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सिलक्यारा में दो माह से पसरा सन्नाटा अब जाकर टूटा, कंपनी ने सुरंग निर्माण काम शुरू किया

Uttarkashi Silkyara Tunnel उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल का एक बार फिर काम शुरू हो गया है. जिसके तहत सुरंग के भीतर दोनों छोर से सबसे पहले एस्केप टनल बनाई जा रही है. वहीं, कार्यदायी संस्था का कहना है कि सुरंग के कमजोर हिस्सों को सुरक्षित किया जा रहा है. एक पखवाड़े बाद सुरंग का कार्य अपनी गति पकड़ेगा.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 30, 2024, 9:14 PM IST

Updated : Jan 30, 2024, 10:26 PM IST

सिलक्यारा में दो माह से पसरा सन्नाटा खत्म

उत्तरकाशी: यमुनोत्री राजमार्ग स्थित सिलक्यारा में दो माह से पसरा सन्नाटा अब जाकर धीरे-धीरे खत्म होने लगा है. बड़कोट के बाद सिलक्यारा की तरफ से नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी ने भी सुरंग का निर्माण शुरू कर दिया है. पिछले वर्ष नवंबर में हुए हादसे से सबक लेते हुए इस बार श्रमिकों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जा रहा है. जिसके तहत सुरंग के भीतर दोनों छोर से सबसे पहले एस्केप टनल बनाई जा रही है, ताकि श्रमिकों के फंसने की नौबत दोबारा न आए. निर्माण में किसी तरह की लापरवाही न हो, इसके लिए कार्यदायी संस्था (एनएचआईडीसीएल) के अधिकारी भी डटे हैं और गंभीरता के साथ कार्य की निगरानी कर रहे हैं.

12 नवंबर को हुआ था सिलक्यारा टनल में भूस्खलन: गौर हो कि 12 नवंबर 2023 की सुबह सुरंग के सिलक्यारा मुहाने से 200 मीटर आगे भारी भूस्खलन हुआ था. जिससे सुरंग का मुंह बंद होने से अंदर काम कर रहे 41 मजदूर फंस गए थे, जिन्हें 17 दिन तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सकुशल बाहर निकाला गया था. उसके बाद से ही सुरंग का निर्माण कार्य बंद था. करीब साढ़े चार किमी लंबी बनने वाली इस सुरंग का 480 मीटर निर्माण शेष है.

सिलक्यारा टनल हादसे के बाद था काम बंद: घटना के बाद सुरंग में निर्माण कार्य ठप हो गए थे. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने घटना की उच्च स्तरीय जांच के बाद 23 जनवरी को पत्र जारी कर सुरंग में फिर से काम करने की अनुमति दी थी. इसी कड़ी में यहां सबसे पहले एस्केप टनल बनाई जा रही है. सिलक्यारा की तरफ 123 मीटर संवेदनशील हिस्से में (सुरंग के मुहाने से 80 मीटर से 203 मीटर तक) सीमेंट व कंक्रीट से बने ब्लॉक, जबकि बड़कोट की तरफ 800 व 900 मिमी व्यास के ह्यूम पाइप बिछाए जा रहे हैं. बड़कोट की तरफ सुरंग की सेंटल वॉल का निर्माण भी शुरू कर दिया गया है. सुरक्षा के ये कदम राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय के निर्देश पर उठाए जा रहे हैं, ताकि, 12 नवंबर जैसा हादसा होने की स्थिति में श्रमिकों को आसानी से निकाला जा सके.

संवेदनशील स्थान पर बनाई जा रही एस्केप टनल: एनएचआईडीसीएल के परियोजना प्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल ने बताया कि श्रमिकों की सुरक्षा के दृष्टिगत सबसे पहले सुरंग में जो संवेदनशील स्थान हैं, वहां एस्केप टनल बनाई जा रही है. साथ ही सुरंग के कमजोर हिस्सों को भी सुरक्षित किया जा रहा है. एक पखवाड़े बाद सुरंग का कार्य अपनी गति पकड़ेगा.

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सिलक्यारा में दो माह से पसरा सन्नाटा खत्म

उत्तरकाशी: यमुनोत्री राजमार्ग स्थित सिलक्यारा में दो माह से पसरा सन्नाटा अब जाकर धीरे-धीरे खत्म होने लगा है. बड़कोट के बाद सिलक्यारा की तरफ से नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी ने भी सुरंग का निर्माण शुरू कर दिया है. पिछले वर्ष नवंबर में हुए हादसे से सबक लेते हुए इस बार श्रमिकों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जा रहा है. जिसके तहत सुरंग के भीतर दोनों छोर से सबसे पहले एस्केप टनल बनाई जा रही है, ताकि श्रमिकों के फंसने की नौबत दोबारा न आए. निर्माण में किसी तरह की लापरवाही न हो, इसके लिए कार्यदायी संस्था (एनएचआईडीसीएल) के अधिकारी भी डटे हैं और गंभीरता के साथ कार्य की निगरानी कर रहे हैं.

12 नवंबर को हुआ था सिलक्यारा टनल में भूस्खलन: गौर हो कि 12 नवंबर 2023 की सुबह सुरंग के सिलक्यारा मुहाने से 200 मीटर आगे भारी भूस्खलन हुआ था. जिससे सुरंग का मुंह बंद होने से अंदर काम कर रहे 41 मजदूर फंस गए थे, जिन्हें 17 दिन तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सकुशल बाहर निकाला गया था. उसके बाद से ही सुरंग का निर्माण कार्य बंद था. करीब साढ़े चार किमी लंबी बनने वाली इस सुरंग का 480 मीटर निर्माण शेष है.

सिलक्यारा टनल हादसे के बाद था काम बंद: घटना के बाद सुरंग में निर्माण कार्य ठप हो गए थे. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने घटना की उच्च स्तरीय जांच के बाद 23 जनवरी को पत्र जारी कर सुरंग में फिर से काम करने की अनुमति दी थी. इसी कड़ी में यहां सबसे पहले एस्केप टनल बनाई जा रही है. सिलक्यारा की तरफ 123 मीटर संवेदनशील हिस्से में (सुरंग के मुहाने से 80 मीटर से 203 मीटर तक) सीमेंट व कंक्रीट से बने ब्लॉक, जबकि बड़कोट की तरफ 800 व 900 मिमी व्यास के ह्यूम पाइप बिछाए जा रहे हैं. बड़कोट की तरफ सुरंग की सेंटल वॉल का निर्माण भी शुरू कर दिया गया है. सुरक्षा के ये कदम राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय के निर्देश पर उठाए जा रहे हैं, ताकि, 12 नवंबर जैसा हादसा होने की स्थिति में श्रमिकों को आसानी से निकाला जा सके.

संवेदनशील स्थान पर बनाई जा रही एस्केप टनल: एनएचआईडीसीएल के परियोजना प्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल ने बताया कि श्रमिकों की सुरक्षा के दृष्टिगत सबसे पहले सुरंग में जो संवेदनशील स्थान हैं, वहां एस्केप टनल बनाई जा रही है. साथ ही सुरंग के कमजोर हिस्सों को भी सुरक्षित किया जा रहा है. एक पखवाड़े बाद सुरंग का कार्य अपनी गति पकड़ेगा.

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Last Updated : Jan 30, 2024, 10:26 PM IST
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