कांकेर : छत्तीसगढ़ में 25 जून से नया शैक्षणिक सत्र शुरू हुआ है. दिसंबर खत्म होते ही शैक्षणिक सत्र को सात महीने पूरे हो जाएंगे.लेकिन कांकेर के 174 सरकारी स्कूलों में बच्चों का भविष्य सिर्फ एक शिक्षक संवार रहा है.अब जरा सोचिए इन स्कूलों में एक शिक्षक सभी विषयों की तैयारी कैसे करवा रहा होगा. जबकि सभी स्कूलों में हेडमास्टर के साथ दो सहायक शिक्षकों का होना जरुरी है. हालांकि शिक्षा विभाग के अधिकारी स्कूलों में शिक्षकों की व्यवस्था को लेकर बेहतर परिणाम की बात कह रहे हैं.लेकिन जो हकीकत दिख रही है उससे कैसे इनकार किया जा सकता है.
12 साल से यही स्थिति : कांकेर जिले से 30 किलोमीटर दूर कुम्हारपारा बागडोंगरी प्राथमिक शाला में पहली से पांचवी तक 18 बच्चे पढ़ाई करते हैं. इन बच्चों को एक मात्र शिक्षक पढ़ा रहे हैं. स्कूल के शिक्षक डीआर साहू के मुताबिक पिछले 12 साल से वो स्कूल में सेवा दे रहे हैं. कई बार शिक्षक की मांग की जा चुकी है. लेकिन शिक्षक नहीं मिलता है. जिसके कारण बच्चों को पढ़ाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. वहीं इन स्कूलों में पढ़ने के लिए बच्चों को भेजने वाले पालकों को अब ये डर सताने लगा है कि बच्चों का भविष्य कैसे संवरेगा.
एक शिक्षक यदि स्कूल में पढ़ा रहे हैं तो बच्चों का शिक्षा का स्तर कहा सुधरेगा. बच्चे सिर्फ स्कूल जा रहे हैं.लेकिन जो स्कूल में ज्ञान मिलना चाहिए. वो उन्हें नसीब नहीं हो रहा है. एक शिक्षक कितने क्लास को संभाल पाएगा - राजेंद्र कुमार, पालक
वहीं गांव के वार्ड पंच मोहन सिंह शोरी के मुताबिक हमने शिक्षक की मांग की है. कई बार प्रशासन को आवेदन देकर हुई. बीच में अतिथि शिक्षक की पदस्थापना भी हुई थी. लेकिन साल भर बाद उसने छोड़ दिया.
हमारे गांव का प्राथमिक पाठशाला 20 साल से एक शिक्षक के भरोसे है.यही कारण है कि अब बच्चों को दूसरे स्कूल या निजी स्कूल में भेजते हैं. इसलिए स्कूल में बच्चों की संख्या भी घट रही है- मोहन सिंह शोरी, वार्ड पंच
एक शिक्षक के भरोसे पढ़ाई :कांकेर जिले के जिला शिक्षा अधिकारी अशोक पटेल ने भी माना कि कई स्कूलों में एक ही शिक्षक के भरोसे पढ़ाई करवाई जा रही है.
जिले के 174 स्कूलों में एक शिक्षक की बदौलत बच्चों की पढ़ाई चल रही है. अतिथि शिक्षकों की भर्ती करके इस समस्या को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है- अशोक पटेल, जिला शिक्षाधिकारी
कांकेर जिले में 1051 प्राथमिक स्कूल हैं. इन स्कूलों में कक्षा पहली से लेकर पांचवी तक के बच्चे पढ़ाई करते हैं. लेकिन इन 1051 स्कूलों में से 174 स्कूलों में एक ही शिक्षक मौजूद है. जिला शिक्षाधिकारी भी मानते हैं कि स्कूलों में शिक्षकों की कमी है,जिसे पूरा किया जाएगा. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि अब जब आधे से ज्यादा पढ़ाई पूरी हो चुकी है और परीक्षाओं का समय आ रहा है तो बच्चों के विषयों को कैसे पूरा कराया जाएगा. अधिकारी अतिथि शिक्षकों की भर्ती करके समस्या दूर करने की बात कह रहे हैं.लेकिन ये भर्ती कब होगी इसकी कोई ठोस जानकारी नहीं दी जा रही है.