रांची: रथ यात्रा के दिन हार साल की भांति इस साल भी रांची के धुर्वा स्थित जगन्नाथपुर में मेला का आयोजन किया जाएगा. ऐतिहासिक मेले को लेकर जोर-शोर से तैयारी शुरू कर दी गई है. परंपरा के अनुसार 7 जुलाई को भगवान जगन्नाथ रथ पर सवार होकर बहन सुभद्रा के घर जाएंगे और उसी दिन से जगन्नाथपुर में भव्य मेला शुरू हो जाएगा. यह मेला 17 जुलाई तक लगा रहेगा.
मेला में दुकानें लगाने के लिए दूसरे राज्यों से भी पहुंचते हैं कारोबारी
पुरी की तर्ज पर रांची में रथ यात्रा और मेला लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र होता है. मेला में तरह-तरह की दुकानें लगाई जाती हैं. राज्य के विभिन्न जिलों और दूसरे राज्यों से कारोबारी रांची पहुंचते हैं और मेले में अपनी दुकानें लगाते हैं. मेले में खिलौने से लेकर गृह सज्जा और हर तरह के जरूरत के सामानों की दुकानें लगाई जाती हैं. इस कारण ज्यादा से ज्यादा लोग इस मेले में सामान खरीदने पहुंचते हैं.
मेला में दुकानें लगाने वालों से टैक्स वसूलना गलतःलाल राजेश नाथ शाहदेव
लेकिन पिछले दो वर्षों से जगन्नाथ मंदिर न्यास समिति के द्वारा मेले में दुकानें लगाने के लिए टेंडर किया जाता है. इस कारण दुकान लगाने वाले दुकानदारों को मोटी रकम चुकानी पड़ती है. टेंडर प्रक्रिया को लेकर मंदिर प्रबंधन के सदस्य लाल राजेश नाथ शाहदेव बताते हैं कि 300 वर्षों से इस मेले का आयोजन किया जा रहा है, लेकिन दो वर्ष पहले तक कभी भी मेला में दुकानें लगाने का टैक्स नहीं वसूला जाता था. लेकिन पिछले दो वर्षों से मंदिर न्यास समिति के द्वारा टेंडर के माध्यम से दुकानें लगवाई जा रही हैं. इस कारण टेंडर लेने वाली कंपनी मेले में दुकानें लगाने वाले दुकानदारों से अवैध वसूली करती है. जिससे दुकानदारों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
दुकानदारों से अवैध वसूली न हो इसका प्रशासन रखें ध्यानः आलोक दुबे
इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता आलोक कुमार दुबे बताते हैं कि जगन्नाथपुर मेले में दुकानें लगाने वाले कई दुकानदार गरीब हैं. टेंडर लेने वाली कंपनी बिना पैसे लिए दुकानदारों को दुकानें लगाने नहीं देती है. उन्होंने कहा कि मंदिर न्यास समिति के अध्यक्ष रांची के उपायुक्त होते हैं. ऐसे में जिला प्रशासन को यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि मेले में दुकान लगाने वाले दुकानदारों से अवैध वसूली न की जाए.
रंगदारी खत्म करने के लिए टेंडर प्रक्रिया की हुई शुरुआतः सुधांशु नाथ शाहदेव
वहीं इस संबंध में मंदिर न्यास समिति के सदस्य सह मंदिर के प्रथम सेवक सुधांशु नाथ शाहदेव बताते हैं टेंडर प्रक्रिया की शुरुआत इसलिए की गई है क्योंकि कई बार स्थानीय लोग दुकानदारों से रंगदारी के रूप में पैसे वसूलते थे और पैसा मंदिर प्रबंधन को नहीं पहुंचता था. स्थानीय लोग इस पैसे से निजी लाभ लेते थे. ऐसे लोगों पर नकेल कसने के लिए टेंडर प्रक्रिया की शुरुआत की गई है, ताकि टेंडर में आने वाले पैसे से मंदिर का विकास किया जा सके.
इस वर्ष टेंडर के लिए न्यूनतम राशि 31 लाख रुपये
बता दें कि इस बार टेंडर की सबसे न्यूनतम बोली 31 लाख रुपये रखी गई है. जो सबसे ज्यादा बोली लगाएगा उसे ही मेला लगवाने का टेंडर दिया जाएगा. वहीं इस संबंध में छोटे दुकानदारों का कहना है कि टेंडर में ज्यादा से ज्यादा बोली लगाकर ठेकेदार टेंडर अपने नाम ले लेते हैं और टेंडर में खर्च किए गए पैसे को कमाने के लिए ठेकेदार दुकानदारों से मनमाना पैसा वसूलते हैं.
पिछले साल 75 लाख रुपये में हुआ था मेला का टेंडर
मेले में दुकान लगाने वाले दुकानदार बताते हैं कि पिछले साल करीब 75 लाख रुपये में आखिरी बोली लगी थी और अपने पैसे को वसूलने के लिए ठेकेदार ने दुकानदारों से अवैध वसूली किया था. ऐसे में जरूरत है कि प्रबंधन कम से कम बोली लगवाकर टेंडर पास करें, ताकि टेंडर कंपनी दुकानदारों से भाड़े के नाम पर अवैध वसूली न कर सकें.
जगन्नाथपुर में 50 एकड़ जमीन पर लगता है मेला
मालूम हो कि जगन्नाथ मंदिर परिसर के आसपास करीब 50 एकड़ जमीन पर मेला का आयोजन होता है. इस मेले में दुकानदार दुकानें लगाकर अपना जीवन यापन करते हैं. अब देखने वाली बात होगी कि इस बार टेंडर पास होने के बाद ठेकेदारों द्वारा दुकानदारों से क्या राशि वसूली की जाती है और उससे दुकानदार कितने संतुष्ट दिखते हैं.
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