रांची : झारखंड की 14 लोकसभा सीटों पर हार और जीत का गणित तैयार करने के मामले में कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी के फार्मूले को अडॉप्ट कर लिया है. कांग्रेस ने गोड्डा सीट के लिए घोषित महागामा विधायक दीपिका पांडे सिंह का नाम काटकर प्रदीप यादव को उम्मीदवार बना दिया है. इस फार्मूले को कुछ दिन पहले भाजपा ने दुमका सीट पर आजमाया था, जब घोषणा के बावजूद सीटिंग सांसद सुनील सोरेन का नाम काटकर पार्टी में शामिल गुरु जी की बड़ी बहू सीता सोरेन को उम्मीदवार बना दिया गया था.
खास बात है कि गोड्डा से दीपिका पांडे सिंह को उम्मीदवार घोषित करने के बाद से ही उनका विरोध हो रहा था. प्रदीप यादव के समर्थक आर-पार की लड़ाई के लिए खुलकर सामने आ चुके थे. लगातार होते विरोध के बीच दीपिका पांडे सिंह ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि प्रदीप भैया साथ देंगे. लेकिन अचानक दीपिका पांडे सिंह की मंशा पर पानी फिर गया.
दीपिका पांडे सिंह का जब विरोध हो रहा था तो संगठन में इस बात की चर्चा थी कि दीपिका को राहुल गांधी का आशीर्वाद प्राप्त है. सबसे खास बात है कि रविवार को ही रांची में मोदी सरकार के खिलाफ उलगुलान न्याय महारैली में इंडिया गठबंधन के तमाम नेताओं का जमावड़ा हुआ था. इसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी शामिल हुए थे. उनके रांची से रवानगी के कुछ घंटे के भीतर ही दीपिका पांडे सिंह का नाम हटाकर प्रदीप यादव को कैंडिडेट घोषित कर कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया कि वह इस चुनाव में किसी तरह का जोखिम नहीं उठाएगी.
इस बीच भाजपा की तरह ही कांग्रेस ने रांची से यशस्विनी सहाय को उम्मीदवार बनाकर एक बड़ा सरप्राइज दिया है. चर्चा थी कि रांची लोकसभा सीट पर सुबोध कांत सहाय या राम टहल चौधरी ताल ठोक सकते हैं. लेकिन कांग्रेस ने रांची सीट पर भाजपा के उस फार्मूले को अपनाया, जिसको भाजपा ने चतरा में अपनाया था. फर्क इतना है कि भाजपा ने चतरा में दो बार के सीटिंग सांसद सुनील सिंह का टिकट काटकर कालीचरण सिंह को उम्मीदवार बनाया तो कांग्रेस ने रांची में सुबोध कांत सहाय की बेटी को तरजीह दी.