गोड्डा: झारखंड कांग्रेस में घमासान और दर्जन भर विधायकों की नाराजगी का असर गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में भी दिख रहा है. गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में भी कुछ कांग्रेसी नाराज हैं. फिलहाल झारखंड में नाराज विधायकों ने पुराने मंत्रियों को हटाने की मांग की है. उन दर्जन भर विधायकों में महगामा की कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह का नाम भी सामने आ रहा है. तर्क ये दिया जा रहा है कि पुराने मंत्री उनकी सुनते नहीं हैं, वहीं चार साल निकल चुके हैं. ऐसे वे जनता के बीच किस बात को लेकर जाएं. दरअसल, लोकसभा चुनाव सामने हैं. विधानसभा चुनाव भी इसी साल होना है. ऐसे में उनकी पीड़ा दिख रही है.
विधानसभा के हिसाब से इंडिया गठबंधन है गोड्डा में मजबूत
गोड्डा में विधानसभा की छह सीटें हैं. फिलहाल कुल छह विधानसभा सीट में तीन पर कांग्रेस का और दो पर भाजपा और एक पर झामुमो का कब्जा है. इनमें कांग्रेस से महगामा विधायक दीपिका पांडेय सिंह, पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव, जरमुंडी से बादल पत्रलेख हैं, भाजपा से गोड्डा विधायक अमित मंडल, देवघर से नारायण दास और मधुपुर से झामुमो के हफीजुल अंसारी शामिल हैं.
फिलहाल भाजपा के निशिकांत दुबे का है गोड्डा लोकसभा सीट पर कब्जा
वहीं गोड्डा लोकसभा सीट पर पिछले तीन बार से लगातार भाजपा के डॉ निशिकांत दुबे का कब्जा है. वहीं इंडिया गठबंधन की बात करें तो गोड्डा लोकसभा से तीन कांग्रेस के और एक झामुमो के विधायक हैं. इनमें कांग्रेस से बादल पत्रलेख और झामुमो के हफीजुल अंसारी झारखंड सरकार में मंत्री हैं. वहीं पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव फिलहाल सदन में विधायक दल के उपनेता हैं. वहीं दीपिका पांडेय सिंह सरकार अथवा सदन में कोई पद धारण नहीं करती हैं, लेकिन उन्हें कांग्रेस संगठन में राष्ट्रीय सचिव का ओहदा प्राप्त है. ऐसे में कांग्रेस में एक व्यक्ति एक पद की चर्चा जोरों पर है. इसमें कई दिग्गज पर अंगुली उठनी शुरू हो गई है.
गोड्डा लोकसभा सीट से कांग्रेस के दो नेताओं के नाम की चर्चा जोरों पर
ऐसे में लोकसभा चुनाव में टिकट की दावेदारी बड़ा मसला है. जिसमें गोड्डा लोकसभा से कांग्रेस की दावेदारी प्रबल मानी जा रही है. इस सीट पर दो नाम की चर्चा सबसे अधिक है. दोनों नेताओं के गोड्डा से देवघर तक बैनर और पोस्टर पटे हुए हैं. इनमें प्रदीप यादव और दीपिका पांडेय सिंह का नाम सबसे आगे चल रहा है. ऐसे में इस बात की संभावना प्रबल है कि किसी एक को लोकसभा का टिकट देकर पार्टी नाराजगी को तत्काल दूर करना चाहती है. हालांकि ये सब कुछ कयासों में है. अभी भी नाराज विधायकों के तेवर तल्ख हैं. देखने वाली बात होगी कि समझौता और मान मुन्नवल किस स्तर पर होता है.
ये भी पढ़ें-