नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने ओल्ड राजेंद्र नगर में 60 साल पुराने पीपल के पेड़ की जड़ों के पास सीमेंटीकरण रोकने में नाकाम रहने पर दिल्ली नगर निगम के कमिश्नर और उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के उप वन संरक्षक को नोटिस जारी किया है. बुधवार को जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने अधिकारियों से पूछा है कि आपके खिलाफ कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर क्यों नहीं अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए.
दिल्ली और उसके आसपास पेड़ों की दयनीय हालत पर चिंता जताते हुए हाईकोर्ट ने दिल्ली नगर निगम और मुख्य वन संरक्षक को निर्देश दिया कि वे पेड़ों की जड़ों के पास सीमेंटीकरण को रोकने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं? इसे लेकर दो हफ्ते में हलफनामा दाखिल करें. कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया ये साफ है कि दिल्ली नगर निगम और उत्तर पश्चिमी दिल्ली के उप वन संरक्षक कोर्ट की अवमानना के दोषी हैं. कोर्ट के आदेशों के अनुपालन के लिए दिल्ली नगर निगम और वन विभाग के वरिष्ठ अफसर जिम्मेदार हैं.
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दरअसल, हाईकोर्ट ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में एक पीपल के पेड़ की जड़ के पास सीमेंटीकरण के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है. याचिका में संबंधित पीपल के पेड़ की जड़ के पास सीमेंटीकरण के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कोर्ट की अवमानना के तहत कार्रवाई करने की मांग की गई है. कहा गया है कि पीपल का पेड़ 60 साल पुराना है और उसकी जड़े इसलिए कमजोर हो गई हैं क्योंकि उसकी जड़ के पास सीमेंटीकरण कर दिया गया है.
इससे पीपल का पेड़ झुक गया है और उसके आसपास के घरों पर गिरने का खतरा है. याचिका में कहा गया है कि पीपल के पेड़ की जड़ों से सीमेंट हटाने की बजाय अधिकारियों ने उसकी शाखाओं और पत्तों को काटकर हटा दिया. याचिकाकर्ता ने पीपल के पेड़ की फोटो भी हाईकोर्ट को दिखाए.
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