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लोकसभा चुनाव परिणाम में कांग्रेस के कोर वोटर ने पार्टी को दिलाई सफलता, पढ़ें रिपोर्ट - Lok Sabha election 2024 results

राजस्थान में लोकसभा चुनान परिणाम में कांग्रेस को पहले के मुकाबले काफी शानदार सफलता मिली है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह सफलता कांग्रेस के उस कोर वोटर ने दिलाई, जो पहले पार्टी से दूरी बना चुका था.

LS election results for Congress in Rajasthan
राजस्थान में लोकसभा चुनान परिणाम (ETV Bharat Jodhpur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 5, 2024, 11:18 PM IST

जोधपुर. लोकसभा चुनाव के परिणाम ने बता दिया है कि कांग्रेस का कोर वोटर जो कि गत एक दशक से पार्टी से दूर हुआ था, वह वापस लौट आया है. जिसके बूते कांग्रेस ने इस बार भाजपा को कड़ी चुनौती देते हुए परिणाम बदल कर रख दिए. इस कोर वोटर में जाट, अल्पसंख्यक, अनसुचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वोटर हैं जो 2014 में मोदी वेव के चलते कांग्रेस से दूर हुए थे, लेकिन इस बार कांग्रेस की रणनीति के चलते सभी ने वापस पार्टी का साथ देकर मुकाबले में में बराबरी पर लाकर खड़ा कर दिया.

प्रदेश के चुनाव परिणाम पर नजर डालें, तो साफ नजर आता है कि कोर वोटर की वापसी से ही कांग्रेस को सफलता मिली है. जिसके चलते जाट बाहुल्य पांच सीटों पर कांग्रेस को सफलता मिली. यहां जाटों ने भाजपा के जाट उम्मीदवारों को नकार दिया. भाजपा को सिर्फ अजमेर और झालावाड़ बारां में सफलता मिली है. वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण धींगरा बताते हैं कि जाटों के अलावा एससी-एसटी के भाजपा से दूरी बनाने से ऐसे हालात हुए हैं. पार्टी को भविष्य को ध्यान में रखते हुए इन वर्गों को लेकर नई रणनीति बनानी होगी.

पढ़ें: लोकसभा चुनाव परिणाम : मारवाड़ में भाजपा को झटका, जाट बाहुल्य इलाकों में नहीं मिला समर्थन - Lok Sabha Election 2024 Result

एससी-एसटी पूरी तरह से खिसके: प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों में चार अनुसूचित जाति के लिए और तीन सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. इनमें एसटी की सभी तीनों सीटें कांग्रेस और गठबंधन ने जीत ली. इनमें एसटी की दौसा से मुरारीलाल मीणा, टोंक सवाईमाधोपुर से हरीश मीणा और बांसवाड़ा से भारत आदिवासी पार्टी के राजकुमार रौत ने जीत दर्ज की है. गत चुनाव में तीनों सीटें भाजपा के पास थी. जबकि एससी सीटों में गंगानर से कांग्रेस के कुलदीप इंदौरा, भरतपुर से संजना जाटव, करौली धौलुपर से भजनलाल जाटव ने जीत दर्ज की. जबकि एक मात्र सीट बीकानेर से केंद्रीय मंत्री अर्जुनलाल गर्ग जीत पाए हैं. उनका भी मार्जिन कम हो गया.

पढ़ें: संजना जाटव बोलीं - भरतपुर की जनता ने लड़ा चुनाव, अब जाटों के आरक्षण की आवाज करूंगी बुलंद - Sanjana Jatav On Jat Reservation

जाटों ने किया पूरी तरह से किनारा: राजस्थान की राजनीति में जाट जाति का अपना वर्चस्व है. यह जिस पार्टी की ओर जाते हैं, उसको सफलता मिलना लगभग तय माना जाता है. गत वर्ष हुए विधानसभा चुनाव से पहले जाटों ने भाजपा से दूरी के संकेत दिए थे. इसका असर विधानसभा चुनाव में नजर आया था. शेखावाटी में भाजपा के दिग्गज जाट हार गए थे. कोई बड़ा जाट चेहरा भाजपा के पास मौजूदा सरकार में भी नहीं है.

लोकसभा चुनाव में भी जाटों ने अपना रवैया बरकरार रखा. मारवाड़, शेखावाटी में भाजपा को बड़ा झटका दिया. मारवाड़ में बाड़मेर, नागौर, शेखावाटी में सीकर, चुरू, झुंझुनूं से भाजपा का सफाया कर दिया. बाड़मेर में केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी का जाटों ने ही साथ नहीं दिया, कांग्रेस के जाट उमेदाराम को जीता दिया. इसी तरह से चूरू में भाजपा ने राहुल कस्वां का टिकट काटा था. उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की और जीत गए. नागौर में भाजपा कांग्रेस से ज्योति​ मिर्धा को लेकर आई, लेकिन उनको लगातार दूसरी बार हार का सामना करना पड़ा. सीकर से स्वामी सुमेधानंद सरस्वती को सीपीआई के अमराराम ने हरा दिया. झुंझुनूं से वरिष्ठ कांग्रेसी नेता बृजेंद्र सिंह ओला ने जीत दर्ज की.

पढ़ें: शेखावाटी की चारों सीट पर जाट परिवारों की प्रतिष्ठा दांव पर, जानिए पूरे समीकरण - Lok Sabha Election 2024

​सिर्फ अजमेर और झालावाड़ बारां से जीत: जाट बाहुल्स सीटों में एक मात्र अजमेर सीट ही भाजपा जीत पाई है. यहां मौजूदा भाजपा के सांसद भागीरथ चौधरी ने रामचंद्र चौधरी को हराया. जबकि भागीरथ चौधरी गत विधानसभा चुनाव हार गए थे. ऐसे में समाज ने उनको जिताया. अब ऐसा माना जा रहा है कि राजस्थान से जाटों को संतुष्ट करने के लिए भागीरथ चौधरी को मंत्री बनाया जा सकता है. इसके अलावा झालावाड़ बारां से दुष्यंतसिंह ने चुनाव जीता. दुष्यंतसिंह की यह पांचवीं जीत है. वहां जाटों के वोट निर्णायक नहीं हैं. पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की पकड़ ही उनकी जीत का आधार बनती आई है. ऐसे में वे भी इस बार मंत्री बन सकते हैं.

14 प्रतिशत जाट, 50 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर असरदार: राजस्थान में जाट करीब 14 प्रतिशत मतदाता हैं. जिसके चलते नागौर, भरतपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर व जयपुर, सीकर, बीकानेर, चूरू, झुंझुनूं, गंगानगर, हनुमानगढ़ जिले की 50 से अधिक विधानसभा सीटों पर प्रभावी होते हैं. लोकसभा चुनाव में मारवाड़ में बात करें, तो जोधपुर जिले की चार जाट बहुल विधानसभा सीटों पर कांग्रेस आगे रही. बाड़मेर में छह, नागौर में पांच पर कांग्रेस आगे रही. कमोबेश जिन पांच सीटों पर कांग्रेस के जाट सांसद चुने गए, वहां पर ज्यादातर विधानसभा से कांग्रेस आगे रही.

यूं समझे जाट और एससी, एसटी मतों का असर: भाजपा ने 14 सीटें जीती हैं. लेकिन मत प्रतिशत सिर्फ जयपुर शहर में बढ़ा. बाकी सभी 13 के अलावा हारने वाली 11 में भी घट गया. जिसकी वजह जाट, एससी और एसटी मतों का खिसकना है.

प्रमुख सीटें जहां भाजपा का मत कम हुआ:

  1. श्रीगंगानगर—16.64
  2. बीकानेर— 9.14
  3. चूरू —13.68
  4. झुंझुनू — 13.7 4
  5. सीकर— 7.53
  6. जयपुर ग्रामीण —15.28
  7. अलवर —9.62
  8. अजमेर— 2.35
  9. पाली—10.19
  10. भरतपुर —15. 25
  11. करौली धौलपुर — 9.13
  12. दौसा— 13.51
  13. नागौर— 10.66
  14. बाड़मेर— 42.48
  15. जोधपुर— 5.84
  16. बांसवाड़ा— 14.39

जोधपुर. लोकसभा चुनाव के परिणाम ने बता दिया है कि कांग्रेस का कोर वोटर जो कि गत एक दशक से पार्टी से दूर हुआ था, वह वापस लौट आया है. जिसके बूते कांग्रेस ने इस बार भाजपा को कड़ी चुनौती देते हुए परिणाम बदल कर रख दिए. इस कोर वोटर में जाट, अल्पसंख्यक, अनसुचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वोटर हैं जो 2014 में मोदी वेव के चलते कांग्रेस से दूर हुए थे, लेकिन इस बार कांग्रेस की रणनीति के चलते सभी ने वापस पार्टी का साथ देकर मुकाबले में में बराबरी पर लाकर खड़ा कर दिया.

प्रदेश के चुनाव परिणाम पर नजर डालें, तो साफ नजर आता है कि कोर वोटर की वापसी से ही कांग्रेस को सफलता मिली है. जिसके चलते जाट बाहुल्य पांच सीटों पर कांग्रेस को सफलता मिली. यहां जाटों ने भाजपा के जाट उम्मीदवारों को नकार दिया. भाजपा को सिर्फ अजमेर और झालावाड़ बारां में सफलता मिली है. वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण धींगरा बताते हैं कि जाटों के अलावा एससी-एसटी के भाजपा से दूरी बनाने से ऐसे हालात हुए हैं. पार्टी को भविष्य को ध्यान में रखते हुए इन वर्गों को लेकर नई रणनीति बनानी होगी.

पढ़ें: लोकसभा चुनाव परिणाम : मारवाड़ में भाजपा को झटका, जाट बाहुल्य इलाकों में नहीं मिला समर्थन - Lok Sabha Election 2024 Result

एससी-एसटी पूरी तरह से खिसके: प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों में चार अनुसूचित जाति के लिए और तीन सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. इनमें एसटी की सभी तीनों सीटें कांग्रेस और गठबंधन ने जीत ली. इनमें एसटी की दौसा से मुरारीलाल मीणा, टोंक सवाईमाधोपुर से हरीश मीणा और बांसवाड़ा से भारत आदिवासी पार्टी के राजकुमार रौत ने जीत दर्ज की है. गत चुनाव में तीनों सीटें भाजपा के पास थी. जबकि एससी सीटों में गंगानर से कांग्रेस के कुलदीप इंदौरा, भरतपुर से संजना जाटव, करौली धौलुपर से भजनलाल जाटव ने जीत दर्ज की. जबकि एक मात्र सीट बीकानेर से केंद्रीय मंत्री अर्जुनलाल गर्ग जीत पाए हैं. उनका भी मार्जिन कम हो गया.

पढ़ें: संजना जाटव बोलीं - भरतपुर की जनता ने लड़ा चुनाव, अब जाटों के आरक्षण की आवाज करूंगी बुलंद - Sanjana Jatav On Jat Reservation

जाटों ने किया पूरी तरह से किनारा: राजस्थान की राजनीति में जाट जाति का अपना वर्चस्व है. यह जिस पार्टी की ओर जाते हैं, उसको सफलता मिलना लगभग तय माना जाता है. गत वर्ष हुए विधानसभा चुनाव से पहले जाटों ने भाजपा से दूरी के संकेत दिए थे. इसका असर विधानसभा चुनाव में नजर आया था. शेखावाटी में भाजपा के दिग्गज जाट हार गए थे. कोई बड़ा जाट चेहरा भाजपा के पास मौजूदा सरकार में भी नहीं है.

लोकसभा चुनाव में भी जाटों ने अपना रवैया बरकरार रखा. मारवाड़, शेखावाटी में भाजपा को बड़ा झटका दिया. मारवाड़ में बाड़मेर, नागौर, शेखावाटी में सीकर, चुरू, झुंझुनूं से भाजपा का सफाया कर दिया. बाड़मेर में केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी का जाटों ने ही साथ नहीं दिया, कांग्रेस के जाट उमेदाराम को जीता दिया. इसी तरह से चूरू में भाजपा ने राहुल कस्वां का टिकट काटा था. उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की और जीत गए. नागौर में भाजपा कांग्रेस से ज्योति​ मिर्धा को लेकर आई, लेकिन उनको लगातार दूसरी बार हार का सामना करना पड़ा. सीकर से स्वामी सुमेधानंद सरस्वती को सीपीआई के अमराराम ने हरा दिया. झुंझुनूं से वरिष्ठ कांग्रेसी नेता बृजेंद्र सिंह ओला ने जीत दर्ज की.

पढ़ें: शेखावाटी की चारों सीट पर जाट परिवारों की प्रतिष्ठा दांव पर, जानिए पूरे समीकरण - Lok Sabha Election 2024

​सिर्फ अजमेर और झालावाड़ बारां से जीत: जाट बाहुल्स सीटों में एक मात्र अजमेर सीट ही भाजपा जीत पाई है. यहां मौजूदा भाजपा के सांसद भागीरथ चौधरी ने रामचंद्र चौधरी को हराया. जबकि भागीरथ चौधरी गत विधानसभा चुनाव हार गए थे. ऐसे में समाज ने उनको जिताया. अब ऐसा माना जा रहा है कि राजस्थान से जाटों को संतुष्ट करने के लिए भागीरथ चौधरी को मंत्री बनाया जा सकता है. इसके अलावा झालावाड़ बारां से दुष्यंतसिंह ने चुनाव जीता. दुष्यंतसिंह की यह पांचवीं जीत है. वहां जाटों के वोट निर्णायक नहीं हैं. पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की पकड़ ही उनकी जीत का आधार बनती आई है. ऐसे में वे भी इस बार मंत्री बन सकते हैं.

14 प्रतिशत जाट, 50 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर असरदार: राजस्थान में जाट करीब 14 प्रतिशत मतदाता हैं. जिसके चलते नागौर, भरतपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर व जयपुर, सीकर, बीकानेर, चूरू, झुंझुनूं, गंगानगर, हनुमानगढ़ जिले की 50 से अधिक विधानसभा सीटों पर प्रभावी होते हैं. लोकसभा चुनाव में मारवाड़ में बात करें, तो जोधपुर जिले की चार जाट बहुल विधानसभा सीटों पर कांग्रेस आगे रही. बाड़मेर में छह, नागौर में पांच पर कांग्रेस आगे रही. कमोबेश जिन पांच सीटों पर कांग्रेस के जाट सांसद चुने गए, वहां पर ज्यादातर विधानसभा से कांग्रेस आगे रही.

यूं समझे जाट और एससी, एसटी मतों का असर: भाजपा ने 14 सीटें जीती हैं. लेकिन मत प्रतिशत सिर्फ जयपुर शहर में बढ़ा. बाकी सभी 13 के अलावा हारने वाली 11 में भी घट गया. जिसकी वजह जाट, एससी और एसटी मतों का खिसकना है.

प्रमुख सीटें जहां भाजपा का मत कम हुआ:

  1. श्रीगंगानगर—16.64
  2. बीकानेर— 9.14
  3. चूरू —13.68
  4. झुंझुनू — 13.7 4
  5. सीकर— 7.53
  6. जयपुर ग्रामीण —15.28
  7. अलवर —9.62
  8. अजमेर— 2.35
  9. पाली—10.19
  10. भरतपुर —15. 25
  11. करौली धौलपुर — 9.13
  12. दौसा— 13.51
  13. नागौर— 10.66
  14. बाड़मेर— 42.48
  15. जोधपुर— 5.84
  16. बांसवाड़ा— 14.39
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