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नक्सली हमले गृहमंत्री बोले हम बातचीत को तैयार, विपक्ष का आरोप नहीं है कोई नक्सल नीति, जानिए क्यों हुआ हमला ?

Naxalite Attack In Bijapur छत्तीसगढ़ के बीजापुर में बार फिर नक्सलियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. इस बार सुकमा जिले में हुए नक्सली मुठभेड़ में तीन जवान शहीद हुए. वहीं 15 जवान घायल हैं. आपको बता दें कि एक ओर नक्सली सड़क बनाने की मांग कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर जवानों पर हमला कर उन्हें नुकसान पहुंचा रहे हैं. इस बीच सरकार ने नक्सलियों से समाधान के लिए बातचीत की भी पेशकश की है. यहां तक की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए नक्सलियों से डिप्टी सीएम ने बात करने का भी सुझाव दिया है.बावजूद इसके नक्सली हमले कम नहीं हो रहे हैं.

Naxalite Attack In Bijapur
नक्सल हमले में सियासत हुई तेज
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 31, 2024, 7:56 PM IST

Updated : Jan 31, 2024, 11:30 PM IST

नक्सल हमले में सियासत हुई तेज

रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार बीजापुर क्षेत्र में कैंप लगाने और नक्सलियों को मार गिराने को जवानों की जीत बता रही है. वहीं विपक्ष में बैठी कांग्रेस बीजेपी सरकार की नक्सली को लेकर स्पष्ट नीति न होने का आरोप लगा रही है. यहां तक की लोकसभा चुनाव पर भी यह मुद्दा असर डाल सकता है. वहीं नक्सल एक्सपर्ट का दावा है कि जब-जब नक्सली क्षेत्र में सीआरपीएफ के कैंप लगते हैं. उस दौरान नक्सली अपनी उपस्थिति दर्ज कराने इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते हैं. क्योंकि कैंप लगने से कहीं ना नक्सलियों पर दबाव बनता है.

जवानों की है जीत : नक्सली मुठभेड़ को लेकर को लेकर उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा है कि यह जवानों की बहुत बड़ी जीत है. जहां मुठभेड़ हुई है. वह कोई पुलिस का कैंप नहीं है. बल्कि यह विकास का कैंप है. इस कैंप के पीछे बिजली, पानी ,सड़क ,राशन की दुकान, आंगनबाड़ी ,प्राथमिक शालाएं, गैस का सिलेंडर, उज्जवला गैस के कनेक्शन, यह सब कुछ पहुंचता है. इसके बिना उस क्षेत्र में पूरी जनता के लिए यह सारी सुविधाएं पहुंचना असंभव है. इसलिए यह कैंप विकास के कैंप है. कल की घटना की बात की जाए तो जवानों ने एक बड़ी जीत हासिल की है, उस स्थान पर जहां पर जाना संभव नहीं था.वहां कैंप स्थापित हुआ है.

पिछली सरकार पर आरोप : वही पिछले कुछ दिनों में लगातार बढ़ रही नक्सली घटनाओं को लेकर विजय शर्मा ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का रायपुर प्रवास ,उनकी स्पष्ट नीतियां, उनके माध्यम से जो अभियान चलाए जा रहे हैं, छत्तीसगढ़ सरकार की सफल स्पष्ट नीति है. यदि पिछली बार के आंकड़े की बात की जाए तो पिछले पूर्ववर्ती सरकार के दौरान 209 प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना 5 साल तक एक भी ईंट नहीं रखी गई.

''पिछली सरकार में विकास के काम आगे नहीं बढ़े. शहरों के पास तक नक्सलियों का जमावड़ा शुरू हो गया था. हमारी सरकार चर्चा के लिए हर क्षण पर तैयार है.किसी भी माध्यम से तैयार है. हमारे नौजवान भटक गए हैं उन्हें मुख्य धारा में लाने के लिए कभी भी बातचीत की जा सकती है. लेकिन समाज को बहुत दर्द हो चुका है.'' विजय शर्मा, उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री, छत्तीसगढ़

कांग्रेस ने किया पलटवार : कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने सरकार पर सवाल दागते हुए कहा कि सरकार स्पष्ट करें कि उनकी नक्सल नीति क्या है. कभी प्रदेश के गृहमंत्री बोलते हैं कि नक्सलियों की मांद में घुसकर मरेंगे, कभी बोलते हैं नक्सली के साथ वीडियो कॉल करके बात करेंगे. यह सरकार मतिभ्रम का शिकार है.

'' सरकार के पास अपनी कोई स्पष्ट नक्सल नीति नहीं है. इसका दुष्परिणाम ये है कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार बनने के बाद नक्सली गतिविधियां बढ़ गई हैं. नक्सल मुद्दे का लोकसभा चुनाव पर असर जरुर पड़ेगा.''सुशील आनंद शुक्ला,प्रवक्ता कांग्रेस

कैंप के कारण नक्सली चिंतित : वहीं नक्सल एक्सपर्ट वर्णिका शर्मा भी मानती है कि जब सीआरपीएफ का कैंप लगता है तो नक्सलियों पर एक अलग दबाव बनता है और उनको कई किलोमीटर तक पीछे खिसकना पड़ता है. सीआरपीएफ कैंप के द्वारा केवल वहां हथियारबंद सुरक्षा करने वाला दस्ता ही नहीं होता है, बल्कि वह वहां पर कम्युनिटी पुलिसिंग भी पूरी मुस्तैदी के साथ की जाती हैं. जो लोगों के मन को विजय करने की कोशिश करते हैं.कई तरह के कल्चर प्रोग्राम किए जाते हैं.

बेस कैंप में घुसपैठ से नक्सली परेशान : पूर्व में बीजापुर के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सीआरपीएफ बटालियन की स्थापना हुई थी. उसके बाद का वो क्षेत्र और उसके पहले का क्षेत्र में काफी बड़ा बदलाव देखा गया है. यही परिवर्तन नक्सली बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं. जोनागुडा अलीगुडा में भी जिस इलाके में यह घटना घटी है. वो नक्सलियों का बेस कैंप एरिया है. वो कतई नहीं चाहते कि उनके बेस कैंप एरिया में कैंप लगे. इसलिए वे इस तरह की घटनाओं का अंजाम दे कर इसका विरोध कर रहे हैं.

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नक्सल हमले में सियासत हुई तेज

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जवानों की है जीत : नक्सली मुठभेड़ को लेकर को लेकर उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा है कि यह जवानों की बहुत बड़ी जीत है. जहां मुठभेड़ हुई है. वह कोई पुलिस का कैंप नहीं है. बल्कि यह विकास का कैंप है. इस कैंप के पीछे बिजली, पानी ,सड़क ,राशन की दुकान, आंगनबाड़ी ,प्राथमिक शालाएं, गैस का सिलेंडर, उज्जवला गैस के कनेक्शन, यह सब कुछ पहुंचता है. इसके बिना उस क्षेत्र में पूरी जनता के लिए यह सारी सुविधाएं पहुंचना असंभव है. इसलिए यह कैंप विकास के कैंप है. कल की घटना की बात की जाए तो जवानों ने एक बड़ी जीत हासिल की है, उस स्थान पर जहां पर जाना संभव नहीं था.वहां कैंप स्थापित हुआ है.

पिछली सरकार पर आरोप : वही पिछले कुछ दिनों में लगातार बढ़ रही नक्सली घटनाओं को लेकर विजय शर्मा ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का रायपुर प्रवास ,उनकी स्पष्ट नीतियां, उनके माध्यम से जो अभियान चलाए जा रहे हैं, छत्तीसगढ़ सरकार की सफल स्पष्ट नीति है. यदि पिछली बार के आंकड़े की बात की जाए तो पिछले पूर्ववर्ती सरकार के दौरान 209 प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना 5 साल तक एक भी ईंट नहीं रखी गई.

''पिछली सरकार में विकास के काम आगे नहीं बढ़े. शहरों के पास तक नक्सलियों का जमावड़ा शुरू हो गया था. हमारी सरकार चर्चा के लिए हर क्षण पर तैयार है.किसी भी माध्यम से तैयार है. हमारे नौजवान भटक गए हैं उन्हें मुख्य धारा में लाने के लिए कभी भी बातचीत की जा सकती है. लेकिन समाज को बहुत दर्द हो चुका है.'' विजय शर्मा, उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री, छत्तीसगढ़

कांग्रेस ने किया पलटवार : कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने सरकार पर सवाल दागते हुए कहा कि सरकार स्पष्ट करें कि उनकी नक्सल नीति क्या है. कभी प्रदेश के गृहमंत्री बोलते हैं कि नक्सलियों की मांद में घुसकर मरेंगे, कभी बोलते हैं नक्सली के साथ वीडियो कॉल करके बात करेंगे. यह सरकार मतिभ्रम का शिकार है.

'' सरकार के पास अपनी कोई स्पष्ट नक्सल नीति नहीं है. इसका दुष्परिणाम ये है कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार बनने के बाद नक्सली गतिविधियां बढ़ गई हैं. नक्सल मुद्दे का लोकसभा चुनाव पर असर जरुर पड़ेगा.''सुशील आनंद शुक्ला,प्रवक्ता कांग्रेस

कैंप के कारण नक्सली चिंतित : वहीं नक्सल एक्सपर्ट वर्णिका शर्मा भी मानती है कि जब सीआरपीएफ का कैंप लगता है तो नक्सलियों पर एक अलग दबाव बनता है और उनको कई किलोमीटर तक पीछे खिसकना पड़ता है. सीआरपीएफ कैंप के द्वारा केवल वहां हथियारबंद सुरक्षा करने वाला दस्ता ही नहीं होता है, बल्कि वह वहां पर कम्युनिटी पुलिसिंग भी पूरी मुस्तैदी के साथ की जाती हैं. जो लोगों के मन को विजय करने की कोशिश करते हैं.कई तरह के कल्चर प्रोग्राम किए जाते हैं.

बेस कैंप में घुसपैठ से नक्सली परेशान : पूर्व में बीजापुर के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सीआरपीएफ बटालियन की स्थापना हुई थी. उसके बाद का वो क्षेत्र और उसके पहले का क्षेत्र में काफी बड़ा बदलाव देखा गया है. यही परिवर्तन नक्सली बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं. जोनागुडा अलीगुडा में भी जिस इलाके में यह घटना घटी है. वो नक्सलियों का बेस कैंप एरिया है. वो कतई नहीं चाहते कि उनके बेस कैंप एरिया में कैंप लगे. इसलिए वे इस तरह की घटनाओं का अंजाम दे कर इसका विरोध कर रहे हैं.

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Last Updated : Jan 31, 2024, 11:30 PM IST
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