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कांग्रेस कार्यकर्ताओं का आज SBI कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन, इलेक्टोरल बांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट से समय मांगने का कर रहे विरोध - SBI electroral Bond

Congress protest against SBI. 07 मार्च को कांग्रेस सभी जिला मुख्यालयों के एसबीआई कार्यालयों के सामने विरोध प्रदर्शन करेगी. कांग्रेस कार्यकर्ता चुनावी बांड को लेकर एसबीआई के रुख का विरोध कर रहे हैं.

Congress protest against SBI
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 7, 2024, 6:58 AM IST

रांची: कांग्रेस आज यानी 7 मार्च को झारखंड के सभी जिला मुख्यालयों में एसबीआई कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन करेगी. राजनीतिक दलों को मिलने वाले चुनावी चंदे की जानकारी सार्वजनिक करने को लेकर एसबीआई की ओर से सुप्रीम कोर्ट से जून तक का समय मांगा गया है. कांग्रेस इसी का विरोध कर रही है.

कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सोनाल शांति उर्फ रिंकू तिवारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के इशारे पर एसबीआई के अधिकारी जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट से जून तक का समय मांग रहे हैं ताकि लोकसभा चुनाव संपन्न हो जाएं.

सभी नेताओं को प्रदर्शन में शामिल होने का निर्देश

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने सभी कांग्रेसजनों को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में भारतीय स्टेट बैंक कार्यालय के समक्ष आयोजित होने वाले कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन में भाग लेने का निर्देश दिया है. राजेश ठाकुर ने कहा कि 2017 में चुनावी बांड के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा लाने की योजना काले धन को सफेद करने और बीजेपी को मदद पहुंचाने की योजना थी.

राजेश ठाकुर ने कहा कि अब जब सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को 06 मार्च 2024 तक चुनावी बांड की जानकारी चुनाव आयोग को सौंपने और फिर उससे जुड़ी सारी जानकारी सार्वजनिक करने का आदेश दिया तो एसबीआई जून तक का समय मांगने सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. उन्होंने कहा कि आज की तकनीक और कंप्यूटर को यह पता लगाने में केवल दो मिनट लगते हैं कि इस अवधि के दौरान चुनावी बांड किसने खरीदा और किस पार्टी को दान दिया गया.

'केंद्र सरकार ने एसबीआई को बनाया मोहरा'

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सोनाल शांति ने कहा कि 2017 में भाजपा सरकार द्वारा लाई गई चुनावी बांड योजना में राजनीतिक दलों को हजारों करोड़ रुपये चंदे के रूप में दिए गए, जिसमें से अकेले भाजपा को 55% मिले. ऐसे में चुनाव से पहले बीजेपी और पीएम मोदी के अपने उद्योगपति मित्रों के साथ नापाक रिश्ते उजागर न हो जाएं, इसलिए केंद्र सरकार भारतीय स्टेट बैंक को मोहरा बनाकर काले धन के स्रोत की जानकारी देने से बचना चाहती है, इसलिए एसबीआई को मोहरा बनाया गया है.

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से 30 जून तक का समय लेने का अनुरोध करने के पीछे मंशा यह है कि लोकसभा चुनाव तक जनता को पता न चले कि बीजेपी ने किन-किन कंपनियों से चंदा लिया है. क्या वे असली कंपनियां थीं या शेल कंपनियां? उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठेगी और हर व्यक्ति तक यह संदेश पहुंचाएगी कि चुनावी बांड के नाम पर न केवल लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाया गया है बल्कि भाजपा ने एक बड़ा आर्थिक अपराध भी किया है.

यह भी पढ़ें: SBI ने चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने के लिए 30 जून तक मांगा समय, SC ने 6 मार्च की दी थी डेडलाइन

यह भी पढ़ें: चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खुशी, पीएम मोदी का फूंका पुतला

यह भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया

रांची: कांग्रेस आज यानी 7 मार्च को झारखंड के सभी जिला मुख्यालयों में एसबीआई कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन करेगी. राजनीतिक दलों को मिलने वाले चुनावी चंदे की जानकारी सार्वजनिक करने को लेकर एसबीआई की ओर से सुप्रीम कोर्ट से जून तक का समय मांगा गया है. कांग्रेस इसी का विरोध कर रही है.

कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सोनाल शांति उर्फ रिंकू तिवारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के इशारे पर एसबीआई के अधिकारी जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट से जून तक का समय मांग रहे हैं ताकि लोकसभा चुनाव संपन्न हो जाएं.

सभी नेताओं को प्रदर्शन में शामिल होने का निर्देश

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने सभी कांग्रेसजनों को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में भारतीय स्टेट बैंक कार्यालय के समक्ष आयोजित होने वाले कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन में भाग लेने का निर्देश दिया है. राजेश ठाकुर ने कहा कि 2017 में चुनावी बांड के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा लाने की योजना काले धन को सफेद करने और बीजेपी को मदद पहुंचाने की योजना थी.

राजेश ठाकुर ने कहा कि अब जब सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को 06 मार्च 2024 तक चुनावी बांड की जानकारी चुनाव आयोग को सौंपने और फिर उससे जुड़ी सारी जानकारी सार्वजनिक करने का आदेश दिया तो एसबीआई जून तक का समय मांगने सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. उन्होंने कहा कि आज की तकनीक और कंप्यूटर को यह पता लगाने में केवल दो मिनट लगते हैं कि इस अवधि के दौरान चुनावी बांड किसने खरीदा और किस पार्टी को दान दिया गया.

'केंद्र सरकार ने एसबीआई को बनाया मोहरा'

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सोनाल शांति ने कहा कि 2017 में भाजपा सरकार द्वारा लाई गई चुनावी बांड योजना में राजनीतिक दलों को हजारों करोड़ रुपये चंदे के रूप में दिए गए, जिसमें से अकेले भाजपा को 55% मिले. ऐसे में चुनाव से पहले बीजेपी और पीएम मोदी के अपने उद्योगपति मित्रों के साथ नापाक रिश्ते उजागर न हो जाएं, इसलिए केंद्र सरकार भारतीय स्टेट बैंक को मोहरा बनाकर काले धन के स्रोत की जानकारी देने से बचना चाहती है, इसलिए एसबीआई को मोहरा बनाया गया है.

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से 30 जून तक का समय लेने का अनुरोध करने के पीछे मंशा यह है कि लोकसभा चुनाव तक जनता को पता न चले कि बीजेपी ने किन-किन कंपनियों से चंदा लिया है. क्या वे असली कंपनियां थीं या शेल कंपनियां? उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठेगी और हर व्यक्ति तक यह संदेश पहुंचाएगी कि चुनावी बांड के नाम पर न केवल लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाया गया है बल्कि भाजपा ने एक बड़ा आर्थिक अपराध भी किया है.

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