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6 साल पहले चली गई पिता की आखों की रोशनी, घर की माली हालत हुई खराब तो बेटी बनी 'आत्मनिर्भर चायवाली' - Atmanirbhar Chai Wali - ATMANIRBHAR CHAI WALI

Atmanirbhar Chai Wali of Rohtas: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि देश आत्मनिर्भर बने. इसके लिए सरकारी नौकरी को छोड़कर वह युवाओं से स्वरोजगार के लिए प्रेरित कर रहे हैं. इस बीच बिहार के रोहतास में एक 'आत्मनिर्भर चायवाली' इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है. जब पिता की आखों की रोशनी चली गई तो इस बेटी ने घर की जिम्मेदारी उठा ली. पढ़ें 'आत्मनिर्भर चायवाली' के संघर्ष की प्रेरक कहानी..

Atmanirbhar Chai Wali
Atmanirbhar Chai Wali
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 3, 2024, 6:01 AM IST

रोहतास की आत्मनिर्भरता चाय वाली

रोहतास: लोकसभा चुनाव के बीच बिहार के रोहतास में एक टी-स्टॉल चर्चा का सबब बना हुआ है. दरसल जिले के डेहरी शहर के नगर थाना के मुख्य द्वार के पास शहर के एक कॉलेज में पढ़ने वाली छात्रा ने अपना चाय का स्टाल लगाया है. जिसके बैनर पर कई संदेश लिखे हैं. आसपास के लोग इस छात्रा की आत्मनिर्भरता की चर्चा चारों ओर कर रहे हैं.

घर की हालत देख बनी आत्मनिर्भर चाय वाली: बता दें कि शहर में नगर परिषद के पास सालों से किराए पर रहने वाले दूधनाथ राम पिछले साल पहले नेत्रहीन हो गए. घर में केवल चार पुत्री हैं, जिसमें दो की शादी हो चुकी है. जबकि तीसरे नंबर की पुत्री सुमन कुमारी घर के हालात को देख कॉलेज में पढ़ाई के साथ पिता को सहारा देने के उद्देश्य से थाना के मुख्य द्वार के चाय का स्टाल भी चलाती है. इस खास चाय के स्टॉल का नाम आत्मनिर्भर चाय वाली है.

घर की जिम्मेदारियों ने बनाया आत्मनिर्भर
घर की जिम्मेदारियों ने बनाया आत्मनिर्भर

शुरुआत में हुई थोड़ी झिझक: सुमन कुमारी ने बताया कि उसका कोई भाई नहीं है, चार बहनों में छोटी बहन पढ़ाई करती है, जबकि स्थिति को देख उसने खुद चाय स्टॉल लगाना शुरू कर दिया. नेत्रहीन पिता अपनी पुत्री के सहारे स्टॉल तक पहुंच कर साथ में बैठते हैं. सुमन कहती कि शुरुआत में उसे थोड़ी झिझक हुई लेकिन वह शिक्षित है, जिसके साथ ही उसने आत्मनिर्भरता जैसे शब्दों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास किया. आर्थिक तंगी व पूंजी के अभाव के बाद उसने चाय स्टाल की शुरुआत की.

सुबह-शाम लगता है टी-स्टॉल: वह बताती है कि सुबह और शाम कुल 5 घंटे चाय का स्टॉल लगाना शुरू किया है, ताकि परिवार का भरण पोषण हो सके. साथ ही स्टॉल के माध्यम से अपने जैसे सभी लोगों को यह संदेश भी देना है कि जीवन में आत्मनिर्भर होना बहुत जरूरी है. सुमन की आत्मनिर्भरता को देख आस पास के लोग उसके दुकान पर पर चाय पीने के साथ उसकी प्रशंशा करते नहीं थकते.

चाय के स्टॉल से चलता है घर का खर्च
चाय के स्टॉल से चलता है घर का खर्च

"6 साल पहले पिता की आंखों की रोशनी चली गई, वह बीमार भी रहते हैं, ऐसे में घर के हालात भी सही नहीं है. हम 4 बहनें है, कोई भाई भी नहीं है. कोई कमाने वाला नहीं है. कम खर्चे में चाय का स्टॉल मैंने खुद खोलने का निर्णय लिया और बैनर पर लिखे शब्द भी खुद से लिखे हैं. टी स्टॉल से ही अब खुद आत्मनिर्भर बन परिवार के लोगों के लिए सहारा बन गई हूं."-सुमन कुमारी, आत्मनिर्भर चाय वाली छात्रा

क्या है चाय की कीमत: बता दें कि आत्मनिर्भर चाय की दुकान पर सुमन ने एक बैनर भी लगा रखा है जिस पर चाय की कीमत भी लिखी है. जिसमें कुल्हड़ चाय 10 रुपये, स्पेशल चाय 20 रुपये, मसाला चाय 20 रुपये और चॉकलेट चाय की कीमत 20 रुपये रखी गई है. वहीं लिखा है कि 'बेटियां उजाला करने के लिए काफी है. जिसे लत लग जाए, मंजिल का सुखा खाना भी उसे पसंद पड़ता है. मंजिल खुद चलकर नहीं आती, मंजिल तक हमें खुद जाना पड़ता है, आओ एक कप चाय हो जाए.'

पढ़ें: Post Graduate Chai Wali से मिले मनोज बाजपेयी, बोले- 'समाज को बदलने के लिए एक बंदी काफी है'

पढ़ें: Madam Ji Chai Wali: पटना में 'मैडम जी चाय वाली' के साथ मारपीट, पुलिस पर मदद नहीं करने का लगाया आरोप

पढ़ें: Nari Shakti Chai Wali: बच्चों की स्कूल फी के लिए मां ने खोला चाय स्टॉल, संघर्ष से भरी है 'नारी शक्ति चाय वाली' की कहानी

पढ़ें: Bhagalpur Crorepati Chaiwala: सूट बूट में चाय बेचते हैं दीपक, बोले- 'करोड़पति चायवाला सुनना अच्छा लगता है'

रोहतास की आत्मनिर्भरता चाय वाली

रोहतास: लोकसभा चुनाव के बीच बिहार के रोहतास में एक टी-स्टॉल चर्चा का सबब बना हुआ है. दरसल जिले के डेहरी शहर के नगर थाना के मुख्य द्वार के पास शहर के एक कॉलेज में पढ़ने वाली छात्रा ने अपना चाय का स्टाल लगाया है. जिसके बैनर पर कई संदेश लिखे हैं. आसपास के लोग इस छात्रा की आत्मनिर्भरता की चर्चा चारों ओर कर रहे हैं.

घर की हालत देख बनी आत्मनिर्भर चाय वाली: बता दें कि शहर में नगर परिषद के पास सालों से किराए पर रहने वाले दूधनाथ राम पिछले साल पहले नेत्रहीन हो गए. घर में केवल चार पुत्री हैं, जिसमें दो की शादी हो चुकी है. जबकि तीसरे नंबर की पुत्री सुमन कुमारी घर के हालात को देख कॉलेज में पढ़ाई के साथ पिता को सहारा देने के उद्देश्य से थाना के मुख्य द्वार के चाय का स्टाल भी चलाती है. इस खास चाय के स्टॉल का नाम आत्मनिर्भर चाय वाली है.

घर की जिम्मेदारियों ने बनाया आत्मनिर्भर
घर की जिम्मेदारियों ने बनाया आत्मनिर्भर

शुरुआत में हुई थोड़ी झिझक: सुमन कुमारी ने बताया कि उसका कोई भाई नहीं है, चार बहनों में छोटी बहन पढ़ाई करती है, जबकि स्थिति को देख उसने खुद चाय स्टॉल लगाना शुरू कर दिया. नेत्रहीन पिता अपनी पुत्री के सहारे स्टॉल तक पहुंच कर साथ में बैठते हैं. सुमन कहती कि शुरुआत में उसे थोड़ी झिझक हुई लेकिन वह शिक्षित है, जिसके साथ ही उसने आत्मनिर्भरता जैसे शब्दों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास किया. आर्थिक तंगी व पूंजी के अभाव के बाद उसने चाय स्टाल की शुरुआत की.

सुबह-शाम लगता है टी-स्टॉल: वह बताती है कि सुबह और शाम कुल 5 घंटे चाय का स्टॉल लगाना शुरू किया है, ताकि परिवार का भरण पोषण हो सके. साथ ही स्टॉल के माध्यम से अपने जैसे सभी लोगों को यह संदेश भी देना है कि जीवन में आत्मनिर्भर होना बहुत जरूरी है. सुमन की आत्मनिर्भरता को देख आस पास के लोग उसके दुकान पर पर चाय पीने के साथ उसकी प्रशंशा करते नहीं थकते.

चाय के स्टॉल से चलता है घर का खर्च
चाय के स्टॉल से चलता है घर का खर्च

"6 साल पहले पिता की आंखों की रोशनी चली गई, वह बीमार भी रहते हैं, ऐसे में घर के हालात भी सही नहीं है. हम 4 बहनें है, कोई भाई भी नहीं है. कोई कमाने वाला नहीं है. कम खर्चे में चाय का स्टॉल मैंने खुद खोलने का निर्णय लिया और बैनर पर लिखे शब्द भी खुद से लिखे हैं. टी स्टॉल से ही अब खुद आत्मनिर्भर बन परिवार के लोगों के लिए सहारा बन गई हूं."-सुमन कुमारी, आत्मनिर्भर चाय वाली छात्रा

क्या है चाय की कीमत: बता दें कि आत्मनिर्भर चाय की दुकान पर सुमन ने एक बैनर भी लगा रखा है जिस पर चाय की कीमत भी लिखी है. जिसमें कुल्हड़ चाय 10 रुपये, स्पेशल चाय 20 रुपये, मसाला चाय 20 रुपये और चॉकलेट चाय की कीमत 20 रुपये रखी गई है. वहीं लिखा है कि 'बेटियां उजाला करने के लिए काफी है. जिसे लत लग जाए, मंजिल का सुखा खाना भी उसे पसंद पड़ता है. मंजिल खुद चलकर नहीं आती, मंजिल तक हमें खुद जाना पड़ता है, आओ एक कप चाय हो जाए.'

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