भोपाल। लोकसभा चुनाव की तारीखों के चौबीस घंटे पहले जिस समय कांग्रेस को अपनी चुनावी रणनीति को अंतिम रुप दे देना चाहिए उस समय एमपी में कांग्रेस की सबसे बड़ी टेंशन है कि बीजेपी की ओर लगी कांग्रेसियों की दौड़ को कैसे संभाला जाए. बीजेपी से कांग्रेस की तरफ बह रही धारा में पार्टी के बड़े दरख्त तो टूट ही रहे हैं, उनके साथ पार्टी संगठन की कमजोर पौध बड़ी तादात में उखड़ रही है. एमपी बीजेपी में न्यू ज्वाइनिंग टोली के दिन रात खुले दफ्तर में अब तक भाजपा युक्त कांग्रेसियों का आंकड़ा पांच हजार को पार कर चुका है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी अब मीडिया से पूछते हैं कि कांग्रेस में नया कौन गया. कांग्रेस मुक्त बूथ से बड़ा सवाल है थोक के भाव में हो रही न्यू ज्वाइनिंग के बाद क्या बीजेपी का मूल चरित्र बाकी रह पाएगा. पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा कहते हैं "अगर कोई राष्ट्रवादी होने आ रहा है तो उसका स्वागत है. लेकिन, छंटनी करनी पड़ेगी कि कौन गणेश है और उसे प्रथम पूज्य मानकर बिठाना है और कौन स्वार्थ से आ रहा है किसे दरवाजे से आगे नहीं बढ़ाना है."
तो क्या एमपी में सबसे ज्यादा कांग्रेसी टूटे...
इंदौर के कांग्रेस नेता अंतर सिंह दरबार और पंकज सिंघवी द्वारा भाजपा की सदस्यता लेते समय सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि "देश में सबे ज्यादा मध्य प्रदेश में ही पीएम मोदी का परिवार बढ़ रहा है." मालवा में कांग्रेस का चेहरा रहे अंतर सिंह दरबार और पंकज सिंघवी भी लाव लश्कर के साथ बीजेपी की सदस्यता लेने पहुंचे थे. इनके पहले अब तक पांच हजार से ज्यादा छोटे बड़े कांग्रेसी बीजेपी की सदस्यता ले चुके हैं. इनमें केन्द्रीय मंत्री से लेकर पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक सब शामिल हैं. बीजेपी ने कोई तय समय के लिए सदस्यता नहीं खोली फिर क्या वजह है कि हफ्ते के चार दिन कभी महाकौशल, कभी बुंदेलखंड, कभी मालवा से इस तादात में टूट हो रही है.
वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं, "इसमें दोनों बातें हैं, एक तरफ कांग्रेस समय रहते अपने ही नेताओ को संभाल नहीं पाई. दूसरा भविष्य दिखाई नहीं दे रहा कांग्रेस में. मैं ये नहीं कहता कि जो भीड़ आ रही है वो सारे ही लोग बीजेपी की रीति नीति से प्रभावित होकर आ रहे होंगे. इनमें बड़ी तादात उन लोगों की ही है जो अपना भविष्य सुरक्षित करने बीजेपी का रुख कर चुके हैं."
नए की अगुवानी में पुराने का सम्मान ना खत्म हो
पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा- "देखिए जो लोग जिस भी दल में थे उन्होंने मूल विचारधारा को त्याग दिया, मूल संस्कार छोड़कर वो एक नए दल में आ रहे हैं. अगर कोई राष्ट्रवादी हो जाए. राष्ट्र धर्म सर्वोपरि को अपनाए तो इससे बेहतर क्या है. हमें प्रसन्नता है कि हमारा वैचारिक परिवार बढ़ रहा है. लेकिन पार्टी नेतृत्व को अब इस बात का ध्यान रखना होगा. हम छंटनी करते चलें. हमें पता होना चाहिए कि इनमें से कौन प्रथम पूज्य गणेश की तरह पहले स्थान पर बिठाया जा सकता है. कौन केवल सत्ता के मोह में स्वार्थ से आ रहा है, तो उसे किस जगह रखना है."
रघुनंदन शर्मा ने कहा कि "पार्टी को ऐसे प्रशिक्षण वर्ग करने होंगे ताकि इन्हें पार्टी की विचारधारा रीति नीति से अवगत कराया जा सके. विचारधारा का इनमें प्रवेश कराया जा सके. उन्हें विचारधारा घोंट के पिलाई जा सके. ये सावधानी रखनी होगी और उसके साथ बड़ी सावधानी ये भी कि जो पुराने कार्यकर्ता हैं उनका मान सम्मान बना रहना चाहिए. जिन्होंने इतने वर्ष जीवन के पार्टी को दिए वो किनारे ना हों. नए का स्वागत लेकिन पुराने का भी सम्मान."