झालावाड़. कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट में स्वीकृत 800 मेगावाट की तीसरी सुपर अल्ट्रा यूनिट को झालावाड़ से बाहर लगाए जाने के ऊर्जा मंत्री के बयान को लेकर राजनीति तेज होती नजर आ रही है. जिले में खानपुर से कांग्रेस विधायक सुरेश गुर्जर ने इस मामले में तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि झालावाड़ जिला वसुंधरा राजे का गृह क्षेत्र है. प्रदेश की भाजपा सरकार वसुंधरा राजे को नीचा दिखाने के लिए ऐसा करना चाहती है. उन्होंने मंत्री के इस बयान को राजनीतिक षड्यंत्र बताया.
सुरेश गुर्जर ने सोमवार को मीडिया से बात करते हुए कहा था कि कांग्रेस सरकार में कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट में 800 मेगावाट की तीसरी सुपर अल्ट्रा यूनिट स्वीकृत की गई थी. इसे अब छत्तीसगढ़ ले जाने की मंशा है. कांग्रेस पार्टी सरकार की इस मंशा को पूरा नहीं होने देगी. तीसरी यूनिट को छत्तीसगढ़ ले जाने का पुरजोर विरोध करेंगे. इसके लिए कांग्रेस पार्टी को सड़कों पर उतरकर आंदोलन करना पड़ा तो वो भी जरूर करेंगे.
वहीं, कांग्रेस के जिला अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह गुर्जर ने कहा कि सुपर अल्ट्रा यूनिट को छत्तीसगढ़ में स्थापित करने के लिए वर्तमान सरकार की ओर से विचार किया जा रहा है. इस तरह के निर्णय से झालावाड़ जिले के विकास की गति अवरुद्ध होगी. इस यूनिट को अन्यत्र स्थापित करने से थर्मल के कर्मचारियों का मनोबल गिरेगा. वर्तमान में थर्मल प्लांट को बेहतरीन तरीके से संचालित किया जा रहा है. इसका नतीजा है कि यहां उनकी सरकार ने 800 मेगावाट की एक और यूनिट स्थापित करने का निर्णय लिया था.
बता दें कि इस मामले को लेकर जिला कांग्रेस कमेटी की ओर से जिला कलेक्टर के माध्यम से राज्यपाल और प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट में लगने वाली 800 मेगावाट की तीसरी यूनिट को झालावाड़ में ही लगाने की मांग की है.
ऊर्जा मंत्री के बयान पर गरमाई राजनीति : दरअसल, पूरा मामला पिछले दिनों झालावाड़ दौरे पर रहे प्रदेश के ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर के एक बयान से जुड़ा हुआ है. यहां मंत्री ने कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट निरीक्षण किया. इसी दरमियान मीडिया से बातचीत के दौरान मंत्री ने कहा था कि कुछ दिनों पहले उनकी केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी के साथ मुलाकात हुई थी.
इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने सुझाव दिया था कि आज के दौर में कोल माइंस से कोयले को 1500 से 2000 किलोमीटर तक ले जाने के बजाए, जहां कोल माइंस हैं, वही प्लांट लगाया जाए. साथ ही वहां से बिजली का ट्रांसमिशन किया जाए. इससे कम लागत में बिजली प्राप्त हो सकती है. उन्होंने कहा कि फिलहाल वो इसका परीक्षण करवा रहे हैं. अगर कोल इंडिया से करार करके सस्ती लागत में बिजली उपलब्ध होगी तो हम चाहेंगे कि प्लांट वहीं (छत्तीसगढ़) बन जाए. अगर लागत बराबर आती है तो प्लांट यहीं लगाया जाएगा.