आजमगढ़ : पीएम मोदी रविवार को आजमगढ़ में सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल पूर्वांचल के सबसे हाईटेक महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्व विद्यालय का उद्घाटन किया. 14.5 एकड़ में 10805. 45 लाख की लागत से बना यह विश्वविद्यालय अपने आप में अनूठा है. इसमें हॉस्पिटल, जिम से लेकर शॉपिंग मॉल तक की सुविधा दी गई है. इसके अलावा भी कई अन्य प्रोजेक्ट इस विश्वविद्यालय में पूरे हो चुके हैं. एकबारगी इन पर नजर डालें तो एक शहर के तौर पर जो सुविधाएं मिलनी चाहिए, वे सब इसमें हैं. जानिए, क्या है इस विश्वविद्यालय की खासियत और किन सुविधाओं का इसके निर्माण में रखा गया है ख्याल.
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनता को बड़ी सौगात देने के लिए रविवार को आजमगढ़ में थे. मंदुरी एयरपोर्ट व महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय की सौगात पीएम के हाथों मिली. पीएम मोदी के प्रस्तावित कार्यक्रम को लेकर 2 दिन पहले सीएम योगी निरीक्षण कर चुके हैं.
13 नवंबर 2021 को रखी गई नींव
प्रोजेक्ट मैनेजर उमाकांत प्रसाद बताते हैं कि इसके निर्माण में ईको फैंडली मैटेरियल का प्रयोग किया गया है. महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय 14.5 एकड़ में 10805. 45 करोड़ की लागत से बनाया गया है. जिसकी नींव गृहमंत्री अमित शाह व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 13 नवंबर 2021 में रखी थी. जबकि इस प्रोजेक्ट पर काम मार्च 2022 में शुरू किया गया था. 31 दिसम्बर 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था.
बैंक, पोस्ट ऑफिस, पावर हाउस भी बना
प्रोजेक्ट मैनेजर उमाकांत प्रसाद ने बताया कि यूनिवर्सिटी पूरी तरह बनकर तैयार हो चुकी है. इस विश्व विद्यालय में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस बुनियादी सुविधाओं का ध्यान रखा गया है. इसमें फिटनेस के लिए जिम, हेल्थ के लिए सुविधा के लिए हॉस्पिटल, शॉपिंग माल, एटीएम, मिनी बैंक, पोस्ट ऑफिस के साथ ही स्टेडियम भी बनाया गया है. वहीं सुरक्षा की बात करें तो यूनिवर्सिटी के अंदर पुलिस चौकी भी बनकर तैयार है. बिजली व्यवस्था के लिए दो सब स्टेशन बनाए गए हैं. जल संरक्षण के लिए इसके ग्राउंड स्तर को रिचार्ज किया जाएगा.
महाराजा सुहेलदेव ने महमूद गजनवी के भांजे को हराया था
महाराजा सुहेलदेव 11वीं सदी में श्रावस्ती के राजा हुए. बहराइच से लेकर श्रावस्ती तक उनका राज्य फैला हुआ था. महाराजा सुहेलदेव का शासन 1027 से 1077 ईस्वी तक रहा था. इस दौरान उन्होंने अपने साम्राज्य का काफी ज्यादा विस्तार किया, विशेषकर पूर्व में गोरखपुर और पश्चिम में सीतापुर तक. महाराजा सुहेलदेव के पराक्रम का परिचय तब मिलता है जब 1034 में महमूद गजनवी के भांजे गाजी सैयद सालार मसूद व उसकी संपूर्ण टोली को उन्होंने युद्ध में हार का स्वाद चखाया. बहराइज पर रात के समय मसूद ने हमला किया था. इस बारे में अबुल फजल ने अपने आइन-ए- अकबरी में लिखा है कि महमूद गजनवी का भांजा मसूद गाजी था.
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