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इंडी गठबंधन में दबाव का खेल; कांग्रेस ने यूपी उपचुनाव न लड़कर सपा पर बनाया दबाव, महाराष्ट्र में दिखेगा असर

पसंद की सीटें ना मिलने पर कांग्रेस ने अपने कोटे में आई दोनों सीट भी सपा को लड़ने के लिए दी, कहा-गठबंधन में लड़ेंगे चुनाव.

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कांग्रेस ने यूपी उपचुनाव न लड़कर सपा पर बनाया दबाव. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 25, 2024, 7:06 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस समाजवादी पार्टी गठबंधन मिलकर चुनाव लड़ेगी. हालांकि, इस चुनाव में कांग्रेस किसी भी सीट पर अपने प्रत्याशी नहीं उतारेगी. कांग्रेस में अचानक से गठबंधन में मिली दोनों सीटों को छोड़कर एक तीर से दो निशाना लगाया है.

पार्टी के नेताओं का कहना है कि जो सीटें समाजवादी पार्टी ने लड़ने को दी हैं, उनमें कांग्रेस के लिए ज्यादा कुछ नहीं था. ऐसे में पसंद की जो सीटें मांगी जा रही थी उनके नहीं मिलने से पार्टी को चुनाव में केवल हार मिलने की संभावना अधिक थी. इससे पार्टी की चुनावी तैयारी को भी झटका लग सकता था. वहीं, दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से एक भी सीट न लेने का जो फायदा कांग्रेस को मिलने वाला है, वह उसे महाराष्ट्र विधानसभा में उठाएगी.

राजनीतिक विशेषज्ञ प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में सीट न लड़कर अब समाजवादी पार्टी पर दबाव बढ़ा दिया है. कांग्रेस के इस निर्णय से जहां खुद को उत्तर प्रदेश में सिंपैथी गेन करने की मूड में है, तो वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र में महाविकास अगाड़ी में फंसे सीट के पेंच को हल करने का मौका देगा.

समाजवादी पार्टी की ओर से महाराष्ट्र की विधानसभा चुनाव में 12 सीटों पर चुनाव लड़ने का दबाव बनाया हुआ है. पर कांग्रेस उन्हें वहां पर दो से अधिक सिम देने के मूड में नहीं है. कांग्रेस के इस कदम से एक तो कांग्रेस को पहला फायदा यह होगा कि वह उत्तर प्रदेश में अगर गठबंधन में अपनी पसंद की सीटों पर भी चुनाव लड़ती और उनमें से किसी पर हार भी उसे मिलती तो यह उसके लिए एक बड़ा सेटबैक साबित होता.

अब कांग्रेस उससे बच जाएगी और समाजवादी पार्टी का जो भी प्रदर्शन होगा, उसके आधार पर खुद को आगे के लिए तैयार कर लेंगे. वहीं, दूसरा सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि उत्तर प्रदेश में चुनाव न लड़ने का सीधा असर महाराष्ट्र की सीट शेयरिंग पर दिखेगा. वहां पर अब अखिलेश यादव अपनी मनमर्जी से सीटें नहीं मांग सकते हैं.

UP By Election
अलका लांबा ने चारू कैन को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)

पहले कांग्रेस ज्वाइन की, अब बन गई सपा की प्रत्याशी: समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस की तरफ से गाजियाबाद और खैर विधानसभा सीटों पर चुनाव नहीं लड़ने के फैसले के बाद समाजवादी पार्टी ने कुछ ही समय बाद इन दोनों सीटों पर अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. समाजवादी पार्टी ने अलीगढ़ की खैर सुरक्षित विधानसभा सीट से चारू कैन को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. चारू कैन को अलका लांबा ने 5 अक्टूबर को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई थी.

वहीं उनके पति एडवोकेट कार्तिक चौधरी ने 17 सितंबर को लखनऊ स्थित कांग्रेस दफ्तर में अजय राय द्वारा सदस्यता दिलाई गई थी. कांग्रेस पार्टी गठबंधन में इस सीट के आने के प्रबल संभावना को देखकर पहले से ही यहां पर प्रत्याशियों की तलाश शुरू कर चुकी थी. ऐसे में मौजूदा प्रत्याशी को उन्होंने पार्टी की सदस्यता दिलाई थी, पर अब सीट नहीं लड़ने की घोषणा के बाद कांग्रेस में शामिल हुई नेता को ही समाजवादी पार्टी ने अपना प्रत्याशी बना दिया है.

ये भी पढ़ेंः यूपी के गावों में भी 24 घंटे मिलेगी बिजली, सीएम योगी ने जनता को दिया दीपावाली का तोहफा

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस समाजवादी पार्टी गठबंधन मिलकर चुनाव लड़ेगी. हालांकि, इस चुनाव में कांग्रेस किसी भी सीट पर अपने प्रत्याशी नहीं उतारेगी. कांग्रेस में अचानक से गठबंधन में मिली दोनों सीटों को छोड़कर एक तीर से दो निशाना लगाया है.

पार्टी के नेताओं का कहना है कि जो सीटें समाजवादी पार्टी ने लड़ने को दी हैं, उनमें कांग्रेस के लिए ज्यादा कुछ नहीं था. ऐसे में पसंद की जो सीटें मांगी जा रही थी उनके नहीं मिलने से पार्टी को चुनाव में केवल हार मिलने की संभावना अधिक थी. इससे पार्टी की चुनावी तैयारी को भी झटका लग सकता था. वहीं, दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से एक भी सीट न लेने का जो फायदा कांग्रेस को मिलने वाला है, वह उसे महाराष्ट्र विधानसभा में उठाएगी.

राजनीतिक विशेषज्ञ प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में सीट न लड़कर अब समाजवादी पार्टी पर दबाव बढ़ा दिया है. कांग्रेस के इस निर्णय से जहां खुद को उत्तर प्रदेश में सिंपैथी गेन करने की मूड में है, तो वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र में महाविकास अगाड़ी में फंसे सीट के पेंच को हल करने का मौका देगा.

समाजवादी पार्टी की ओर से महाराष्ट्र की विधानसभा चुनाव में 12 सीटों पर चुनाव लड़ने का दबाव बनाया हुआ है. पर कांग्रेस उन्हें वहां पर दो से अधिक सिम देने के मूड में नहीं है. कांग्रेस के इस कदम से एक तो कांग्रेस को पहला फायदा यह होगा कि वह उत्तर प्रदेश में अगर गठबंधन में अपनी पसंद की सीटों पर भी चुनाव लड़ती और उनमें से किसी पर हार भी उसे मिलती तो यह उसके लिए एक बड़ा सेटबैक साबित होता.

अब कांग्रेस उससे बच जाएगी और समाजवादी पार्टी का जो भी प्रदर्शन होगा, उसके आधार पर खुद को आगे के लिए तैयार कर लेंगे. वहीं, दूसरा सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि उत्तर प्रदेश में चुनाव न लड़ने का सीधा असर महाराष्ट्र की सीट शेयरिंग पर दिखेगा. वहां पर अब अखिलेश यादव अपनी मनमर्जी से सीटें नहीं मांग सकते हैं.

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अलका लांबा ने चारू कैन को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)

पहले कांग्रेस ज्वाइन की, अब बन गई सपा की प्रत्याशी: समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस की तरफ से गाजियाबाद और खैर विधानसभा सीटों पर चुनाव नहीं लड़ने के फैसले के बाद समाजवादी पार्टी ने कुछ ही समय बाद इन दोनों सीटों पर अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. समाजवादी पार्टी ने अलीगढ़ की खैर सुरक्षित विधानसभा सीट से चारू कैन को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. चारू कैन को अलका लांबा ने 5 अक्टूबर को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई थी.

वहीं उनके पति एडवोकेट कार्तिक चौधरी ने 17 सितंबर को लखनऊ स्थित कांग्रेस दफ्तर में अजय राय द्वारा सदस्यता दिलाई गई थी. कांग्रेस पार्टी गठबंधन में इस सीट के आने के प्रबल संभावना को देखकर पहले से ही यहां पर प्रत्याशियों की तलाश शुरू कर चुकी थी. ऐसे में मौजूदा प्रत्याशी को उन्होंने पार्टी की सदस्यता दिलाई थी, पर अब सीट नहीं लड़ने की घोषणा के बाद कांग्रेस में शामिल हुई नेता को ही समाजवादी पार्टी ने अपना प्रत्याशी बना दिया है.

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