पटनाः बिहार एनडीए ने 40 सीटों का बंटवारा हो चुका है. भाजपा ने 17, जदयू ने 16, लोजपा रामविलास ने 5, राष्ट्रीय लोक मोर्चा (उपेंद्र कुशवाह) 1 और हम पार्टी 1 सीट से लड़ने का फैसला किया है. हालांकि 3 तीन सीट को लेकर उलझन की स्थिति है. क्योंकि इसबार भाजपा ने एक और जदयू ने अपने दो सीट और लोजपा रामविलास ने एक सीट से समझौता किया है.
भाजपा-जदयू में समझौताः जदयू दो सीट गया और काराकाट से समझौता किया. गया हम पार्टी को दिया गया है जबकि काराकाट उपेंद्र कुशवाहा को दिया है. भाजपा ने पारंपरिक शिवहर सीट जदयू के खाते में डाल दी है. ऐसे में शिवहर सीट से पिछले तीन टर्म से सांसद रही रमा देवी के लिए चुनौती बन गई है. चिराग पासवान नवादा सीट से समझौता किया है क्योंकि यहां से लोजपा से चंदन सिंह सांसद थे लेकिन बाद में वे पशुपति से जाकर मिल गए. चिराग ये भी सीट चाहते थे लेकिन भाजपा इसे अपने खाते में रखा है.
दो सांसद कर सकते हैं बगावतः जदयू के दो सीट काराकाट से सांसद महाबली सिंह और गया से सांसद विजय मांझी के सामने भी चुनौती है. हालांकि जदयू और भाजपा की ओर से उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की गई है लेकिन विशेषज्ञ मान रहे हैं कि दोनों पार्टी अपने तीन सांसद का टिकट काट सकती है. इन तीन में दो सांसद बगावत भी कर सकते हैं. अगर खुलकर पार्टी के खिलाफ जाते हैं तो महागठबंधन मौका दे सकती है.
'पार्टी के खिलाफ स्टैंड लें नेता': राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने स्पष्ट किया है कि ऐसे बेटिकट नेता को कोई टिकट नहीं देगा जब तक ये लोग पार्टी के खिलाफ खुलकर नहीं बोलेंगे. प्रवक्ता का कहना है कि भाजपा की हमेशा से यह आदत रही है कि अपने नेताओं का इस्तेमाल करने के बाद दूध की मक्खी की तरह उसे निकाल कर फेंक देती है. ऐसे नेताओं को पार्टी को लेकर स्टैंड क्लियर करना चाहिए.
"जो नेता बेटिकट हुए हैं वे टिकट की तलाश में निकल गए हैं लेकिन वैसे लोगों को कोई टिकट नहीं देता है जो अपने विचार से शून्य होते हैं. विचार को मजबूत करने के लिए स्पष्टवादी होना जरूरी है. ऐसे नेता को भाजपा की सोच के खिलाफ जाकर बोलना जरूरी है." -एजाज अहमद, प्रवक्ता, राजद
शिवहर में बाहुबली की पत्नीः जदयू का पारंपरिक सीट गया से जीतन राम मांझी, काराकाट से उपेंद्र कुशवाहा चुनाव लड़ेंगे. भाजपा की पारंपरिक सीट से जदयू आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को उतारने की तैयारी में हैं. लवली आनंद और उनके छोटे बेटे ने हाल में जदयू की सदस्यता ली है. ऐसे में शिवहर से रमा देवी को लेकर समस्या है.
वेट एंड वॉच की स्थिति में रमा देवीः सूत्र बताते हैं कि रामादेवी फिलहाल वेट एंड वॉच की स्थिति में है. लेकिन अगर मोतिहारी लोकसभा सीट पर 75 की उम्र पार कर चुके राधा मोहन सिंह को फिर से टिकट देती है तो रामादेवी भी चुनाव लड़ सकती है. इन्हें अलग लोकसभा से चुनाव लड़ाया जा सकता है. फिलहाल रामा देवी ने पार्टी के प्रति आस्था जताई है. कहा कि "पार्टी का जो भी आदेश निर्देश होगा उसका पालन करेंगे."
'महाबली ने नीतीश पर जताया भरोसा': काराकाट सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा इस बार उम्मीदवार होंगे वर्तमान सांसद महाबली सिंह इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान महाबली सिंह ने कहा कि "पार्टी ने मुझे विधायक और सांसद बनाया है. इस बार सेट दूसरे दल के पास चला गया है. हमें कोई शिकायत नहीं है और मैं नीतीश कुमार के नेतृत्व में काम करता रहूंगा."
'विजय मांझी लड़ेंगे चुनाव!': गया लोकसभा सीट पर इस बार सबकी नजर होगी. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी इस बार उम्मीदवार होंगे. जदयू सांसद विजय मांझी इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे लेकिन इन्होंने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. विजय मांझी ने नीतीश कुमार के प्रति आस्था तो जताई है. लेकिन चुनाव लड़ने की बात भी कही है. विजय मांझी को उम्मीद है कि नीतीश कुमार किसी और आरक्षित सीट से टिकट देंगे.
अपने नेता को मनाने में जुटी पार्टीः ऐसा माना जा रहा है कि जिस सांसदों का टिकट कटा है वे बगावत कर सकते हैं. इसपर भाजपा के प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा एक ऐसी पार्टी है जिसकी विचारधारा से सभी नेता जुड़े हैं. हमारे नेता पार्टी के कार्यशैली और शीर्ष नेतृत्व पर विश्वास रखते हैं. टिकट मिलता है तो धन्यवाद देते हैं और नहीं भी दिया जाता है तो हमारी पार्टी के प्रति आस्था होती है.
'कोई पार्टी नहीं छोड़ेंगे': प्रवक्ता ने कहा कि अगर भाजपा किसी सीटिंग एमपी को टिकट नहीं देते हैं इसके बावजूद वे विद्रोह नहीं करेंगे. उन्होंने अन्य पार्टियों का उदाहरण देते हुए कहा कि हमारी पार्टी ऐसी नहीं है जिसके कार्यकर्ता विद्रोह करेंगे. 2014 से कांग्रेस के 12 मुख्यमंत्री पार्टी छोड़ चुके हैं. 75 से ज्यादा राष्ट्रीय स्तर के कांग्रेस नेता पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में चले गए.
"पार्टी के तमाम नेता और कार्यकर्ता नरेंद्र मोदी के साथ एकजुट हैं. कोई भी सांसद बगावत करने नहीं जा रहे हैं. पार्टी का जो भी निर्देश होगा. उस निर्देश का तमाम नेता पालन करेंगे." -दानिश इकबाल, भाजपा प्रवक्ता
'बगावत से नहीं पड़ेगा फर्क': इधर, राजनीतिक विशेषज्ञ का मानना है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह तीसरा चुनाव है. यह मायने रखता है कि पार्टी जिस उम्मीदवार का चयन करती है उससे कितना लाभ मिलता है. वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा. जिन तीन सीटिंग एमपी के टिकट जाने की चर्चा है इनका कोई अपना बजूद नहीं है. इसलिए फर्क नहीं के बराबर पड़ेगा.
'शिवहर को लेकर चुनौती': शिवहर लोकसभा सीट को लेकर विशेषज्ञ मानते हैं कि यहां खेल हो सकता है. शिवहर वैश्य बहुत क्षेत्र है. लवली आनंद को कल ही जदयू में एंट्री हुई है. ऐसा दावा है कि लवली आनंद को शिवहर से जदयू टिकट दे सकती है. ऐसी बात भी सामने आ रही है कि रमा देवी वहां से लड़ सकती है. हालांकि वे भाजपा से सांसद हैं.
"एनडीए के लिए 39 सीट पर जीत को दोहराना इस बार चुनौती होगी. गया और काराकाट से अगर बगावत होता है तो उतना फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन शिवहर लोकसभा सीट से पड़ सकता है. यह वैश्य बहुत क्षेत्र है. जदयू अगर लवली आनंद को टिकट देती है तो फर्क पड़ सकता है." -कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार
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