शिमला: हिमाचल के मशहूर शहनाई वादक सूरजमणि का आज एम्स बिलासपुर में निधन हो गया. उनके निधन से कला जगत में शोक की लहर है. कई प्रमुख हस्तियों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है. सूरजमणि मंडी जिले के चच्योट के रहने वाले थे.
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शहनाई वादक सूरजमणि के निधन पर शोक व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि, 'मंडी जिले के चच्योट निवासी सूरजमणि ने देश-विदेश में अपनी कला की छाप छोड़ी. मंडी अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव की सांस्कृतिक संध्याओं की शुरुआत उनकी शहनाई से होती थी. वो हिमाचल के बिस्मिल्लाह खां के नाम से विख्यात थे. मुख्यमंत्री ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति और शोक संतप्त परिवार के सदस्यों को इस अपूरणीय क्षति को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की.'
पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने उन्हें फेसबुक पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, 'हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध शहनाई वादक सूरजमणी जी के निधन की खबर सुनकर मन दुःखी है. नाचन क्षेत्र के चच्योट से संबंध रखने वाले सूरजमणी जी को हिमाचल का 'बिस्मिल्लाह खां' कहा जाता था और प्रदेश में होने वाले अंतर्राष्ट्रीय मेलों की सांस्कृतिक संध्या का आगाज उनकी शहनाई से ही होता था. प्रदेश ने एक बहुत बड़े कलाकार को खोया है, जिनकी भरपाई असंभव है. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति व शोकग्रस्त परिवारजनों को संबल प्रदान करें.'
दिवंगत सूरजमणि को हिमाचल बिस्मिल्लाह खां समेत कई पुरस्कारों से पुरस्कृत किया जा चुका है. प्रदेश में मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव मंडी की शिवरात्रि, कुल्लू दशहरा, चंबा मिंजर, रामपुर लवी मेले के मंचों ने अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है. 9 साल की आयु में अपने पूर्वजों से शहनाई वादन के गुर सीखने वाले इस कलाकार ने शहनाई वादन का काम मंडी के देवी-देवताओं के साथ शुरू किया था. पंद्रह साल की आयु में आते आते सूरजमणि को चाचा कुंदन लाल ने रागों से परिचय करवाना शुरू कर दिया. बड़े होने पर बिस्मिल्लाह खान की कैसेट्स से सीखा और हिमाचल के संगीत जगत के प्रतिष्ठित नाम डॉ. कृष्ण लाल सहगल ने भी सूरजमणि को रागों की पहचान सिखाई. स्कूल से मात्र 3 कक्षा तक पढ़े सूरजमणि की कला का जादू इस कदर बोला कि जिला, राज्य और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मेलों में अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला.