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खराब लैपटॉप का रिफंड देने में लगाया डेढ़ साल का समय, उपभोक्ता अदालत ने अमेजॉन पर लगाया इतने का जुर्माना - Consumer court fines Amazon

Consumer court fines Amazon: उपभोक्ता अदालत में अक्सर ऐसे मामले सामने आते हैं, जिनमें कंपनियों की लापरवाही, उपभोक्ता के लिए परेशानी का सबब बन चुकी होती है. हाल ही में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें रिफंड देने में देर करने के चलते कंज्यूमर कोर्ट ने ई-कॉमर्स साइट अमेजॉन पर जुर्माना लगाया है. पढ़ें पूरी खबर..

Consumer court fines Amazon
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 27, 2024, 4:04 PM IST

नई दिल्ली: ई-कॉमर्स साइट अमेजॉन को एक उपभोक्ता को खराब लैपटॉप की डिलीवरी करना एवं उसके रिफंड को वापस करने में करीब डेढ़ साल का समय लगाना भारी पड़ गया. कोर्ट ने कंपनी पर इसके लिए 35 हजार रुपये जुर्माना और 10 हजार रुपये वादी को मुकदमे के खर्च के रूप में देने का आदेश दिया. न्यायमूर्ति एसएस मल्होत्रा की अध्यक्षता वाले आयोग ने अन्य सदस्यों रश्मि बंसल और रवि कुमार की सहमति से मामले को सेवा में कमी माना.

दरअसल, मामला पूर्वी जिले के जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में पहुंचे एक मुकदमे के बाद प्रकाश में आया. मामले के आयोग में पहुंचने के बाद जब आयोग के सामने सबूत पेश किए गए, तो आयोग ने पाया कि ई-कॉमर्स साइट के पास उपभोक्ता की शिकायत को त्वरित रूप से निवारण करने के लिए एक उचित निगरानी तंत्र नहीं है. साथ ही उसके पास अपने पक्ष में सिर्फ अपने लाभ के लिए काम आने वाली शर्तें हैं.

कोर्ट ने अमेजॉन को ग्राहकों को एक ठोस और पारदर्शी शिकायत निवारण तंत्र विकसित करने का भी निर्देश दिया. उपभोक्ता ने आयोग में दर्ज कराई गई शिकायत में बताया कि उसने अमेजॉन सेलर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से आसुस कंपनी का एक लैपटॉप आर्डर किया था, जिसकी कीमत 77,990 रुपये थी. यह लैपटॉप अपारियो रिटेल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बेचा गया था. मामला बृजेश कुमार और अनिल कुमार द्वारा आयोग के समक्ष उठाया गया.

यह भी पढ़ें-आपराधिक जांच निष्पक्ष और प्रभावी दोनों होनी चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

बताया गया कि कंपनी द्वारा उन्हें बिक्री का पैसा वापस कर दिया गया था. लेकिन, इसमें बहुत लंबा समय लगाया गया, जिससे उनको मानसिक पीड़ा हुई. शिकायतकर्ता ने आयोग के समक्ष यह मुद्दा भी उठाया कि जब कंपनियां किसी सामान को वापस लेती हैं तो उसके बदले में कोई भी रसीद नहीं देती, जिससे यह निश्चित हो सके कि ग्राहक ने सामान वापस किया है.

आयोग में सुनवाई के दौरान अमेजॉन की तरफ से कोई पेश नहीं हुआ. अमेजॉन ने अपने वकील के माध्यम से लिखित जवाब पहुंचाया. शिकायतकर्ता ने आयोग को बताया कि उन्होंने दिसंबर 2021 को लैपटॉप को वापस कर दिया था. कोर्ट ने शिकायतकर्ता को जुर्माना देने के साथ ही वापस किए गए सामान की रसीद भी देने का निर्देश दिया.

यह भी पढ़ें-केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

नई दिल्ली: ई-कॉमर्स साइट अमेजॉन को एक उपभोक्ता को खराब लैपटॉप की डिलीवरी करना एवं उसके रिफंड को वापस करने में करीब डेढ़ साल का समय लगाना भारी पड़ गया. कोर्ट ने कंपनी पर इसके लिए 35 हजार रुपये जुर्माना और 10 हजार रुपये वादी को मुकदमे के खर्च के रूप में देने का आदेश दिया. न्यायमूर्ति एसएस मल्होत्रा की अध्यक्षता वाले आयोग ने अन्य सदस्यों रश्मि बंसल और रवि कुमार की सहमति से मामले को सेवा में कमी माना.

दरअसल, मामला पूर्वी जिले के जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में पहुंचे एक मुकदमे के बाद प्रकाश में आया. मामले के आयोग में पहुंचने के बाद जब आयोग के सामने सबूत पेश किए गए, तो आयोग ने पाया कि ई-कॉमर्स साइट के पास उपभोक्ता की शिकायत को त्वरित रूप से निवारण करने के लिए एक उचित निगरानी तंत्र नहीं है. साथ ही उसके पास अपने पक्ष में सिर्फ अपने लाभ के लिए काम आने वाली शर्तें हैं.

कोर्ट ने अमेजॉन को ग्राहकों को एक ठोस और पारदर्शी शिकायत निवारण तंत्र विकसित करने का भी निर्देश दिया. उपभोक्ता ने आयोग में दर्ज कराई गई शिकायत में बताया कि उसने अमेजॉन सेलर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से आसुस कंपनी का एक लैपटॉप आर्डर किया था, जिसकी कीमत 77,990 रुपये थी. यह लैपटॉप अपारियो रिटेल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बेचा गया था. मामला बृजेश कुमार और अनिल कुमार द्वारा आयोग के समक्ष उठाया गया.

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बताया गया कि कंपनी द्वारा उन्हें बिक्री का पैसा वापस कर दिया गया था. लेकिन, इसमें बहुत लंबा समय लगाया गया, जिससे उनको मानसिक पीड़ा हुई. शिकायतकर्ता ने आयोग के समक्ष यह मुद्दा भी उठाया कि जब कंपनियां किसी सामान को वापस लेती हैं तो उसके बदले में कोई भी रसीद नहीं देती, जिससे यह निश्चित हो सके कि ग्राहक ने सामान वापस किया है.

आयोग में सुनवाई के दौरान अमेजॉन की तरफ से कोई पेश नहीं हुआ. अमेजॉन ने अपने वकील के माध्यम से लिखित जवाब पहुंचाया. शिकायतकर्ता ने आयोग को बताया कि उन्होंने दिसंबर 2021 को लैपटॉप को वापस कर दिया था. कोर्ट ने शिकायतकर्ता को जुर्माना देने के साथ ही वापस किए गए सामान की रसीद भी देने का निर्देश दिया.

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