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दोबारा निरीक्षण करने घना पहुंची एनजीटी की ओर से गठित कमेटी, मौके पर कटे व उखाड़े हुए मिले सैकड़ों पेड़ - KEOLADEO NATIONAL PARK BHARATPUR

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा गठित कमेटी एक सप्ताह में दूसरी बार केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का निरीक्षण किया. इस दौरान कई क्षेत्रों में बड़ी संख्या में कटे और उखड़े पेड़ मिले हैं.

KEOLADEO NATIONAL PARK BHARATPUR
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (ETV Bharatpur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 2, 2024, 9:17 PM IST

भरतपुर. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पेड़ और झाड़ियां काटने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा गठित कमेटी एक सप्ताह में दोबारा निरीक्षण करने पहुंची. कमेटी ने उद्यान के मलाह, श्रीनगर और अघापुर क्षेत्र समेत कई क्षेत्रों में निरीक्षण किया. कमेटी के सदस्यों को इस बार के निरीक्षण में कई जगह पर बड़ी संख्या में कटे और उखाड़े हुए पेड़ मिले हैं. अब कमेटी निरीक्षण के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर एनजीटी को भेजेगी.

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि गुरुवार को एनजीटी द्वारा गठित कमेटी उद्यान में दोबारा निरीक्षण करने पहुंची. इससे पहले कमेटी ने 25 अप्रैल को निरीक्षण किया था. कमेटी में भरतपुर एसडीएम, राजस्थान पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी और एनजीटी में शिकायत करने वाले पर्यावरणविद डॉ केपी सिंह मौजूद थे. डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि कमेटी ने घना के कई क्षेत्रों का निरीक्षण किया.

पढ़ें: केवलादेव में पेड़ों की कटाई का मामला, मैनेजमेंट प्लान का भी सुप्रीम कोर्ट की CEC से नहीं लिया अप्रूवल - NGT On Keoladeo Park Tree Cutting

यहां किया निरीक्षण: कमेटी के सदस्यों ने उद्यान के ओ ब्लॉक में तैयार कराए गए डिग्गी (जलाशय) का निरीक्षण किया. यहां बड़े क्षेत्र में जलाशय निर्माण कराए गए हैं. इसके बाद कमेटी ने अघापुर चौकी के चारदीवारी क्षेत्र, मलाह चौकी व श्रीनगर क्षेत्र का भी निरीक्षण किया. इस क्षेत्र में कच्ची सड़क निर्माण के लिए जेसीबी व अन्य माध्यम से बड़ी संख्या में पेड़ उखाड़े व काटे गए हैं. आशंका है कि ओ ब्लॉक में जलाशय निर्माण के लिए भी पेड़ों की कटाई की गई है.

पढ़ें: घना में कच्ची सड़क निर्माण के लिए काटे गए थे पेड़, अब NGT के निर्देश पर कमेटी ने किया उद्यान का निरीक्षण - ETV Bharat News Impact

दूसरी कच्ची सड़क की क्या जरूरत?: असल में घना में पहले से ही चारदीवारी क्षेत्र एक कच्चा सड़क मार्ग उपलब्ध था. बावजूद इसके बराबर में दूसरा कच्चा मार्ग तैयार किया गया है. घना के जिम्मेदारों का कहना है कि यह कच्ची सड़क विभाग के कर्मचारियों की गश्त के लिए तैयार किया गया है. जबकि हकीकत में पहले से उपलब्ध कच्चे सड़क मार्ग को वर्षों से विभाग काम में लेता रहा है.

पढ़ें: केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की ऑनलाइन टिकट बुकिंग बंद, विद्यार्थी, शोधार्थी और देशी पर्यटक परेशान - Keoladeo National Park Bharatpur

यह है मामला: असल में वर्ष 2023 में घना में करीब 29 वर्ग किलोमीटर में फैले केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के अंदर चारों तरफ चारदीवारी के पास में करीब 26 किमी क्षेत्र में कच्ची सड़क का निर्माण किया गया. सड़क निर्माण के दौरान उद्यान में मौजूद करीब एक दर्जन से भी अधिक प्रजाति के सैकड़ों पेड़ों व झाड़ियों को काट दिया गया. इनमें देशी कदम, देशी बबूल, बेर, हींस, करील, पापड़ी, नीम आदि के पेड़ शामिल हैं.

काटे गए पेड़ों की उम्र करीब 25 से 30 वर्ष तक थी. इन पेड़ और झाड़ियों के कटने से हैविटाट नष्ट हुआ. पेड़ों और झाड़ियों के कटने से अजगर, सेही, जरख, गोल्डन जैकोल, बुलबुल की प्रजाति, चूहों की प्रजाति, येलो थ्रोटेड स्पैरो आदि जीव और पक्षियों की प्रजातियों का हेविटाट नष्ट हो गया है. इससे सीधे-सीधे ये जीव और पक्षी प्रभावित होंगे. साथ ही झाड़ियों के कटने से छोटी प्रजाति के पक्षी, सरीसृप की प्रजातियां भी प्रभावित होंगी.

ईटीवी भारत ने प्रकाशित किया था मुद्दा: इस पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत ने सिलसिलेवार खबरें प्रकाशित की थीं. 24 जनवरी 2023 को 'बिना प्लानिंग होते रहे काम तो घना पक्षी अभ्यारण्य को उठाना पड़ेगा बड़ा नुकसान', 20 जून 2023 को 'केवलादेव में उजड़ रहा वन्यजीवों का बसेरा! काटे गए सैकड़ों पेड़... टीटीजेडी तक पहुंचा मामला', 2 अगस्त 2023 को ' केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में बिना अनुमति सैकड़ों पेड़ व झाड़ी काटे, जिम्मेदार बोले-नियमानुसार किया कार्य, जवाब से टीटीजेड संतुष्ट नहीं' शीर्षक से खबरें प्रकाशित कर उद्यान प्रशासन की लापरवाही उजागर की थी.

इसके बाद बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ केपी सिंह ने मामले की गंभीरता को समझते हुए पहले टीटीजे में शिकायत की और उसके बाद एनजीटी का दरवाजा खटखटाया. डॉ केपी सिंह का कहना है कि यदि एनजीटी की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हुए तो हम सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे.

भरतपुर. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पेड़ और झाड़ियां काटने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा गठित कमेटी एक सप्ताह में दोबारा निरीक्षण करने पहुंची. कमेटी ने उद्यान के मलाह, श्रीनगर और अघापुर क्षेत्र समेत कई क्षेत्रों में निरीक्षण किया. कमेटी के सदस्यों को इस बार के निरीक्षण में कई जगह पर बड़ी संख्या में कटे और उखाड़े हुए पेड़ मिले हैं. अब कमेटी निरीक्षण के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर एनजीटी को भेजेगी.

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि गुरुवार को एनजीटी द्वारा गठित कमेटी उद्यान में दोबारा निरीक्षण करने पहुंची. इससे पहले कमेटी ने 25 अप्रैल को निरीक्षण किया था. कमेटी में भरतपुर एसडीएम, राजस्थान पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी और एनजीटी में शिकायत करने वाले पर्यावरणविद डॉ केपी सिंह मौजूद थे. डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि कमेटी ने घना के कई क्षेत्रों का निरीक्षण किया.

पढ़ें: केवलादेव में पेड़ों की कटाई का मामला, मैनेजमेंट प्लान का भी सुप्रीम कोर्ट की CEC से नहीं लिया अप्रूवल - NGT On Keoladeo Park Tree Cutting

यहां किया निरीक्षण: कमेटी के सदस्यों ने उद्यान के ओ ब्लॉक में तैयार कराए गए डिग्गी (जलाशय) का निरीक्षण किया. यहां बड़े क्षेत्र में जलाशय निर्माण कराए गए हैं. इसके बाद कमेटी ने अघापुर चौकी के चारदीवारी क्षेत्र, मलाह चौकी व श्रीनगर क्षेत्र का भी निरीक्षण किया. इस क्षेत्र में कच्ची सड़क निर्माण के लिए जेसीबी व अन्य माध्यम से बड़ी संख्या में पेड़ उखाड़े व काटे गए हैं. आशंका है कि ओ ब्लॉक में जलाशय निर्माण के लिए भी पेड़ों की कटाई की गई है.

पढ़ें: घना में कच्ची सड़क निर्माण के लिए काटे गए थे पेड़, अब NGT के निर्देश पर कमेटी ने किया उद्यान का निरीक्षण - ETV Bharat News Impact

दूसरी कच्ची सड़क की क्या जरूरत?: असल में घना में पहले से ही चारदीवारी क्षेत्र एक कच्चा सड़क मार्ग उपलब्ध था. बावजूद इसके बराबर में दूसरा कच्चा मार्ग तैयार किया गया है. घना के जिम्मेदारों का कहना है कि यह कच्ची सड़क विभाग के कर्मचारियों की गश्त के लिए तैयार किया गया है. जबकि हकीकत में पहले से उपलब्ध कच्चे सड़क मार्ग को वर्षों से विभाग काम में लेता रहा है.

पढ़ें: केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की ऑनलाइन टिकट बुकिंग बंद, विद्यार्थी, शोधार्थी और देशी पर्यटक परेशान - Keoladeo National Park Bharatpur

यह है मामला: असल में वर्ष 2023 में घना में करीब 29 वर्ग किलोमीटर में फैले केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के अंदर चारों तरफ चारदीवारी के पास में करीब 26 किमी क्षेत्र में कच्ची सड़क का निर्माण किया गया. सड़क निर्माण के दौरान उद्यान में मौजूद करीब एक दर्जन से भी अधिक प्रजाति के सैकड़ों पेड़ों व झाड़ियों को काट दिया गया. इनमें देशी कदम, देशी बबूल, बेर, हींस, करील, पापड़ी, नीम आदि के पेड़ शामिल हैं.

काटे गए पेड़ों की उम्र करीब 25 से 30 वर्ष तक थी. इन पेड़ और झाड़ियों के कटने से हैविटाट नष्ट हुआ. पेड़ों और झाड़ियों के कटने से अजगर, सेही, जरख, गोल्डन जैकोल, बुलबुल की प्रजाति, चूहों की प्रजाति, येलो थ्रोटेड स्पैरो आदि जीव और पक्षियों की प्रजातियों का हेविटाट नष्ट हो गया है. इससे सीधे-सीधे ये जीव और पक्षी प्रभावित होंगे. साथ ही झाड़ियों के कटने से छोटी प्रजाति के पक्षी, सरीसृप की प्रजातियां भी प्रभावित होंगी.

ईटीवी भारत ने प्रकाशित किया था मुद्दा: इस पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत ने सिलसिलेवार खबरें प्रकाशित की थीं. 24 जनवरी 2023 को 'बिना प्लानिंग होते रहे काम तो घना पक्षी अभ्यारण्य को उठाना पड़ेगा बड़ा नुकसान', 20 जून 2023 को 'केवलादेव में उजड़ रहा वन्यजीवों का बसेरा! काटे गए सैकड़ों पेड़... टीटीजेडी तक पहुंचा मामला', 2 अगस्त 2023 को ' केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में बिना अनुमति सैकड़ों पेड़ व झाड़ी काटे, जिम्मेदार बोले-नियमानुसार किया कार्य, जवाब से टीटीजेड संतुष्ट नहीं' शीर्षक से खबरें प्रकाशित कर उद्यान प्रशासन की लापरवाही उजागर की थी.

इसके बाद बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ केपी सिंह ने मामले की गंभीरता को समझते हुए पहले टीटीजे में शिकायत की और उसके बाद एनजीटी का दरवाजा खटखटाया. डॉ केपी सिंह का कहना है कि यदि एनजीटी की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हुए तो हम सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे.

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