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शास्त्री अध्यापकों के लिए बीएड की अनिवार्यता गैरकानूनी, हाईकोर्ट ने बिना बीएड शास्त्री डिग्रीधारकों को दी बड़ी राहत - HC SHIMLA ON SHASTRI TEACHERS

शास्त्री डिग्री धारकों को हिमाचल हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है. शास्त्री अध्यापकों के पदों के लिए बीएड की अनिवार्यता को गैरकानूनी ठहराया है.

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट शिमला
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट शिमला (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 30, 2024, 9:51 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट से शास्त्री डिग्री धारकों के लिए सुख भरी खबर आई है. हिमाचल हाईकोर्ट ने बिना बीएड शास्त्री डिग्रीधारकों यानी उन शास्त्री अध्यापकों को राहत दी है, जिनके पास बीएड की डिग्री नहीं है. हाईकोर्ट ने शास्त्री अध्यापकों के पदों के लिए बीएड की अनिवार्यता को गैरकानूनी ठहराया है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने इस केस में बड़ा फैसला दिया है. न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने शास्त्री अध्यापकों के लिए बीएड की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली याचिकाओं का निपटारा कर दिया है.

इन याचिकाओं का निपटारा करते हुए न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने कहा कि राज्य सरकार बिना तय प्रक्रिया और बिना भर्ती एवं पदोन्नति नियमों (आरएंडपी रूल्स) में संशोधन किए मनमानी शर्तों को नहीं थोप सकती. इससे पहले हाईकोर्ट की खंडपीठ भी शास्त्री अध्यापकों की भर्ती के लिए शैक्षणिक योग्यता के रूप में बीएड को अनिवार्य किए जाने की मांग को लेकर दाखिल की गई याचिकाओं को खारिज कर चुकी है. उस समय बीएड डिग्री धारकों ने 19 फरवरी 2020 की अधिसूचना के तहत करवाई जा रही शास्त्री अध्यापक के पदों की भर्तियों को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

उसके बाद वर्ष 2023 में शिक्षा विभाग ने शास्त्री अध्यापकों के पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे. शिक्षा विभाग ने उन आवेदनों में बीएड डिग्री को अनिवार्य किया था. शिक्षा विभाग के इस फैसले को प्रार्थियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. प्रार्थियों का कहना था कि बिना भर्ती एवं पदोन्नति (आरएंडपी रूल्स) नियमों में संशोधन किए इस तरह की शर्त नहीं थोपी जा सकती. कुछ प्रार्थियों की दलील थी कि यदि बीएड डिग्री को शास्त्री अध्यापकों के पदों के लिए अनिवार्य किया जाता है तो उनके बाद शास्त्री की डिग्री लेने के साथ-साथ बीएड करने वाले उनसे जूनियर नियुक्ति पा लेंगे और यह बैच वाइज भर्ती के नियमों का उल्लंघन होगा. फिलहाल, हाईकोर्ट ने इस संदर्भ में सभी याचिकाओं का निपटारा कर दिया है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल से इलाज के लिए हर साल बाहर जाते हैं 9.50 लाख मरीज, GDP में होता है करोड़ों का नुकसान

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट से शास्त्री डिग्री धारकों के लिए सुख भरी खबर आई है. हिमाचल हाईकोर्ट ने बिना बीएड शास्त्री डिग्रीधारकों यानी उन शास्त्री अध्यापकों को राहत दी है, जिनके पास बीएड की डिग्री नहीं है. हाईकोर्ट ने शास्त्री अध्यापकों के पदों के लिए बीएड की अनिवार्यता को गैरकानूनी ठहराया है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने इस केस में बड़ा फैसला दिया है. न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने शास्त्री अध्यापकों के लिए बीएड की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली याचिकाओं का निपटारा कर दिया है.

इन याचिकाओं का निपटारा करते हुए न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने कहा कि राज्य सरकार बिना तय प्रक्रिया और बिना भर्ती एवं पदोन्नति नियमों (आरएंडपी रूल्स) में संशोधन किए मनमानी शर्तों को नहीं थोप सकती. इससे पहले हाईकोर्ट की खंडपीठ भी शास्त्री अध्यापकों की भर्ती के लिए शैक्षणिक योग्यता के रूप में बीएड को अनिवार्य किए जाने की मांग को लेकर दाखिल की गई याचिकाओं को खारिज कर चुकी है. उस समय बीएड डिग्री धारकों ने 19 फरवरी 2020 की अधिसूचना के तहत करवाई जा रही शास्त्री अध्यापक के पदों की भर्तियों को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

उसके बाद वर्ष 2023 में शिक्षा विभाग ने शास्त्री अध्यापकों के पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे. शिक्षा विभाग ने उन आवेदनों में बीएड डिग्री को अनिवार्य किया था. शिक्षा विभाग के इस फैसले को प्रार्थियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. प्रार्थियों का कहना था कि बिना भर्ती एवं पदोन्नति (आरएंडपी रूल्स) नियमों में संशोधन किए इस तरह की शर्त नहीं थोपी जा सकती. कुछ प्रार्थियों की दलील थी कि यदि बीएड डिग्री को शास्त्री अध्यापकों के पदों के लिए अनिवार्य किया जाता है तो उनके बाद शास्त्री की डिग्री लेने के साथ-साथ बीएड करने वाले उनसे जूनियर नियुक्ति पा लेंगे और यह बैच वाइज भर्ती के नियमों का उल्लंघन होगा. फिलहाल, हाईकोर्ट ने इस संदर्भ में सभी याचिकाओं का निपटारा कर दिया है.

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