नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी भले ही इंडिया गठबंधन के तहत दिल्ली की सात में से तीन सीटों पर लड़े चुनाव को हार गई हो लेकिन अब वो अगले साल 2025 के विधानसभा चुनाव में कोई कोर कसर छोड़ने के मूड में नहीं हैं. दरअसल, कांग्रेस फिलहाल 25 ऐसी विधानसभा सीटों पर पूरा फोकस कर रही है जोकि वह इस बार लोकसभा चुनाव और पिछले चुनावों में बहुत कम वोटों के मार्जिन के साथ हारी है. इसके चलते कांग्रेस इन 25 सीटों पर चुनावों से काफी पहले ही अपने कैंडिडेट्स का ऐलान करने की तैयारी में है. यह प्रदेश कांग्रेस पार्टी की ओर से लीक से हटकर उठाया जाने वाला अलग तरह का कदम होगा.
इस बीच देखा जाए तो कांग्रेस ने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव को आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था. दोनों पार्टियों के बीच इंडिया गठबंधन के तहत सीटों का बंटवारा हुआ था जिसके चलते कांग्रेस ने सात में 3 सीटों पर अपनी पार्टी के सिंबल पर प्रत्याशी उतारे थे. कांग्रेस ने चांदनी चौक, नॉर्थ ईस्ट और नॉर्थ वेस्ट लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था. इन तीनों सीटों पर कांग्रेस ने अच्छा और मजबूत चुनाव लड़ा है जिसको लेकर प्रदेश नेतृत्व काफी उत्साहित है. लोकसभा चुनाव में हार के कारणों का मंथन किया जा रहा है और विश्लेषण किया जा रहा है कि आखिर इसको आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में किस तरह से भुनाया जा सके.
25 सीटों पर कांग्रेस का पूरा फोकस
कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 70 में से 25 ऐसी सीटों पर पूरा फोकस कर रही है जिसमें उसको अच्छा वोट हासिल हुआ है. इन विधानसभाओं में संगठन को ग्राउंड लेवल पर और मजबूत करने की तैयारी में है. इसको लेकर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष देवेन्द्र यादव और पार्टी के प्रदेश स्तर के नेताओं व संगठन पदाधिकारियों के बीच कई मीटिंग भी हुई हैं. कांग्रेस जिन 25 सीटों पर अपना पूरा फोकस बनाए हुए उनमें वो सीटें ज्यादा शामिल हैं जहां पर उनको मामूली अंतर से हार मिली है.
इन सभी पहलुओं पर विचार विमर्श करने के बाद पार्टी इन सीटों पर आगामी विधानसभा चुनाव से महीनों पहले ही अपने कैंडिडेट घोषित करने की तैयारी में है. दिल्ली कांग्रेस के सीनियर लीडर इन सीटों को मिशन-2025 के तहत दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 'फोकस सीटों' के रूप में देख रहे हैं.
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70 में से 62 विधानसभा सीटों पर AAP काबिज
दरअसल, दिल्ली विधानसभा में कांग्रेस का एक भी जीता हुआ विधायक नहीं है. दिल्ली की 70 में से 62 विधानसभा सीटों पर जहां आम आदमी पार्टी काबिज हैं तो बाकी 8 सीटों पर बीजेपी के विधायक हैं. दिल्ली विधानसभा में कांग्रेस का जीरो प्रतिनिधित्व है. लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब कांग्रेस और आम आदमी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव अलग-अलग लड़ने की पहले ही घोषणा कर चुके हैं और साफ कर चुके हैं कि 'इंडिया गठबंधन' सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए किया गया था.
पार्टी सूत्रों की माने तो 4 जून को नतीजे सामने आने के बाद से दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने पार्टी संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए मौजूदा स्थिति का लगातार आकलन कर रहे हैं. इसको लेकर कई स्तर पर मीटिंग आयोजित की जा चुकी हैं.
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दिल्ली का कांग्रेस का चांदनी चौक संसदीय सीट के अंतर्गत आने वाली चांदनी चौक विधानसभा, मटिया महल विधानसभा और बल्लीमारान विधानसभाओं पर पूरा फोकस है. इनमें से चांदनी चौक सीट पर 15,000, मटिया महल से 47,000 और बल्लीमारान से करीब 29,000 वोटों के अंतर से जीत हासिल हुई हैं. वहीं सदर बाजार सीट को कांग्रेस ने 10,000 वोटों के अंतराल से हारा है.
इसी तरह से नॉर्थ ईस्ट लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली सीमापुरी विधानसभा में कांग्रेस ने 5,500 से अधिक वोटों के अंतराल से जीत हासिल की थी. इसके अलावा सीलमपुर को 51,000 वोटों, मुस्तफाबाद को 25,000 वोटों और बाबरपुर विधानसभा को 16,000 वोटों के अंतराल से कांग्रेस ने जीता था. लेकिन गोकलपुर विधानभा में 10,500 से मात मिली.
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को कुल 18.51 फीसदी वोट हासिल हुआ है जबकि आम आदमी पार्टी को लोकसभा चुनाव 2024 में 24.17 प्रतिशत वोट शेयर प्राप्त हुआ है. दोनों पार्टियों के लिए इस चुनाव में एक अच्छी बात यह रही है कि लोकसभा चुनाव 2019 की तुलना में इस चुनाव में उसके वोट पर्सेंटेज में वृद्धि रिकॉर्ड हुई है जिसको लेकर वो काफी उत्साहित हैं. बीजेपी को 54.35 फीसदी वोट हासिल हुआ है.
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