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भाजपा के किले में सेंधमारी की तैयारी में कांग्रेस, खूंटी और तोरपा से टिकट के कई दावेदार! - Jharkhand Assembly Election 2024

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 2 hours ago

Khunti assembly seat. झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है, लेकिन अब तक इंडिया ब्लॉक के दलों और एनडीए में शामिल पार्टियां सीट शेयरिंग का फार्मूला तय नहीं कर पाई हैं. ऐसे में दोनों खेमे की तरफ से दावेदारी का दौर शुरू है. खूंटी सीट पर कांग्रेस की ओर से दावेदारों की लंबी लिस्ट है. खबर में जानिए कौन-कौन हैं टिकट की रेस में.

Khunti Assembly Seat
ग्राफिक्स इमेज (डिजाइन इमेज-ईटीवी भारत)

खूंटीः लोकसभा चुनाव में भाजपा के किले में सेंधमारी करने के बाद कांग्रेस अब खूंटी विधानसभा में जीत सुनिश्चित करने की तैयारी में जुट गई है. लोकसभा चुनाव में डेढ़ लाख मतों से जीत दर्ज करने के बाद कांग्रेस आत्मविश्वास से लबरेज है और खूंटी विधानसभा सीट पर दावा कर रही है. खूंटी और तोरपा विधानसभा सीट पर कांग्रेस की ओर से दर्जनों नेताओं ने अपनी दावेदारी पेश की है.

कांग्रेस की नजर खूंटी और तोरपा सीट पर

झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस इस बार ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. पार्टी ने अपनी तैयारियां भी शुरू कर दी है. पिछले चुनाव में कांग्रेस को गठबंधन के तहत 31 सीटें मिली थी, जिनमें से 17 सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. इस बार कांग्रेस की नजर कुछ और सीटों पर है. इसके लिए पार्टी ने अभी से माहौल बनाना शुरू कर दिया है. हालांकि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि सीट शेयरिंग और चुनाव मामले पर आलाकमान ही अंतिम निर्णय लेगा. 30 अगस्त को खूंटी आये प्रदेश अध्यक्ष ने कहा था कि जो आलाकमान तय करेंगे वही उम्मीदवार होगा.

तोरपा के लिए कांग्रेस से ये दोनों नेता रेस में

खूंटी में कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने खूंटी और तोरपा पर दावेदारी पेश की है. जिसमें दयामनी बारला के नाम की सबसे अधिक चर्चा है. बताया जा रहा है कि दयामनी बारला ने तोरपा सीट के लिए अपना प्रोफाइल भेजा है और कांग्रेस दयामनी को प्रमोट करने के लिए मेहनत भी कर रही है. 1995 में शुरू हुआ कोयल कारो आंदोलन से पहचान बनाकर दयामनी बारला आज एक आदिवासी नेत्री के तौर पर जानी जाती हैं. दयामनी आदिवासी-मूलवासियों के मुद्दों को लेकर हमेशा से मुखर रही हैं. आप पार्टी के बैनर से 2014 में खूंटी लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं. झारखंड विकास मोर्चा से 2019 में खूंटी विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं.

वहीं तोरपा से कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी पुनीत हेंब्रम रेस में हैं. पुनीत हेंब्रम 1996 से लगातार कांग्रेस पार्टी से जुड़े हुए हैं. पुनीत को पार्टी ने विभिन्न पदों की जिमेदारी दी है. यही नहीं 2005 के चुनाव में कांग्रेस ने पुनित को उम्मीदवार भी बनाया था, लेकिन झामुमो और कांग्रेस के साथ हुए गठबंधन के बाद नाम वापस लिया था. 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से पुनित को उम्मीदवार बनाया था लेकिन झामुमो प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी.

कांग्रेस से इनके नामों की भी है चर्चा

इसके अलावा युवा कांग्रेस पार्टी के पूर्व युवा अध्यक्ष, प्रदेश महासचिव युवा कांग्रेस के कुणाल कमल कच्छप ने तोरपा सीट पर अपना दावा पेश किया है. इसके अलावा जॉन कंडुलना, बानो निवासी अजीत कंडुलना, हेलेन होरो के नाम की भी चर्चा है. जबकि खूंटी सीट के लिए बिरहु पंचायत से लगातार मुखिया रहे व वर्तमान में जिला परिषद सदस्य सुशील सांगा, कांग्रेस युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अरुण सांगा, शशि कांत उर्फ अनमोल होरो, बिलसन टोपनो, पांड्या मुंडू, संजीव परिधिया, पौलुष पूर्ति, एडवर्ड हंस, पीटर मुंडू, विलसन वोदरा, बिनसाय मुंडा, स्वर्गीय पूर्व सांसद सुशीला केरकेट्टा की पोती सारोन सुरीन (पूर्व उम्मीदवार रोशन सुरीन), रोंबा गुड़िया के नाम की भी चर्चा है.

चंद्रशेखर ने भाजपा की जीत का किया दावा

चुनावी समीकरण पर खूंटी भाजपा के जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर गुप्ता ने बताया कि खूंटी में कार्यकर्ताओं के बीच गुटबाजी की जानकारी नहीं है. चुनाव की बात करें तो भाजपा पूरी तरह से तैयार है. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि बीजेपी खूंटी में ही नहीं, बल्कि पूरे झारखंड में जीत हासिल करेगी और सरकार बनाएगी. वहीं कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए चंद्रशेखर गुप्ता ने कहा कि जमानत जब्त वाले भी जीत का दावा करते हैं.

कहा कहते हैं कांग्रेस जिलाध्यक्ष

वहीं खूंटी कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रवि मिश्रा ने कहा कि लोकसभा सीट जीते हैं और आगामी विधानसभा सीट भी जीतेंगे. कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने तोरपा और खूंटी सीट पर दावा किया है. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि यदि कांग्रेस दोनों सीटों पर चुनाव लड़ती है तो जीत निश्चित है.

खूंटी और तोरपा सीट पर बदलाव के संकेत

वहीं इस संबंध में खूंटी के समाजसेवी सह राजनीतिज्ञ विशेषज्ञ दिलीप मिश्रा ने बताया कि खूंटी की दोनों ही सीटों पर बदलाव के संकेत मिले हैं. राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों के क्रियाकलापों से वोटरों में भी चेहरे बदलने को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं.

तोरपा विधानसभा सीट का इतिहास

तोरपा सीट पर झामुमो और कांग्रेस के गठबंधन पर निर्भर करता है कि वहां उम्मीदवार कौन रहेगा, लेकिन झामुमो ने लगातार इस सीट पर जीत हासिल की है. बता दें कि वर्ष 2005 के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार ने नामांकन दाखिल करने के बाद अपना नाम वापस ले लिया था. इसके पीछे कारण था झामुमो से कांग्रेस का गठबंधन उसके बाद झामुमो की वापसी हुई. लेकिन 2014 में गठबंधन टूट गया और कांग्रेस ने फिर से पुनीत हेंब्रम को उम्मीदवार बनाया लेकिन झामुमो जीत गया. उसके बाद 2019 में झामुमो ने उम्मीदवार बदला तो भाजपा से कोचे मुंडा ने तोरपा सीट पर जीत दर्ज की. कांग्रेस को उम्मीद है कि इस बार कांग्रेस अगर खूंटी और तोरपा पर उम्मीदवार दे तो दोनों सीट कांग्रेस की झोली में होगी.

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खूंटीः लोकसभा चुनाव में भाजपा के किले में सेंधमारी करने के बाद कांग्रेस अब खूंटी विधानसभा में जीत सुनिश्चित करने की तैयारी में जुट गई है. लोकसभा चुनाव में डेढ़ लाख मतों से जीत दर्ज करने के बाद कांग्रेस आत्मविश्वास से लबरेज है और खूंटी विधानसभा सीट पर दावा कर रही है. खूंटी और तोरपा विधानसभा सीट पर कांग्रेस की ओर से दर्जनों नेताओं ने अपनी दावेदारी पेश की है.

कांग्रेस की नजर खूंटी और तोरपा सीट पर

झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस इस बार ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. पार्टी ने अपनी तैयारियां भी शुरू कर दी है. पिछले चुनाव में कांग्रेस को गठबंधन के तहत 31 सीटें मिली थी, जिनमें से 17 सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. इस बार कांग्रेस की नजर कुछ और सीटों पर है. इसके लिए पार्टी ने अभी से माहौल बनाना शुरू कर दिया है. हालांकि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि सीट शेयरिंग और चुनाव मामले पर आलाकमान ही अंतिम निर्णय लेगा. 30 अगस्त को खूंटी आये प्रदेश अध्यक्ष ने कहा था कि जो आलाकमान तय करेंगे वही उम्मीदवार होगा.

तोरपा के लिए कांग्रेस से ये दोनों नेता रेस में

खूंटी में कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने खूंटी और तोरपा पर दावेदारी पेश की है. जिसमें दयामनी बारला के नाम की सबसे अधिक चर्चा है. बताया जा रहा है कि दयामनी बारला ने तोरपा सीट के लिए अपना प्रोफाइल भेजा है और कांग्रेस दयामनी को प्रमोट करने के लिए मेहनत भी कर रही है. 1995 में शुरू हुआ कोयल कारो आंदोलन से पहचान बनाकर दयामनी बारला आज एक आदिवासी नेत्री के तौर पर जानी जाती हैं. दयामनी आदिवासी-मूलवासियों के मुद्दों को लेकर हमेशा से मुखर रही हैं. आप पार्टी के बैनर से 2014 में खूंटी लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं. झारखंड विकास मोर्चा से 2019 में खूंटी विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं.

वहीं तोरपा से कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी पुनीत हेंब्रम रेस में हैं. पुनीत हेंब्रम 1996 से लगातार कांग्रेस पार्टी से जुड़े हुए हैं. पुनीत को पार्टी ने विभिन्न पदों की जिमेदारी दी है. यही नहीं 2005 के चुनाव में कांग्रेस ने पुनित को उम्मीदवार भी बनाया था, लेकिन झामुमो और कांग्रेस के साथ हुए गठबंधन के बाद नाम वापस लिया था. 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से पुनित को उम्मीदवार बनाया था लेकिन झामुमो प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी.

कांग्रेस से इनके नामों की भी है चर्चा

इसके अलावा युवा कांग्रेस पार्टी के पूर्व युवा अध्यक्ष, प्रदेश महासचिव युवा कांग्रेस के कुणाल कमल कच्छप ने तोरपा सीट पर अपना दावा पेश किया है. इसके अलावा जॉन कंडुलना, बानो निवासी अजीत कंडुलना, हेलेन होरो के नाम की भी चर्चा है. जबकि खूंटी सीट के लिए बिरहु पंचायत से लगातार मुखिया रहे व वर्तमान में जिला परिषद सदस्य सुशील सांगा, कांग्रेस युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अरुण सांगा, शशि कांत उर्फ अनमोल होरो, बिलसन टोपनो, पांड्या मुंडू, संजीव परिधिया, पौलुष पूर्ति, एडवर्ड हंस, पीटर मुंडू, विलसन वोदरा, बिनसाय मुंडा, स्वर्गीय पूर्व सांसद सुशीला केरकेट्टा की पोती सारोन सुरीन (पूर्व उम्मीदवार रोशन सुरीन), रोंबा गुड़िया के नाम की भी चर्चा है.

चंद्रशेखर ने भाजपा की जीत का किया दावा

चुनावी समीकरण पर खूंटी भाजपा के जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर गुप्ता ने बताया कि खूंटी में कार्यकर्ताओं के बीच गुटबाजी की जानकारी नहीं है. चुनाव की बात करें तो भाजपा पूरी तरह से तैयार है. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि बीजेपी खूंटी में ही नहीं, बल्कि पूरे झारखंड में जीत हासिल करेगी और सरकार बनाएगी. वहीं कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए चंद्रशेखर गुप्ता ने कहा कि जमानत जब्त वाले भी जीत का दावा करते हैं.

कहा कहते हैं कांग्रेस जिलाध्यक्ष

वहीं खूंटी कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रवि मिश्रा ने कहा कि लोकसभा सीट जीते हैं और आगामी विधानसभा सीट भी जीतेंगे. कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने तोरपा और खूंटी सीट पर दावा किया है. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि यदि कांग्रेस दोनों सीटों पर चुनाव लड़ती है तो जीत निश्चित है.

खूंटी और तोरपा सीट पर बदलाव के संकेत

वहीं इस संबंध में खूंटी के समाजसेवी सह राजनीतिज्ञ विशेषज्ञ दिलीप मिश्रा ने बताया कि खूंटी की दोनों ही सीटों पर बदलाव के संकेत मिले हैं. राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों के क्रियाकलापों से वोटरों में भी चेहरे बदलने को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं.

तोरपा विधानसभा सीट का इतिहास

तोरपा सीट पर झामुमो और कांग्रेस के गठबंधन पर निर्भर करता है कि वहां उम्मीदवार कौन रहेगा, लेकिन झामुमो ने लगातार इस सीट पर जीत हासिल की है. बता दें कि वर्ष 2005 के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार ने नामांकन दाखिल करने के बाद अपना नाम वापस ले लिया था. इसके पीछे कारण था झामुमो से कांग्रेस का गठबंधन उसके बाद झामुमो की वापसी हुई. लेकिन 2014 में गठबंधन टूट गया और कांग्रेस ने फिर से पुनीत हेंब्रम को उम्मीदवार बनाया लेकिन झामुमो जीत गया. उसके बाद 2019 में झामुमो ने उम्मीदवार बदला तो भाजपा से कोचे मुंडा ने तोरपा सीट पर जीत दर्ज की. कांग्रेस को उम्मीद है कि इस बार कांग्रेस अगर खूंटी और तोरपा पर उम्मीदवार दे तो दोनों सीट कांग्रेस की झोली में होगी.

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