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6 वर्ष पुराने मामले में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को बड़ी राहत, मुकदमा निरस्त - अजय राय कोर्ट राहत

जीएसटी बिल के विरोध को लेकर धरना-प्रदर्शन करने और प्रधानमंत्री का पुतला फूंकने के मामले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय को बड़ी राहत मिली है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 24, 2024, 10:14 PM IST

वाराणसी : जीएसटी बिल के विरोध को लेकर धरना-प्रदर्शन करने और प्रधानमंत्री का पुतला फूंकने के मामले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय को बड़ी राहत मिली है. इस मामले में अजय राय के अधिवक्ता अनुज यादव ने एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट में आईपीसी की धारा 188 के तहत एफआईआर दर्ज करने, विवेचना कर आरोप पत्र प्रेषित करने व मजिस्ट्रेट द्वारा संज्ञान लेने पर आपत्ति दर्ज कराई थी. कहा था कि 188 आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज नहीं हो सकती, इसमें केवल परिवाद दाखिल हो सकता है.

उक्त एफआईआर और आरोप पत्र को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी. जिस पर उच्च न्यायालय द्वारा 188 आईपीसी के तहत दर्ज एफआईआर व आरोप पत्र को निरस्त कर दिया गया. उच्च न्यायालय के आदेश की प्रति एमपी-एमएलए कोर्ट में दाखिल की गई. जिस पर कोर्ट ने उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन करते हुए अजय राय के खिलाफ लंबित इस मुकदमे को निरस्त करते हुए पत्रावली को दाखिल दफ्तर किए जाने का आदेश पारित किया.

प्रकरण के अनुसार तत्कालीन लहुराबीर चौकी प्रभारी अमरेंद्र कुमार पाण्डेय ने एक जुलाई 2017 को चेतगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी. आरोप था कि जीएसटी कानून के विरोध में पूर्व विधायक अजय राय के नेतृत्व में 50-60 अज्ञात व्यक्ति सरकार के खिलाफ आक्रामक नारेबाजी करते हुए प्रधानमंत्री का पुतला लेकर फूंकने के लिए लहुराबीर चौराहे पर आए. इस पर पुलिस ने उन्हें जनपद में धारा 144 सीआरपीसी लागू होने का हवाला देकर रोकते हुए पुतला छीनने का प्रयास किया. इसी दौरान पहले से साथ लाए गए पेट्रोल को दूर से फेंक कर पुतला जला दिया गया. जिसके बाद अजय राय समेत 50-60 अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.

वाराणसी : जीएसटी बिल के विरोध को लेकर धरना-प्रदर्शन करने और प्रधानमंत्री का पुतला फूंकने के मामले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय को बड़ी राहत मिली है. इस मामले में अजय राय के अधिवक्ता अनुज यादव ने एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट में आईपीसी की धारा 188 के तहत एफआईआर दर्ज करने, विवेचना कर आरोप पत्र प्रेषित करने व मजिस्ट्रेट द्वारा संज्ञान लेने पर आपत्ति दर्ज कराई थी. कहा था कि 188 आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज नहीं हो सकती, इसमें केवल परिवाद दाखिल हो सकता है.

उक्त एफआईआर और आरोप पत्र को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी. जिस पर उच्च न्यायालय द्वारा 188 आईपीसी के तहत दर्ज एफआईआर व आरोप पत्र को निरस्त कर दिया गया. उच्च न्यायालय के आदेश की प्रति एमपी-एमएलए कोर्ट में दाखिल की गई. जिस पर कोर्ट ने उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन करते हुए अजय राय के खिलाफ लंबित इस मुकदमे को निरस्त करते हुए पत्रावली को दाखिल दफ्तर किए जाने का आदेश पारित किया.

प्रकरण के अनुसार तत्कालीन लहुराबीर चौकी प्रभारी अमरेंद्र कुमार पाण्डेय ने एक जुलाई 2017 को चेतगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी. आरोप था कि जीएसटी कानून के विरोध में पूर्व विधायक अजय राय के नेतृत्व में 50-60 अज्ञात व्यक्ति सरकार के खिलाफ आक्रामक नारेबाजी करते हुए प्रधानमंत्री का पुतला लेकर फूंकने के लिए लहुराबीर चौराहे पर आए. इस पर पुलिस ने उन्हें जनपद में धारा 144 सीआरपीसी लागू होने का हवाला देकर रोकते हुए पुतला छीनने का प्रयास किया. इसी दौरान पहले से साथ लाए गए पेट्रोल को दूर से फेंक कर पुतला जला दिया गया. जिसके बाद अजय राय समेत 50-60 अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.

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