देहरादूनः साल 2000 में उत्तराखंड राज्य का गठन होने के बाद भाजपा की अंतरिम सरकार बनी थी. इसके बाद 2002 में कांग्रेस की पहली निर्वाचित सरकार बनी. इसके बाद 2007 में भाजपा ने चुनाव जीतकर अपनी सरकार बनाई. फिर 2012 में हुए विधानसभा चुनाव ने कांग्रेस ने चुनाव जीतकर सत्ता काबिज की. इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 57 सीटें जीतकर बड़ा बहुमत हासिल किया. इसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव और फिर 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा. इसके अलावा, निकाय और पंचायत चुनाव में भी कांग्रेस कोई कमाल नहीं कर पाई.
साल 2016 में हुए दलबदल की घटना के बाद कांग्रेस के जीत का ग्राफ लगातार गिरता गया. साल 2016 से अब तक इन 8 साल में लोकसभा, विधानसभा, नगर निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हो चुके हैं. लेकिन किसी भी चुनाव में कांग्रेस को जीत हासिल नहीं हुई है.
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अब उत्तराखंड की दो विधानसभा सीट बदरीनाथ और मंगलौर पर उपचुनाव होने जा रहा है. कांग्रेस एक बार फिर से जीत का दम भर रही है. कांग्रेस को उम्मीद है कि इन दोनों उपचुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी चुनाव जीतेंगे. इसके लिए कांग्रेस ने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा भी कर दी है.
भाजपा-कांग्रेस ने घोषित किए प्रत्याशी: कांग्रेस ने मंगलौर विधानसभा सीट पर काजी निजामुद्दीन और बदरीनाथ विधानसभा सीट पर लखपत बुटोला को प्रत्याशी घोषित किया है. जबकि, भाजपा ने मंगलौर विधानसभा सीट पर करतार सिंह भड़ाना और बदरीनाथ विधानसभा सीट पर कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए राजेंद्र सिंह भंडारी को उम्मीदवार बनाया है.
भाजपा ने बताया कांग्रेस के हार का कारण: भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष ज्योति प्रसाद गैरोला का कहना है कि पिछले कुछ सालों से कांग्रेस धरातल पर कमजोर दिखाई दे रही है. जिसकी मुख्य वजह कांग्रेस के भीतर नेतृत्व का बिखराव, नेतृत्व की दिशाहीनता, राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों को सही ढंग से ना उठा पाना है. इसके साथ ही कोर कैडर में बिखराव और नेताओं का पार्टी छोड़ना भी बड़ा कारण है. यही वजह है कि कांग्रेस 2016 से लगातार चुनाव हार रही है.
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गैरोला ने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत भी एक बड़ा फैक्टर हैं. हरीश रावत का राजनीति केवल परिवार तक सीमित हो जाना और अपनी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति परिवार के लिए ही करना, बड़ा कारण है. उन्होंने कहा कि, जब तक हरीश रावत समाज और विकास के लिए राजनीति करते रहे, तब तक सब ठीक रहा. लेकिन जब हरीश रावत ने परिवार की बात की, उसके बाद नेताओं का बिखरना भी शुरू हुआ.
कांग्रेस बोली, अनैतिक तरीके से भाजपा ने जीते चुनाव: भाजपा के जवाब पर राष्ट्रीय कांग्रेस के सीडब्ल्यूसी मेंबर एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि हम अपना काम कर रहे हैं. हम जितने समर्थ हैं, उतना काम कर रहे हैं. लेकिन भाजपा अनैतिक तरीके से चुनाव जीत रही है. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में बदरीनाथ विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक रहे राजेंद्र सिंह भंडारी को भाजपा में शामिल कराने की कोई नैतिकता भाजपा साबित कर सकती है, या फिर खुद राजेंद्र भंडारी नैतिकता साबित कर सकते हैं? ऐसे में भाजपा की गलत तरीके से चुनाव जीतने की मंशा परवान चढ़ी, जिसके चलते भाजपा लगातार चुनावों को जीत रही है.
2017 और 2022 विधानसभा चुनाव: 2016 दलबदल के बाद उत्तराखंड में 2017 और 2022 में विधानसभा चुनाव हुआ. 2017 में भाजपा 57 सीटें जीतकर सत्ता पर काबिज हुई. जबकि कांग्रेस मात्र 11 सीटों पर सिमट गई. 2 सीटें अन्य के खाते में गई. 2022 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने बहुमत का आंकड़ा पाकर सत्ता में वापसी की. इस बार भाजपा को 47 सीटें और कांग्रेस को 19 सीटें मिली.
2018 नगर निकाए और 2019 त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव: नगर निकाय चुनाव 2018 में 7 नगर निगम समेत 84 नगर निकायों पर चुनाव हुए थे. जिसमें से 34 सीटों पर भाजपा, 25 सीटों पर कांग्रेस, एक सीट बसपा और 23 सीट निर्दलीय के हाथों में गई थी. कुल 84 नगर निकायों में 7 नगर निगम की सीटें भी थी. जिसमें से भाजपा पांच सीटें और कांग्रेस ने दो सीटें जीती थी. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2019 में भाजपा को जिला पंचायत सदस्यों की 116 सीटें, 109 सीटों के निर्दलीय, जबकि कांग्रेस ने 80 सीटें जीती थी.
2019 और 2024 लोकसभा चुनावः 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उत्तराखंड की पांचों सीटें हारी. दोनों ही चुनाव में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया
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