसी ने कोई सुध नहीं ली है.
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