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पार्सल बुक किया, लेकिन भेजा नहीं, कुरियर कंपनी पर उपभोक्ता आयोग ने लगाया हर्जाना

जयपुर के जिला उपभोक्ता आयोग ने बुकिंग कपरने के बाद भी पार्सल को दिए गए पते पर नहीं भेजने के लिए कूरियर कंपनी पर 8 हजार रुपए हर्जाना लगाया है. इसके साथ ही ये भी आदेश दिया गया कि जमा किए गए शुल्क को ब्याज सहित वापस किया जाए.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 6, 2024, 8:45 PM IST

जयपुर. जिला उपभोक्ता आयोग जयपुर-प्रथम ने शुल्क लेकर पार्सल बुक करने के बाद उसे डिलीवर नहीं करने के लिए सेवा दोष माना है. इसके साथ ही अदालत ने डीटीडीसी कार्गो कुरियर लिमिटेड पर 8 हजार रुपए हर्जाना लगाया है. वहीं, कंपनी को निर्देश दिया है कि वह कुरियर शुल्क की राशि 80 रुपए परिवाद दायर करने की तारीख 3 जुलाई 2015 से 9 प्रतिशत ब्याज सहित परिवादी को लौटाए.

आयोग के अध्यक्ष डॉ. सूबे सिंह व सदस्य नीलम शर्मा ने यह आदेश चन्द्र प्रकाश जांगिड़ के परिवाद पर दिया. आयोग ने कहा कि कंपनी को जब कुरियर का पार्सल नहीं भेजना था, तो शुल्क लेकर उसकी बुकिंग नहीं करनी चाहिए थी. इससे कंपनी की सेवा में कमी साबित होती है.

इसे भी पढ़ें-लोन चुकता होने के बाद एनओसी नहीं देना सेवादोष, बैंक पर लगाया 9 हजार रुपए हर्जाना

पते पर भेजा ही नहीं पार्सल : परिवाद में कहा गया कि परिवादी ने 19 जून 2015 को एक पार्सल अलवर भेजने के लिए कुरियर कंपनी को तय शुल्क भुगतान कर दिया था. कंपनी प्रतिनिधि ने उसे आश्वस्त किया कि 20 जून तक पार्सल आवश्यक रूप से दिए गए पते पर पहुंच जाएगा. जब परिवादी ने पार्सल भेजने वाली जगह पर 23 जून को फोन किया, तो पता चला कि पार्सल वहां पर पहुंचा ही नहीं है. कुरियर कंपनी में जाने पर पता चला कि उन्होंने पार्सल को व्यावसायिक उपयोग का होने के चलते भेजा ही नहीं था. इसे परिवादी ने उपभोक्ता आयोग में चुनौती देते हुए कुरियर कंपनी से हर्जा-खर्चा सहित कुरियर शुल्क ब्याज सहित दिलवाए जाने का आग्रह किया. जिस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने कुरियर कंपनी पर हर्जाना लगाते हुए, लिया गया शुल्क ब्याज सहित लौटाने को कहा है.

जयपुर. जिला उपभोक्ता आयोग जयपुर-प्रथम ने शुल्क लेकर पार्सल बुक करने के बाद उसे डिलीवर नहीं करने के लिए सेवा दोष माना है. इसके साथ ही अदालत ने डीटीडीसी कार्गो कुरियर लिमिटेड पर 8 हजार रुपए हर्जाना लगाया है. वहीं, कंपनी को निर्देश दिया है कि वह कुरियर शुल्क की राशि 80 रुपए परिवाद दायर करने की तारीख 3 जुलाई 2015 से 9 प्रतिशत ब्याज सहित परिवादी को लौटाए.

आयोग के अध्यक्ष डॉ. सूबे सिंह व सदस्य नीलम शर्मा ने यह आदेश चन्द्र प्रकाश जांगिड़ के परिवाद पर दिया. आयोग ने कहा कि कंपनी को जब कुरियर का पार्सल नहीं भेजना था, तो शुल्क लेकर उसकी बुकिंग नहीं करनी चाहिए थी. इससे कंपनी की सेवा में कमी साबित होती है.

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पते पर भेजा ही नहीं पार्सल : परिवाद में कहा गया कि परिवादी ने 19 जून 2015 को एक पार्सल अलवर भेजने के लिए कुरियर कंपनी को तय शुल्क भुगतान कर दिया था. कंपनी प्रतिनिधि ने उसे आश्वस्त किया कि 20 जून तक पार्सल आवश्यक रूप से दिए गए पते पर पहुंच जाएगा. जब परिवादी ने पार्सल भेजने वाली जगह पर 23 जून को फोन किया, तो पता चला कि पार्सल वहां पर पहुंचा ही नहीं है. कुरियर कंपनी में जाने पर पता चला कि उन्होंने पार्सल को व्यावसायिक उपयोग का होने के चलते भेजा ही नहीं था. इसे परिवादी ने उपभोक्ता आयोग में चुनौती देते हुए कुरियर कंपनी से हर्जा-खर्चा सहित कुरियर शुल्क ब्याज सहित दिलवाए जाने का आग्रह किया. जिस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने कुरियर कंपनी पर हर्जाना लगाते हुए, लिया गया शुल्क ब्याज सहित लौटाने को कहा है.

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