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हॉकी खेलने में था इंट्रेस्ट, कॉमेडियन बन गए एहसान कुरैशी, देखिए पूरा इंटरव्यू - COMEDIAN AHSAAN QURESHI INTERVIEW

पहला टीवी शो साल 2005 में किया था, तब से लेकर आज तक उनका 'हास्य सफर'

EXCLUSIVE INTERVIEW- कॉमेडियन एहसान कुरैशी
EXCLUSIVE INTERVIEW- कॉमेडियन एहसान कुरैशी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 3 hours ago

Updated : 1 hours ago

नई दिल्ली: कॉमेडियन एहसान कुरैशी के हंसमुख अंदाज से हर कोई वाकिफ है. स्टैंडअप कॉमेडी के क्षेत्र में इतने सालों की मेहनत के बाद आज उन्हें परिचय की जरूरत नहीं. आज भी लोग उनकी स्टैंडअप कॉमेडी को पसंद करते हैं. उन्होंने पहला टीवी शो साल 2005 में किया था और तब से लेकर आज तक उनका 'हास्य सफर' जारी है. ईटीवी भारत की संवाददाता शशिकला ने उनसे विशेष बातचीत की. आइए जानते उन्होंने क्या कहा...

सवाल: स्टैंडअप कॉमेडियन बनने का विचार कैसे आया?

जवाब: ये हुनर गॉड गिफ्ट है, जिसकी शुरुआत बचपन में ही हो गई थी. लेकिन कभी सोचा नहीं था, ये हुनर रोजगार का भी एक माध्यम बन जाएगा. उस वक्त भी खुशी होती थी, जब लोग मेरे जोक सुनकर हंसा करते थे. लेकिन मेरा सपना कॉमेडियन बनना नहीं था. बचपन से मेरी रुचि स्पोर्ट्स की ओर ज्यादा था. मैं हॉकी प्लेयर ध्यानचंद को काफी पसंद करता था. मेरा मन भी एक हॉकी प्लेयर बनने का था. मुझपर हॉकी का जूनून इस कदर सिर पर सवार था कि सुबह 4 बजे प्ले ग्राउंड में पहुंच जाया करता था.

कॉमेडियन एहसान कुरैशी इंटरव्यू (ETV Bharat)

मैं साल के चार महीने सुबह हॉकी खेलता था. लेकिन, बरसात के मौसम में हॉकी खेलना संभव नहीं हो पाता था, इसलिए फुटबॉल खेलते थे, ताकि बॉडी में स्टैमिना बना रहे. परिवार में पिता जी रेसलर थे. उन्होंने अपना पूरा जीवन पहलवानी के नाम कर दिया. घर पर मां पिता जी से कहा करती थीं कि जितना जीत कर लाते हो, उसका खुद ही दूध-बादाम खा जाते हो. तब लगा कि अगर मैं भी स्पोर्ट्स में चला गया तो मेरी पत्नी भी ऐसे ही झगड़ेगी. तब जाकर स्पोर्ट्स का विचार मन से निकाल दिया. इसके बाद सोचा कि कुछ ऐसा किया जाए, जिसमें कमाई भी हो. फिर बचपन के हुनर को ही ताकत बना ली और लोगों को हंसाना शुरू किया जो बाद में पैसे कमाने का अच्छा माध्यम बन गया.

सवाल: TV पर सबसे पहला शो करने का मौका कब मिला?

जवाब: मैंने सबसे पहला टीवी शो 2005 में किया था, जब 'द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज' आया. उस समय शो के डायरेक्टर ने कुछ कॉमेडियंस की शॉर्ट क्लिप मांगी और चैनल वालों को बताया कि यह लोग टीवी पर स्टैंडअप कॉमेडी पेश करेंगे. तब चैनलों पर धारावाहिकों का दौर था. चैनल के मालिक ने बोला कि खूबसूरत आर्टिस्ट्स के बीच इन कॉमेडियंस को कौन देखेगा? लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और हमें मंच पर जाने का मौका दिया.

साथ ही मंच के सामने ऐसे हंसने वाले कलाकरों को बिठाया, जिनकी हंसी का कोई तोड़ नहीं. इसमें शेखर सुमन और नवजोत सिंह सिद्धू को बैठाया गया. जब शो शुरू हुआ, तभी लोगों ने सुनील पाल, राजू श्रीवास्तव, कपिल शर्मा, चंदन प्रभाकर, सिराज खान, सुदेश लहरी, राजीव ठाकुर, भारती सिंह, नवीन प्रभाकर, जस्सी कोचर, ख्याली, दीपू श्रीवास्तव जैसे कई प्रतिभाशाली कॉमेडियन को पहचान मिली. इसी में एक पंजाब के सीएम भगवंत मान भी थे, लेकिन उन्होंने स्टैंडअप कॉमेडी से जल्द ही नाता तोड़ दिया और राजनीति में चले गए.

सवाल: कैसा रहा यह 20 वर्षों का सफर

जवाब: इन 20 वर्षों में मुझे तीन पीढ़ियों का प्यार मिला. जब 2005 में पहला शो आया, तो उसे बच्चों ने देखा, वह आज बड़े हो गए. जिन जवान लोगों ने देखा, वह अब बुजुर्ग हो गए और जिन बुजुर्गों ने देखा वह भगवान को प्यारे हो गए. भगवान उनकी आत्मा को शांति दें. इन्हीं तीन पीढ़ियों का आशीर्वाद है, जो आज हम आपके सामने हैं.

सवाल: क्या वर्तमान में अभिभावक बच्चों को स्टैंडअप कॉमेडी को करियर के तौर पर चुनने का मौका देते हैं?

जवाब: जी, अब वह दौर आ गया है, जब माता पिता अपने बच्चों को स्टैंडअप कॉमेडी करने दे रहे हैं. साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने इस क्षेत्र को काफी आगे बढ़ा दिया है. लोग यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर आदि जगहों पर स्टैंडअप कॉमेडी की वीडियो पोस्ट करते हैं. अब केवल स्टैंडअप कॉमेडियन ही नहीं, बल्कि डॉक्टर, इंजीनियर आदि क्षेत्र के लोग भी लोगों को हंसा रहे हैं. वह रोज कुछ नया लिखते हैं और लोगों को हंसाते हैं. अब अभिभावक समझ गए हैं कि बच्चों के ऊपर किसी भी तरह का दबाव नहीं बनाना चाहिए. वह जिस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं, उसी में उन्हें जाने दें. अब लोगों की सोच बदल गई है.

सवाल: आपकी पत्नी जीनत ने कब से कविताएं पढ़ना शुरू किया?

जवाब: एहसान कुरैशी की पत्नी जीनत एहसान ने बताया कि उनको कविताएं लिखने का शौक शादी के पहले से था. उन्होंने कहा, मैंने 1987 से लिखना शुरू किया. अभी तक 4 किताबें लिख चुकी हूं. इसके अलावा कव्वालियों और मुशायरों में आना जाना लगा रहता है. कई सीरियल में काम किया. इसके अलावा एहसान फिल्म 'बॉम्बे टू गोवा' में भी काम किया है, जिसमें मैं नकाब में दिखी हूं. इसके अलावा हम दोनों ने कई नाट्य मंचन भी साथ में किए हैं. ऐसे ही सिलसिला बढ़ा और हमारी शादी हो गई. दिल्ली के दर्शक सच में बहुत अच्छे हैं. उनको कलाकार का सम्मान करना आता है. आगे दिल्ली वाले जब भी बुलाएंगे, हम जरूर आएंगे?

सवाल: स्टैंडअप कॉमेडियन के तौर पर आप कितने देशों की यात्रा कर चुके हैं?

जवाब: अभी तक करीब 25 देशों में प्रस्तुतियां दे चुका हूं. इसमें से करीब सभी देशों में पत्नी जीनत भी साथ गई हैं. लेकिन जीनत ने एक देश जाने से मना कर दिया था, उसका नाम है बैंकॉक.

यह भी पढ़ें- इंडिया हैबिटेट सेंटर में अरुणिमा घोष ने ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति से मोहा दर्शकों का मन

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नई दिल्ली: कॉमेडियन एहसान कुरैशी के हंसमुख अंदाज से हर कोई वाकिफ है. स्टैंडअप कॉमेडी के क्षेत्र में इतने सालों की मेहनत के बाद आज उन्हें परिचय की जरूरत नहीं. आज भी लोग उनकी स्टैंडअप कॉमेडी को पसंद करते हैं. उन्होंने पहला टीवी शो साल 2005 में किया था और तब से लेकर आज तक उनका 'हास्य सफर' जारी है. ईटीवी भारत की संवाददाता शशिकला ने उनसे विशेष बातचीत की. आइए जानते उन्होंने क्या कहा...

सवाल: स्टैंडअप कॉमेडियन बनने का विचार कैसे आया?

जवाब: ये हुनर गॉड गिफ्ट है, जिसकी शुरुआत बचपन में ही हो गई थी. लेकिन कभी सोचा नहीं था, ये हुनर रोजगार का भी एक माध्यम बन जाएगा. उस वक्त भी खुशी होती थी, जब लोग मेरे जोक सुनकर हंसा करते थे. लेकिन मेरा सपना कॉमेडियन बनना नहीं था. बचपन से मेरी रुचि स्पोर्ट्स की ओर ज्यादा था. मैं हॉकी प्लेयर ध्यानचंद को काफी पसंद करता था. मेरा मन भी एक हॉकी प्लेयर बनने का था. मुझपर हॉकी का जूनून इस कदर सिर पर सवार था कि सुबह 4 बजे प्ले ग्राउंड में पहुंच जाया करता था.

कॉमेडियन एहसान कुरैशी इंटरव्यू (ETV Bharat)

मैं साल के चार महीने सुबह हॉकी खेलता था. लेकिन, बरसात के मौसम में हॉकी खेलना संभव नहीं हो पाता था, इसलिए फुटबॉल खेलते थे, ताकि बॉडी में स्टैमिना बना रहे. परिवार में पिता जी रेसलर थे. उन्होंने अपना पूरा जीवन पहलवानी के नाम कर दिया. घर पर मां पिता जी से कहा करती थीं कि जितना जीत कर लाते हो, उसका खुद ही दूध-बादाम खा जाते हो. तब लगा कि अगर मैं भी स्पोर्ट्स में चला गया तो मेरी पत्नी भी ऐसे ही झगड़ेगी. तब जाकर स्पोर्ट्स का विचार मन से निकाल दिया. इसके बाद सोचा कि कुछ ऐसा किया जाए, जिसमें कमाई भी हो. फिर बचपन के हुनर को ही ताकत बना ली और लोगों को हंसाना शुरू किया जो बाद में पैसे कमाने का अच्छा माध्यम बन गया.

सवाल: TV पर सबसे पहला शो करने का मौका कब मिला?

जवाब: मैंने सबसे पहला टीवी शो 2005 में किया था, जब 'द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज' आया. उस समय शो के डायरेक्टर ने कुछ कॉमेडियंस की शॉर्ट क्लिप मांगी और चैनल वालों को बताया कि यह लोग टीवी पर स्टैंडअप कॉमेडी पेश करेंगे. तब चैनलों पर धारावाहिकों का दौर था. चैनल के मालिक ने बोला कि खूबसूरत आर्टिस्ट्स के बीच इन कॉमेडियंस को कौन देखेगा? लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और हमें मंच पर जाने का मौका दिया.

साथ ही मंच के सामने ऐसे हंसने वाले कलाकरों को बिठाया, जिनकी हंसी का कोई तोड़ नहीं. इसमें शेखर सुमन और नवजोत सिंह सिद्धू को बैठाया गया. जब शो शुरू हुआ, तभी लोगों ने सुनील पाल, राजू श्रीवास्तव, कपिल शर्मा, चंदन प्रभाकर, सिराज खान, सुदेश लहरी, राजीव ठाकुर, भारती सिंह, नवीन प्रभाकर, जस्सी कोचर, ख्याली, दीपू श्रीवास्तव जैसे कई प्रतिभाशाली कॉमेडियन को पहचान मिली. इसी में एक पंजाब के सीएम भगवंत मान भी थे, लेकिन उन्होंने स्टैंडअप कॉमेडी से जल्द ही नाता तोड़ दिया और राजनीति में चले गए.

सवाल: कैसा रहा यह 20 वर्षों का सफर

जवाब: इन 20 वर्षों में मुझे तीन पीढ़ियों का प्यार मिला. जब 2005 में पहला शो आया, तो उसे बच्चों ने देखा, वह आज बड़े हो गए. जिन जवान लोगों ने देखा, वह अब बुजुर्ग हो गए और जिन बुजुर्गों ने देखा वह भगवान को प्यारे हो गए. भगवान उनकी आत्मा को शांति दें. इन्हीं तीन पीढ़ियों का आशीर्वाद है, जो आज हम आपके सामने हैं.

सवाल: क्या वर्तमान में अभिभावक बच्चों को स्टैंडअप कॉमेडी को करियर के तौर पर चुनने का मौका देते हैं?

जवाब: जी, अब वह दौर आ गया है, जब माता पिता अपने बच्चों को स्टैंडअप कॉमेडी करने दे रहे हैं. साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने इस क्षेत्र को काफी आगे बढ़ा दिया है. लोग यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर आदि जगहों पर स्टैंडअप कॉमेडी की वीडियो पोस्ट करते हैं. अब केवल स्टैंडअप कॉमेडियन ही नहीं, बल्कि डॉक्टर, इंजीनियर आदि क्षेत्र के लोग भी लोगों को हंसा रहे हैं. वह रोज कुछ नया लिखते हैं और लोगों को हंसाते हैं. अब अभिभावक समझ गए हैं कि बच्चों के ऊपर किसी भी तरह का दबाव नहीं बनाना चाहिए. वह जिस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं, उसी में उन्हें जाने दें. अब लोगों की सोच बदल गई है.

सवाल: आपकी पत्नी जीनत ने कब से कविताएं पढ़ना शुरू किया?

जवाब: एहसान कुरैशी की पत्नी जीनत एहसान ने बताया कि उनको कविताएं लिखने का शौक शादी के पहले से था. उन्होंने कहा, मैंने 1987 से लिखना शुरू किया. अभी तक 4 किताबें लिख चुकी हूं. इसके अलावा कव्वालियों और मुशायरों में आना जाना लगा रहता है. कई सीरियल में काम किया. इसके अलावा एहसान फिल्म 'बॉम्बे टू गोवा' में भी काम किया है, जिसमें मैं नकाब में दिखी हूं. इसके अलावा हम दोनों ने कई नाट्य मंचन भी साथ में किए हैं. ऐसे ही सिलसिला बढ़ा और हमारी शादी हो गई. दिल्ली के दर्शक सच में बहुत अच्छे हैं. उनको कलाकार का सम्मान करना आता है. आगे दिल्ली वाले जब भी बुलाएंगे, हम जरूर आएंगे?

सवाल: स्टैंडअप कॉमेडियन के तौर पर आप कितने देशों की यात्रा कर चुके हैं?

जवाब: अभी तक करीब 25 देशों में प्रस्तुतियां दे चुका हूं. इसमें से करीब सभी देशों में पत्नी जीनत भी साथ गई हैं. लेकिन जीनत ने एक देश जाने से मना कर दिया था, उसका नाम है बैंकॉक.

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