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आदिवासी बच्चों के लिए बड़ी खुशखबरी, अब 18 लोकल भाषाओं में होगी पढ़ाई - CG Primary education local dialects

छत्तीसगढ़ सीएम ने आदिवासी अंचलों में शिक्षा को लेकर एक खास पहल शुरू की है. अब प्रदेश के आदिवासी अंचलों में 18 स्थानीय भाषाओं में बच्चों को शिक्षा दी जाएगी. सरकार की इस नई पहल से बस्तर में स्कूल ड्राप करने वाले बच्चों की संख्या तेजी से घटेगी. नई पहल से स्थानीय बच्चों की प्रतिभा में भी निखार आएगा.

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 7, 2024, 10:36 PM IST

CM VISHNUDEV SAI BIG ANNOUNCEMENT
छत्तीसगढ़ सरकार की बड़ी पहल (ETV Bharat)

रायपुर: छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने बड़ी घोषणा की है. इसके तहत प्रदेश के आदिवासी अंचलों के बच्चे स्थानीय बोली और भाषा में जल्द ही पढ़ाई कर सकेंगे. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए साय सरकार ने ये कदम उठाया है. सीएम साय ने रविवार को एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी. मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग को इस पहल के लिए 18 स्थानीय भाषाओं और बोलियों में द्विभाषी पुस्तकें विकसित करने और वितरित करने का निर्देश दिया है.

जानिए क्या है उद्देश्य: इसका उद्देश्य आदिवासी समुदायों में शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता को बढ़ाना है, ताकि बच्चे अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त कर सकें और अपनी संस्कृति से जुड़े रह सकें. यह पहल एनईपी 2020 के तहत व्यापक दृष्टिकोण का एक हिस्सा है, ताकि बच्चों को उनकी मूल भाषाओं में शिक्षा को सुलभ बनाया जा सके. 5 जुलाई को शाला प्रवेश उत्सव के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सीएम साय ने कहा था, "इस पहल के तहत पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण सामग्री का स्थानीय बोलियों में अनुवाद किया जाएगा. शिक्षकों को भी इन भाषाओं में प्रशिक्षित किया जाएगा.

18 भाषाओं में तैयार की जाएगी किताबें: इस पूरे मामले में स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने कहा, छत्तीसगढ़ में 18 स्थानीय भाषाओं और बोलियों में स्कूली बच्चों के लिए किताबें तैयार की जा रही हैं. पहले चरण में छत्तीसगढ़ी, सरगुजिहा, हल्बी, सादड़ी, गोंडी और कुडुख में पाठ्यक्रम तैयार किए जाएंगे. इसके लिए राज्य भर के साहित्यकारों, लोक कलाकारों और संकलनकर्ताओं की मदद ली जाएगी. इसके अलावा वरिष्ठ नागरिकों और शिक्षकों से भी सहयोग लिया जाएगा.

भूपेश बघेल ने भी 2020 में की थी घोषणा: वहीं, हाई स्कूल बगिया के प्राचार्य दिनेश शर्मा ने सीएम के इस पहल की सराहना की. उन्होंने कहा, "आदिवासी बच्चों में प्रतिभा होती है. स्थानीय बोली में शिक्षा से आदिवासी क्षेत्रों के अधिक से अधिक बच्चों को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा. एनईपी 2020 में तीन-भाषा फॉर्मूले के अनुसार भारत के प्रत्येक छात्र को तीन भाषाएं सीखनी चाहिए, जिनमें से दो मूल भारतीय भाषाएं होनी चाहिए, जिसमें एक क्षेत्रीय भाषा शामिल होनी चाहिए और तीसरी अंग्रेजी होनी चाहिए. बता दें कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जनवरी 2020 में इसी तरह की घोषणा की थी.

सोर्स: पीटीआई

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जानिए क्या है उद्देश्य: इसका उद्देश्य आदिवासी समुदायों में शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता को बढ़ाना है, ताकि बच्चे अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त कर सकें और अपनी संस्कृति से जुड़े रह सकें. यह पहल एनईपी 2020 के तहत व्यापक दृष्टिकोण का एक हिस्सा है, ताकि बच्चों को उनकी मूल भाषाओं में शिक्षा को सुलभ बनाया जा सके. 5 जुलाई को शाला प्रवेश उत्सव के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सीएम साय ने कहा था, "इस पहल के तहत पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण सामग्री का स्थानीय बोलियों में अनुवाद किया जाएगा. शिक्षकों को भी इन भाषाओं में प्रशिक्षित किया जाएगा.

18 भाषाओं में तैयार की जाएगी किताबें: इस पूरे मामले में स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने कहा, छत्तीसगढ़ में 18 स्थानीय भाषाओं और बोलियों में स्कूली बच्चों के लिए किताबें तैयार की जा रही हैं. पहले चरण में छत्तीसगढ़ी, सरगुजिहा, हल्बी, सादड़ी, गोंडी और कुडुख में पाठ्यक्रम तैयार किए जाएंगे. इसके लिए राज्य भर के साहित्यकारों, लोक कलाकारों और संकलनकर्ताओं की मदद ली जाएगी. इसके अलावा वरिष्ठ नागरिकों और शिक्षकों से भी सहयोग लिया जाएगा.

भूपेश बघेल ने भी 2020 में की थी घोषणा: वहीं, हाई स्कूल बगिया के प्राचार्य दिनेश शर्मा ने सीएम के इस पहल की सराहना की. उन्होंने कहा, "आदिवासी बच्चों में प्रतिभा होती है. स्थानीय बोली में शिक्षा से आदिवासी क्षेत्रों के अधिक से अधिक बच्चों को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा. एनईपी 2020 में तीन-भाषा फॉर्मूले के अनुसार भारत के प्रत्येक छात्र को तीन भाषाएं सीखनी चाहिए, जिनमें से दो मूल भारतीय भाषाएं होनी चाहिए, जिसमें एक क्षेत्रीय भाषा शामिल होनी चाहिए और तीसरी अंग्रेजी होनी चाहिए. बता दें कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जनवरी 2020 में इसी तरह की घोषणा की थी.

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