चंडीगढ़: बरसात का मौसम सभी को काफी सुहावना लगता है, क्योंकि इसके आते ही गर्मी से लोगों को राहत मिलती है. लेकिन इस मौसम में बीमारियां भी सबसे ज्यादा होती है. बारिश के मौसम में वायरस और बैक्टीरिया तेजी से फैलते हैं. मानसून से जगह-जगह हुए जलभराव के कारण हवा में नमी होने से प्रजनन दर बढ़ जाती है. ऐसे में वायरस और बैक्टीरिया तमाम तरह के संक्रमण तेजी से फैलते हैं. इसके अलावा, कंजंक्टिवाइटिस नामक बीमारी भी अक्सर मानसून के मौसम में ही ज्यादातर देखने को मिलती है.
क्या है जंक्टिवाइटिस: दरअसल, ये एक आंखों की बीमारी है, जिसे सामान्य भाषा में लोग आई फ्लू या आंखें आना भी कहते हैं. ये बीमारी संक्रामक होती है. जो कंजंक्टिवा में सूजन आने के कारण होती है. इसके पिंक आई भी कहा जाता है. कंजंक्टिवाइटिस एक्यूट या क्रॉनिक दोनों ही तरह से हो सकती है. वैसे ये बीमारी घरेलू इलाज करने से दो हफ्ते में भी ठीक हो सकती है. लेकिन कुछ लोगों में कई बार गंभीर लक्षण भी हो जाते हैं, जिसे डॉक्टर को दिखाना जरूरी हो जाता है.
मरीजों की बढ़ रही संख्या: चंडीगढ़ पीजीआई में आंखों की विशेषज्ञ पारुल चावला ने आई फ्लू के संबंध में विस्तार से जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि कंजंक्टिवाइटिस मरीजों में वृद्धि होने लगी है. ऐसे में पीजीआई में रोजाना 8 से 10 मरीज पहुंच रहे हैं. मौसम में हुए बदलाव के कारण संक्रमण तेजी से फैलता है. उन्होंने बताया कि विभिन्न वायरस के कारण होने वाला अत्यधिक संक्रामक नेत्र संक्रमण, सर्दी, खांसी और बुखार का कारण भी बन सकता है. इसलिए हमें इस मौसम में ज्यादा सावधानी बरतने की जरुरत होती है.
लक्षण और बचाव: डॉ. पारुल चावला ने बताया कि आजकल बरसात के दिनों में संक्रमण से बचाव के लिए बार-बार हाथों को धोना चाहिए. आसपास सफाई रखनी चाहिए. स्वस्थ और ताजा भोजन खाना चाहिए. गंदे पानी के पास नहीं जाना चाहिए. आई फ्लू से ग्रसित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचना चाहिए. अपने कपड़ों को साफ रखना चाहिए. ताकि बीमारी से बचाव किया जा सके. उन्होंने आई फ्लू के कुछ प्रमुख लक्षण बताए हैं, उन्होंने कहा कि आंखों में लालिमा, पानी आना, आंखों में खुजली और दर्द के साथ चिपचिपा स्राव होता है.
आंखों का रखें खास ख्याल: डॉ. पारुल चावला ने बताया कि संक्रमण बढ़ने पर बुखार और शरीर में दर्द भी हो सकता है. कुछ बच्चों में गैस्ट्रिक के लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं. रोजाना तीन से चार लीटर तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए. हल्के दर्द निवारक के साथ-साथ पर्याप्त आराम से अच्छी तरह से हाइड्रेट रहना मददगार होता है. इसके अलावा, दवा लेने और अनावश्यक एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से बचना चाहिए. मानव शरीर में आंखें सबसे नाजुक होती हैं, ऐसे में आंखों में दर्द या जलन महसूस होते ही तुरंत डॉक्टर से चेक करवा लें. आमतौर पर भी आंखों की सही से देखभाल करनी चाहिए. लगातार स्क्रीन देखने से बचना चाहिए.
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