लखनऊ : कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की 4 अन्य लोकसभा सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. पार्टी की ओर से बुधवार रात को जारी आठवीं सूची में यूपी की चार अन्य लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की गई. पार्टी ने सीतापुर लोकसभा सीट से पूर्व मंत्री रहे नकुल दुबे को प्रत्याशी बनाया है. महाराजगंज से पार्टी के मौजूदा विधायक वीरेंद्र चौधरी को टिकट दिया है. वहीं रायबरेली और अमेठी से गांधी परिवार की दावदारी पर अभी भी असमंजस की स्थिति है.
बुलंदशहर सुरक्षित सीट से पार्टी ने शिवराम वाल्मीकि और गाजियाबाद सीट से पार्टी की प्रवक्ता डॉली शर्मा को प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की अब तक 13 लोकसभा सीटों की घोषणा कर दी है. उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 17 लोकसभा सीट कांग्रेस को गठबंधन में मिली है.
दिन-चार सीटों पर कांग्रेस ने अभी प्रत्याशी नहीं उतारा है. उसमें कांग्रेस की दो हाई प्रोफाइल सीटें रायबरेली और अमेठी शामिल हैं. पार्टी ने अपनी पहली लिस्ट में सहारनपुर से इमरान मसूद, अमरोहा से दानिश अली, फतेहपुर सीकरी से रामनाथ सिकरवार, कानपुर से आलोक मिश्रा, झांसी से प्रदीप जैन, बाराबंकी से तनुज पुनिया, देवरिया से अखिलेश प्रताप सिंह, बांसगांव से सदल प्रसाद और वाराणसी से अजय राय को टिकट दिया है.
रायबरेली और अमेठी सीट के लिए अभी और इंतजार करना होगा : दूसरी और कांग्रेस की लिस्ट में सभी को रायबरेली व अमेठी सीट का सबसे अधिक इंतजार है. पार्टी की ओर से उत्तर प्रदेश की जारी लिस्ट में इन दो सीटों का नाम अभी भी नहीं आया है. पूरे देश में रायबरेली सीट पर सबकी नजर है. कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और मौजूदा सांसद सोनिया गांधी के राज्यसभा जाने के बाद इस सीट पर गांधी परिवार के किसी के उम्मीदवार होने के कयास लगाए जा रहे हैं.
प्रबल संभावना उनकी बेटी प्रियंका गांधी की है, लेकिन पार्टी ने अभी तक इस सीट को लेकर असमंजस बरकरार रखा है. वहीं 2019 में अमेठी सीट हारने के बाद राहुल गांधी का एक बार फिर से यहां से प्रत्याशी होने की बात कही जा रही है. पार्टी ने अभी भी अमेठी सीट पर उनके उम्मीदवारी की घोषणा नहीं की है जबकि वायनाड से उनको पहले ही टिकट दे दिया गया है.
पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस इन दोनों सीटों पर गांधी परिवार को ही लड़ाना चाहती है. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी इन दोनों सीटों से चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में पार्टी इन दोनों सीटों पर मजबूत विकल्प की तलाश भी कर रही है. रायबरेली सीट से मौजूदा विधायक आराधना मिश्रा मोना और राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत का नाम चल रहा है. अमेठी सीट पर पूर्व एमएलसी और कांग्रेस के कद्दावर नेता दीपक सिंह का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है.
2019 में दूसरे स्थान पर रहे थे नकुल दुबे : कांग्रेस ने लखनऊ से सटे सीतापुर लोकसभा सीट पर अपने ब्राह्मण चेहरे नकुल दुबे को उम्मीदवार बनाया है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में नकुल दुबे ने सीतापुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था. वह दूसरे नंबर पर रहे थे. कांग्रेस को इस सीट पर अंतिम बार साल 1989 में जीत हासिल हुई थी. पार्टी ने इस बार बसपा सरकार में मंत्री रहे और कद्दावर ब्राह्मण चेहरे नकुल दुबे के सहारे इस लोकसभा सीट को जीतने की उम्मीद में है.
करीब दो साल पहले नकुल दुबे कांग्रेस में शामिल हुए थे. 2019 लोकसभा की बात करे तो करीब 4 लाख से अधिक वोट प्राप्त हुए थे और उन्हें कुल 38.86% वोट मिला था. भाजपा के उम्मीदवार और मौजूदा सांसद राजेश वर्मा को 48.33 प्रतिशत वोट मिले थे. अभी बहुजन समाज पार्टी ने इस सीट पर अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है जबकि भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद राजेश वर्मा को ही टिकट दिया है. ऐसे में बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार आने के बाद इस सीट पर भी इस बार बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है.
अपने विधायक पर पार्टी ने लगाया दांव : कांग्रेस की उत्तर प्रदेश की दूसरी लिस्ट में अपने मौजूदा विधायक वीरेंद्र चौधरी को महाराजगंज लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. इस सीट पर पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत भी दावा ठोंक रहीं थीं, लेकिन पार्टी ने फरेंदा विधानसभा से विधायक वीरेंद्र चौधरी को महाराजगंज संसदीय सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है.
भाजपा ने यहां पर अपने छह बार के सांसद पंकज चौधरी को टिकट दिया है. बहुजन समाज पार्टी ने अभी तक इस सीट पर अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की. 2019 में सपा-बसपा गठबंधन ने कुंवर अखिलेश प्रताप सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया था. सपा प्रत्याशी कुंवर अखिलेश सिंह चुनाव में उतरे थे. वह इस सीट पर जीत पाने में सफल नहीं हुए थे.
कांग्रेस ने साल 2009 में इस सीट पर जीत हासिल की थी. बीते दो चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन यहां पर लगातार खराब होता जा रहा है. 2009 में कांग्रेस को कुल 51% वोट मिले थे. 2014 में कांग्रेस को 5.4% और 2019 में 5.1% वोट सहित संतोष करना पड़ा था.
डॉली शर्मा देंगी गाजियाबाद में भाजपा को टक्कर : कांग्रेस ने गाजियाबाद संसदीय सीट से राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉली शर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है. पिछले तीन लोकसभा चुनाव में भाजपा यहां से जीतती आ रही है. मौजूदा सांसद सीके सिंह का टिकट बीजेपी ने काट दिया है. उनके स्थान पर अतुल गर्ग को अपना प्रत्याशी बनाया है.
बहुजन समाज पार्टी ने अभी तक इस सीट पर अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है. इस सीट पर 26 अप्रैल को चुनाव होना है. 2019 के लोकसभा चुनाव में जनरल वीके सिंह को 9.44 लाख वोट मिले थे. समाजवादी पार्टी के सुरेश बंसल दूसरे स्थान पर रहे थे. उन्हें 4.43 लाख वोट मिले थे. कांग्रेस की ही प्रत्याशी रही डॉली शर्मा को एक लाख 1 लाख 11000 वोटों से संतोष करना पड़ा था. 2014 2019 में जनरल वीके सिंह इस सीट से चुनाव जीते थे जबकि 2009 में इस सीट से भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष हुआ मौजूद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चुनाव जीता था.
बुलंदशहर से शिवराम वाल्मीकि को मिला टिकट : बुलंदशहर लोकसभा की सीट की बात करें तो इस सीट पर कांग्रेस ने अंतिम बार 1984 में जीत हासिल की थी. कांग्रेस पार्टी ने इस सीट से उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अनुसूचित जाति विभाग के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर एवं प्रभारिक पश्चिम शिवराम सिंह वाल्मीकि को अपना उम्मीदवार बनाया है. इस सीट पर उनका मुकाबला भाजपा के मौजूदा सांसद भोला सिंह से होगा.
बहुजन समाज पार्टी ने इस सीट से गिरीश चंद्र जाटव को अपना उम्मीदवार बनाया है. बुलंदशहर सीट से उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और फायर ब्रांड नेता कल्याण सिंह भी सांसद रह चुके थे. बुलंदशहर की मौजूदा सीट से सांसद भोला सिंह पिछले लोकसभा से चुनाव जीतते आ रहे हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यहां पर 60.64 परिषदीय वोट मिला था जबकि बसपा के उम्मीदवार को 34.82 फीसद मत हासिल हुए थे. हालांकि इस सीट से बसपा ने नगीना के मौजूदा सांसद गिरीश चंद्र जाटव को उम्मीदवार बनाकर यहां का मुकाबला दिलचस्प बना दिया है. ऐसे में इस सीट पर तीनों ही पार्टियों के बीच में एक कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है.
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