बलरामपुर रामानुजगंज : 11 दिसंबर का दिन अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस के तौर पर मनाया जाता है. पूरी दुनिया में मौजूद पहाड़ों के संरक्षण को लेकर इस दिन की महत्ता को दर्शाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र संघ ने इंसानों के जीवन में पहाड़ों के भूमिका को समझाने के लिए अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस को मनाने की परंपरा शुरु की थी. साल 2002 को अंतर्राष्ट्रीय पर्वत वर्ष घोषित किया था. यूएन की ओर से इस घोषणा के बाद पहली बार 11 दिसंबर 2003 को पहला अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस मनाया गया .
क्या है पर्वत दिवस की थीम: हर साल अंतरराष्ट्रीय पर्वत दिवस विशेष थीम के साथ मनाया जाता है. साल 2022 का थीम 'Women Move Mountains' रखा गया था. जिसका मकसद महिलाओं को सशक्त बनाने की जरूरत पर जोर देना था. वहीं इस बार की थीम सतत भविष्य के लिए पर्वतीय समाधान - नवाचार, अनुकूलन, युवा और उससे आगे (Mountain Solutions For a Sustainable Future-innovation, Adaption,youth and beyond) है.जिसका मकसद हमारे जीवन में पर्वत की भूमिका के बारे में बताना है.
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छत्तीसगढ़ के पाट क्षेत्र में सबसे ऊंचा पहाड़ : बलरामपुर रामानुजगंज जिला प्राकृतिक रूप से संपन्न और समृद्ध है. यहां घने जंगल ऊंची पहाड़ियों के साथ ही पाट क्षेत्र भी शामिल हैं. जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूरी पर मौजूद 1225 मीटर ऊंची गौरलाटा छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंची चोटी है. इस चोटी से छत्तीसगढ़ और झारखंड की सीमा पर स्थित बड़े वन क्षेत्र की अद्भुत खूबसूरती नजर आती है. इस पहाड़ी पर कई गुफाएं और प्राकृतिक जलस्रोत भी हैं.
गौरलाटा चोटी छत्तीसगढ़ के उत्तरी छोर पर छत्तीसगढ़ और झारखंड की सीमा पर स्थित है. यहां से दोनों राज्यों के घने वन क्षेत्र अत्यंत मनोरम और आकर्षक दिखाई पड़ते हैं. ये वन क्षेत्र कई जीव-जंतुओं का प्राकृतिक रहवास भी है. ऊंची पहाड़ियों के बीच बहने वाली कन्हर नदी दोनों राज्यों की सीमा निर्धारित करती है.
पर्वत को विकास की दरकार : बलरामपुर जिले में चारों तरफ से घने जंगलों से घिरे छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंची गौरलाटा पहाड़ को पर्यटन स्थल के तौर पर देशभर पहचान मिली है. समय-समय पर यहां पर्वतारोही दल ट्रेकिंग करने पहुंचते हैं. लेकिन पर्यटकों की सुविधा के हिसाब से इस जगह का बेहतर विकास अब तक नहीं हो सका है.
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