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CM का दर्द: कर्ज चुकाने के लिए लेना पड़ रहा कर्ज, फाइनेंस कमीशन से किया संकट दूर करने का आग्रह - Finance Commission meeting Shimla - FINANCE COMMISSION MEETING SHIMLA

CM Sukhu on Finance Commission meeting: हिमाचल में 85 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हालात ये हैं कि कर्ज चुकाने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है.

Sukhwinder singh Sukhu, CM
सुखविंदर सिंह सुक्खू , सीएम हिमाचल प्रदेश (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jun 24, 2024, 8:15 PM IST

शिमला: कर्ज के बोझ में डूबे हिमाचल प्रदेश को सोलहवें वित्तायोग से उदार आर्थिक सहायता की उम्मीद है. शिमला में वित्तायोग की टीम के समक्ष सीएम सुखविंदर सिंह, उनकी कैबिनेट और अफसरों ने राज्य सरकार की संकटपूर्ण आर्थिक स्थिति की चर्चा की.

सुखविंदर सिंह सुक्खू , सीएम हिमाचल प्रदेश (ETV Bharat)

लंबी-चौड़ी प्रेजेंटेशन के जरिए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि कर्ज में डूबे प्रदेश को उदार आर्थिक सहायता ही उबार सकती है. राज्य सरकार की प्रेजेंटेशन में कर्ज के संकट पर खास फोकस किया गया था. हिमाचल में 85 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है.

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हालात ये हैं कि कर्ज चुकाने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य के पास जो जलसंपदा है, उस पर सेस लगाने का अधिकार मिलना चाहिए. राजस्व जुटाने के लिए सरकार ने वाटर सेस लगाया था, लेकिन अदालत ने उस फैसले को होल्ड कर दिया.

सीएम ने कहा कि हिमाचल में 3.21 लाख करोड़ रुपये की वन संपदा है. यहां के हरे-भरे वन देश के लिए ताजी हवा की सौगात देते हैं. यदि वन संपदा का दोहन किया जाए तो सालाना 4000 करोड़ रुपये का राजस्व मिल सकता है. फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट के कारण राज्य के समक्ष अड़चन आ जाती है.

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वित्तायोग के समक्ष हिमाचल में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एयर व रेल कनेक्टिविटी का मसला उठाया. सीएम ने आग्रह किया कि कांगड़ा के गगल एयरपोर्ट के लिए उदार धनराशि मिलनी चाहिए.

ओपीएस व बकाया एरियर के लिए नहीं है खजाने में पैसा:

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार ने ओपीएस लागू की है. सीएम ने दावा किया कि उनकी सरकार का ये फैसला लोकलुभावन की श्रेणी में नहीं आता है. बढ़ती आयु प्रत्याशा यानी लाइफ एक्सपेक्टेंसी और सामाजिक सुरक्षा पेंशन को ध्यान में रखते हुए ये फैसला लिया है.

इसे ध्यान में रखते हुए आग्रह है कि एनपीएस का राज्य का 9 हजार करोड़ रुपये का अंशदान वापस दिलाया जाए. सीएम ने आयोग से हिमाचल जैसे कर्ज के बोझ में फंसे पहाड़ी राज्य के लिए जेनुइन डेब्ट रिलीफ स्कीम तैयार करने का आग्रह भी किया.

रेवेन्यू डेफिसिट स्टेट होने के कारण हिमाचल उदार अनुदान सहायता का हक रखता है. सोलहवें वित्तायोग के समक्ष राज्य सरकार के प्रधान वित्त सचिव देवेश कुमार ने प्रेजेंटेशन दी. इस दौरान सीएम सुखविंदर सिंह, डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री, कैबिनेट मंत्री, वित्तायोग के चेयरमैन डॉ. अरविंद पनगढ़िया सहित मेंबर्स अजय नारायण झा, एनी जॉर्ज मैथ्यू, डॉ. निरंजन राजाध्यक्ष, डॉ. सौम्या कांति घोष, वित्तायोग के सचिव रित्विक पांडा, हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, मुख्यमंत्री के प्रधान निजी सचिव एवं शिक्षा सचिव राकेश कंवर भी बैठक में मौजूद थे.

ये भी पढ़ें: फाइनांस कमीशन के ध्यान में है मुफ्त की रेवड़ियां व OPS, पिछले वित्तायोग ने आपदा पर नहीं समझी हिमाचल की जरूरतें

शिमला: कर्ज के बोझ में डूबे हिमाचल प्रदेश को सोलहवें वित्तायोग से उदार आर्थिक सहायता की उम्मीद है. शिमला में वित्तायोग की टीम के समक्ष सीएम सुखविंदर सिंह, उनकी कैबिनेट और अफसरों ने राज्य सरकार की संकटपूर्ण आर्थिक स्थिति की चर्चा की.

सुखविंदर सिंह सुक्खू , सीएम हिमाचल प्रदेश (ETV Bharat)

लंबी-चौड़ी प्रेजेंटेशन के जरिए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि कर्ज में डूबे प्रदेश को उदार आर्थिक सहायता ही उबार सकती है. राज्य सरकार की प्रेजेंटेशन में कर्ज के संकट पर खास फोकस किया गया था. हिमाचल में 85 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है.

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हालात ये हैं कि कर्ज चुकाने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य के पास जो जलसंपदा है, उस पर सेस लगाने का अधिकार मिलना चाहिए. राजस्व जुटाने के लिए सरकार ने वाटर सेस लगाया था, लेकिन अदालत ने उस फैसले को होल्ड कर दिया.

सीएम ने कहा कि हिमाचल में 3.21 लाख करोड़ रुपये की वन संपदा है. यहां के हरे-भरे वन देश के लिए ताजी हवा की सौगात देते हैं. यदि वन संपदा का दोहन किया जाए तो सालाना 4000 करोड़ रुपये का राजस्व मिल सकता है. फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट के कारण राज्य के समक्ष अड़चन आ जाती है.

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वित्तायोग के समक्ष हिमाचल में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एयर व रेल कनेक्टिविटी का मसला उठाया. सीएम ने आग्रह किया कि कांगड़ा के गगल एयरपोर्ट के लिए उदार धनराशि मिलनी चाहिए.

ओपीएस व बकाया एरियर के लिए नहीं है खजाने में पैसा:

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार ने ओपीएस लागू की है. सीएम ने दावा किया कि उनकी सरकार का ये फैसला लोकलुभावन की श्रेणी में नहीं आता है. बढ़ती आयु प्रत्याशा यानी लाइफ एक्सपेक्टेंसी और सामाजिक सुरक्षा पेंशन को ध्यान में रखते हुए ये फैसला लिया है.

इसे ध्यान में रखते हुए आग्रह है कि एनपीएस का राज्य का 9 हजार करोड़ रुपये का अंशदान वापस दिलाया जाए. सीएम ने आयोग से हिमाचल जैसे कर्ज के बोझ में फंसे पहाड़ी राज्य के लिए जेनुइन डेब्ट रिलीफ स्कीम तैयार करने का आग्रह भी किया.

रेवेन्यू डेफिसिट स्टेट होने के कारण हिमाचल उदार अनुदान सहायता का हक रखता है. सोलहवें वित्तायोग के समक्ष राज्य सरकार के प्रधान वित्त सचिव देवेश कुमार ने प्रेजेंटेशन दी. इस दौरान सीएम सुखविंदर सिंह, डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री, कैबिनेट मंत्री, वित्तायोग के चेयरमैन डॉ. अरविंद पनगढ़िया सहित मेंबर्स अजय नारायण झा, एनी जॉर्ज मैथ्यू, डॉ. निरंजन राजाध्यक्ष, डॉ. सौम्या कांति घोष, वित्तायोग के सचिव रित्विक पांडा, हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, मुख्यमंत्री के प्रधान निजी सचिव एवं शिक्षा सचिव राकेश कंवर भी बैठक में मौजूद थे.

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