देहरादून: कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश में वनाग्नि की घटनाओं को लेकर सरकार पर हमला बोला है. पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि बीते दो महीनों से उत्तराखंड भीषण आग की चपेट में है, लेकिन प्रदेश के वन मंत्री और राज्य के मुखिया सोए हुए हैं. उन्होंने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में हजारों हेक्टेयर जंगल जलकर राख हो गए हैं और कई वन कर्मियों की और स्थानीय लोगों की मौतें हो गई. इसके बावजूद सरकार और प्रशासन कोई सबक नहीं ले रहा है.
उन्होंने अल्मोड़ा के बिनसर में चार वन्य कर्मियों की मौत को भी दुखद बताया है और सरकार पर आरोप लगाया है कि यह कोई स्वाभाविक मौतें नहीं है, बल्कि सिस्टम के द्वारा की गई हत्याएं हैं. गरिमा का कहना है कि वनाग्नि को रोकने की गंभीरता का इस बात से पता चल जाता है कि विभाग को यह जानकारी तक ना होना कि आग बुझाने के लिए कितने कर्मचारी गए हैं. उन कर्मचारियों के पास सिर्फ एक गैलन पानी का होना और वनकर्मियों के पास आग बुझाने के लिए पर्याप्त सुविधाओं और इक्विपमेंट का ना होना विभाग की संवेदनशीलता और उदासीनता को दर्शाता है. उन्होंने आगे कहा कि जो चार वनकर्मी बुरी तरह से झुलस गए थे उनका उपचार अल्मोड़ा में नहीं हो पाया और उन्हें हायर सेंटर रेफर कर दिया गया.
अल्मोड़ा में बेस अस्पताल, महिला अस्पताल,मेडिकल कॉलेज समेत, 9 पीएचसी, 6 सीएचसी होने के बावजूद बर्न यूनिट का अभाव बना हुआ है. मुख्यमंत्री भले ही 10 लाख रुपए मुआवजे की बात कर रहे हैं, लेकिन वनाग्नि की चपेट में आने से जिनकी जान चली गई, उनके परिजनों के लिए 10 लाख रुपए मौत की कीमत नहीं हो सकती. क्योंकि यह सिस्टम का फेलियर है, इसलिए इन मौतों को स्वाभाविक मौत नहीं माना जा सकता है.
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