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दिल्ली केदारनाथ मंदिर विवाद, कांग्रेस ने CM पर साधा निशाना, बोली- गुमराह करने के लिए जनता से मांगे माफी - Delhi Kedarnath Temple Dispute - DELHI KEDARNATH TEMPLE DISPUTE

Delhi Kedarnath Temple Dispute दिल्ली केदारनाथ मंदिर निर्माण विवाद मामले पर कांग्रेस भी कूद गई है. कांग्रेस ने मंदिर शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल होने पर मुख्यमंत्री को जमकर कोसा है. कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया है.

Delhi Kedarnath Temple Dispute
दिल्ली केदारनाथ मंदिर विवाद मामले पर कांग्रेस ने CM पर साधा निशाना (PHOTO- ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 16, 2024, 4:01 PM IST

Updated : Jul 16, 2024, 5:12 PM IST

दिल्ली केदारनाथ मंदिर विवाद मामले पर कांग्रेस ने CM पर साधा निशाना (PHOTO-ETV BHARAT)

देहरादूनः दिल्ली के बुराड़ी में बनाए जा रहे केदारनाथ मंदिर स्वरूप को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों और शंकराचार्य के विरोध के बाद उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए इस मुद्दे पर सरकार को जमकर घेरा है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए गोदियाल ने दिल्ली में बनाए जा रहे केदारनाथ मंदिर के प्रतीकात्मक स्वरूप के शिलान्यास का विरोध किया. गोदियाल ने मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के उस बयान का भी विरोध किया जिसमें उन्होंने कहा कि दिल्ली में बनाए जा रहे केदारनाथ मंदिर के स्वरूप को लेकर जनता को गुमराह किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री इसके लिए जनता से माफी मांगेंगे तो बेहतर रहेगा.

गोदियाल ने कहा कि, दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने शिरकत की, आखिर इसका आशय क्या है? गोदियाल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि की भूमिका निभाई थी और उन्होंने कार्यक्रम में शामिल होकर गौरव पाने की कोशिश की. लेकिन वास्तव में मुख्यमंत्री ही जनता को गुमराह करने में लगे हुए हैं.

ऐसे में मुख्यमंत्री ने भले ही जाने अनजाने में यह भूल की होगी, लेकिन मुख्यमंत्री को बड़प्पन दिखाते हुए वह अपने पद का उपयोग करके दिल्ली में बनाए जा रहे मंदिर का नाम बदलते. गोदियाल ने कहा कि केदारनाथ मंदिर से शीला ले जाकर दिल्ली में फाउंडेशन स्टोन रखा गया जो कि हमारे धर्म, आध्यात्मिक मान्यताओं को व्यवसायिक मार्ग पर ले जाने का प्रयास है.

मुख्यमंत्री के पास अब भी उत्तराखंड की आस्था को बचाने के लिए वक्त बचा है. पुणे, दिल्ली ले जाई गई शिला को वापस लाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कोई भी मंदिर बनाएं, लेकिन केदारनाथ की प्रतिकृति नहीं बननी चाहिए. ऐसे में मुख्यमंत्री किसी की भावनाओं को आहत नहीं कर सकते हैं और हम उस संस्था से भी निवेदन कर रहे हैं कि यह हमारी आस्था का प्रश्न है. इसलिए दिल्ली में केदारनाथ की प्रतिकृति नहीं बनाई जाए.

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने भी इस मसले पर सरकार पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने उत्तराखंड केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोने की परत का मामला उठाते हुए कहा कि 228 किलो सोना चोरी हो गया. वह सोना कहां गया? पता नहीं चला. उसके बावजूद मुख्यमंत्री शिला लेकर दिल्ली कैसे चले गए. ऐसे में क्या पुरातत्व विभाग मुख्यमंत्री पर कार्रवाई करेगा. उन्होंने कहा कि पूरे देश में केवल चार धाम है. पांचवा धाम नहीं हो सकता है. लेकिन भाजपा सरकार धाम को व्यापार का केंद्र बना रही है.

ये भी पढ़ेंः दिल्ली केदारनाथ मंदिर के संस्थापक का बयान, विरोध करने वालों को सद्बुद्धि दें भगवान, नाम बदलने को तैयार

दिल्ली केदारनाथ मंदिर विवाद मामले पर कांग्रेस ने CM पर साधा निशाना (PHOTO-ETV BHARAT)

देहरादूनः दिल्ली के बुराड़ी में बनाए जा रहे केदारनाथ मंदिर स्वरूप को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों और शंकराचार्य के विरोध के बाद उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए इस मुद्दे पर सरकार को जमकर घेरा है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए गोदियाल ने दिल्ली में बनाए जा रहे केदारनाथ मंदिर के प्रतीकात्मक स्वरूप के शिलान्यास का विरोध किया. गोदियाल ने मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के उस बयान का भी विरोध किया जिसमें उन्होंने कहा कि दिल्ली में बनाए जा रहे केदारनाथ मंदिर के स्वरूप को लेकर जनता को गुमराह किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री इसके लिए जनता से माफी मांगेंगे तो बेहतर रहेगा.

गोदियाल ने कहा कि, दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने शिरकत की, आखिर इसका आशय क्या है? गोदियाल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि की भूमिका निभाई थी और उन्होंने कार्यक्रम में शामिल होकर गौरव पाने की कोशिश की. लेकिन वास्तव में मुख्यमंत्री ही जनता को गुमराह करने में लगे हुए हैं.

ऐसे में मुख्यमंत्री ने भले ही जाने अनजाने में यह भूल की होगी, लेकिन मुख्यमंत्री को बड़प्पन दिखाते हुए वह अपने पद का उपयोग करके दिल्ली में बनाए जा रहे मंदिर का नाम बदलते. गोदियाल ने कहा कि केदारनाथ मंदिर से शीला ले जाकर दिल्ली में फाउंडेशन स्टोन रखा गया जो कि हमारे धर्म, आध्यात्मिक मान्यताओं को व्यवसायिक मार्ग पर ले जाने का प्रयास है.

मुख्यमंत्री के पास अब भी उत्तराखंड की आस्था को बचाने के लिए वक्त बचा है. पुणे, दिल्ली ले जाई गई शिला को वापस लाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कोई भी मंदिर बनाएं, लेकिन केदारनाथ की प्रतिकृति नहीं बननी चाहिए. ऐसे में मुख्यमंत्री किसी की भावनाओं को आहत नहीं कर सकते हैं और हम उस संस्था से भी निवेदन कर रहे हैं कि यह हमारी आस्था का प्रश्न है. इसलिए दिल्ली में केदारनाथ की प्रतिकृति नहीं बनाई जाए.

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने भी इस मसले पर सरकार पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने उत्तराखंड केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोने की परत का मामला उठाते हुए कहा कि 228 किलो सोना चोरी हो गया. वह सोना कहां गया? पता नहीं चला. उसके बावजूद मुख्यमंत्री शिला लेकर दिल्ली कैसे चले गए. ऐसे में क्या पुरातत्व विभाग मुख्यमंत्री पर कार्रवाई करेगा. उन्होंने कहा कि पूरे देश में केवल चार धाम है. पांचवा धाम नहीं हो सकता है. लेकिन भाजपा सरकार धाम को व्यापार का केंद्र बना रही है.

ये भी पढ़ेंः दिल्ली केदारनाथ मंदिर के संस्थापक का बयान, विरोध करने वालों को सद्बुद्धि दें भगवान, नाम बदलने को तैयार

Last Updated : Jul 16, 2024, 5:12 PM IST
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