प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा कि न्यायालय कानून जानता है, तथ्य नहीं. इसलिए न्यायालय की अंतर्निहित शक्ति का इस्तेमाल करने के लिए अनुच्छेद 226 में सभी तथ्यों का खुलासा करते हुए स्वच्छ हृदय से याचिका दाखिल करनी चाहिए.
कोर्ट ने कहा याची तथ्यों को लेकर हाइड एंड सीक या पिक एंड चूज की नीति अपनाकर न्यायालय को गुमराह नहीं कर सकता. याची ने जानते हुए आधे अधूरे तथ्यों के साथ कोर्ट को गुमराह करने के लिए याचिका दाखिल की है. कोर्ट ने मेरिट पर सुने बिना याचिका को खारिज कर दिया और याची लेक्चरर हेमंत कुमार को अवमानना नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई की जाए. कोर्ट ने याची हेमंत कुमार को स्पष्टीकरण के साथ 4 नवंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने एसबीजे इंटर कॉलेज बिसवार हाथरस के लेक्चरर हेमंत कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. याचिका में प्रधानाचार्य का वेतनमान तय कर एक नवंबर 2019 से भुगतान करने की मांग की गई थी. कॉलेज के प्रधानाचार्य देवराज सिंह को गबन व अनियमितता के आरोप में निलंबित कर दिया गया. जिला विद्यालय निरीक्षक ने इसका अनुमोदन भी कर दिया और प्रधानाचार्य को बर्खास्त कर दिया गया.
माध्यमिक शिक्षा परिषद ने इस आदेश को अनुमोदित करने से इनकार कर दिया. इसके खिलाफ प्रबंध समिति की याचिका पर हाईकोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया. इन सभी तथ्यों की याची व उसके अधिवक्ता को पूरी जानकारी थी. अधिवक्ता प्रबंध समिति के एक मामले में भी वकील थे. फिर भी तथ्य छिपाकर याचिका की. देशराज सिंह प्रधानाचार्य हैं और याची लेक्चरर. कोर्ट ने कहा कि याची ने तथ्य की जानकारी के बावजूद न्यायालय को गुमराह करने के लिए याचिका की जबकि याचिका तथ्य के खुलासे के साथ दाखिल की जानी चाहिए.
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