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दिल्ली से वापस लौटते ही सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के समक्ष दो बड़ी चुनौतियां, 24 घंटे में लेने होंगे फैसले

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू दिल्ली दौरे से वापस लौट आए हैं. अब मुख्यमंत्री के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं. डिटेल में पढ़ें खबर...

दिल्ली से लौटे सीएम सुक्खू
दिल्ली से लौटे सीएम सुक्खू (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 4 hours ago

शिमला: सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू शनिवार को दिल्ली से वापस हिमाचल लौट चुके हैं. अब सीएम सुक्खू के समक्ष दो बड़ी चुनौतियां हैं और उन्हें 24 घंटे के भीतर दो अहम मामलों में फैसला करना है. सीएम के गृह जिला हमीरपुर के भोटा में राधा स्वामी सत्संग ब्यास का भोटा चैरिटेबल अस्पताल चल रहा है. डेरा ब्यास प्रबंधन इस अस्पताल को अपनी ही सिस्टर कंसर्न महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को ट्रांसफर करना चाहता है. ऐसा ना होने की सूरत में पहली दिसंबर को अस्पताल बंद करने का नोटिस गेट पर लगाया गया है.

अब सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस मामले को लेकर रविवार को हाई लेवल मीटिंग बुलाई है. मीटिंग बुलाने का भोटा के स्थानीय लोगों ने स्वागत किया है, लेकिन साथ ही ये भी कहा है कि यदि बैठक में कोई ठोस फैसला नहीं होता है और अस्पताल के बंद होने की नौबत आती है तो प्रदर्शन को उग्र किया जाएगा. ऐसे में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के समक्ष इस मामले का हल निकालना बड़ी चुनौती है. ये मसला सुलझाना कोई आसान काम नहीं है. कारण ये है कि यदि भोटा चैरिटेबल अस्पताल को महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को ट्रांसफर किया जाना है तो उसके लिए लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन करना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें: राधा स्वामी सत्संग ब्यास के भोटा अस्पताल को बचाने की कवायद, सीएम सुक्खू ने सन्डे को बुलाई हाई लेवल मीटिंग

ये भी पढ़ें: भोटा अस्पताल को लेकर शिमला में होने वाली बैठक से लोग खुश, मीटिंग के बेनतीजा रहने की सूरत में जानें क्या बोले लोग

लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन के लिए विधानसभा में विधेयक लाना होगा. विधानसभा में विधेयक पास होने के बाद ये राष्ट्रपति भवन की मंजूरी के लिए जाएगा. कारण ये है कि लैंड सीलिंग एक्ट संविधान के द्वारा प्रोटेक्टिड है और इसमें संशोधन के लिए राष्ट्रपति भवन की मंजूरी चाहिए. यही कारण है कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रविवार के दिन भी अधिकारियों के साथ हाई लेवल मीटिंग बुलाई है. इसी मीटिंग के कारण स्थानीय जनता ने भोटा में अस्पताल के बाहर प्रदर्शन को रोका है. अब रविवार की मीटिंग में जो फैसला होगा, उससे राधास्वामी सत्संग ब्यास प्रबंधन को अवगत करवाया जाएगा. ऐसे में संभावना है कि ब्यास प्रबंधन भी पहली दिसंबर से अस्पताल को बंद ना करे और सरकार के फैसले के अनुसार अस्पताल को सुचारू रूप से चलाकर आगे भी सुविधाएं जारी रहें, जब तक विधानसभा में विधेयक नहीं आता. हिमाचल विधानसभा का विंटर सेशन 18 दिसंबर से शुरू होगा. उससे पहले विधेयक का प्रारूप तैयार करना होगा.

वेतन व पेंशन पर भी चुनौती

आर्थिक मोर्चे पर तंगी से जूझ रहे प्रदेश में पहली तारीख को वेतन व पेंशन देना चुनौती है. इस बार पहली तारीख को रविवार है. ऐसे में सरकार के पास एक दिन की विंडो है, लेकिन एकमुश्त दो हजार करोड़ रुपये की रकम का इंतजाम करना आसान नहीं है. राज्य में कर्मचारियों के वेतन के लिए 1200 करोड़ रुपये प्रति माह और पेंशन के लिए 800 करोड़ रुपये हर महीने चाहिए. ये रकम 2000 करोड़ रुपये बनती है. बेशक सरकार ने पिछली बार अक्टूबर महीने में ही दो बार वेतन दिया, लेकिन अब फंड का जुगाड़ आसान नहीं है.

अक्टूबर माह में दिवाली होने के कारण 28 तारीख को ही वेतन व पेंशन दे दिया गया था साथ ही डीए की एक किश्त भी दी थी. अब पहली दिसंबर को रविवार है तो सवाल पैदा हो रहा है कि क्या दो तारीख को वेतन व पेंशन एक साथ मिलेगा या फिर पहले की तरह पेंशनर्स को इंतजार करना होगा. सरकार के पास अभी 517 करोड़ रुपये लोन की लिमिट बची है. संभव है कि दिसंबर के पहले ही हफ्ते में ये लिमिट ले ली जाए.

इससे पेंशन का भुगतान करने में आसानी होगी. ऐसे में वेतन व पेंशन एक साथ दिया जा सकता है या नहीं, सीएम के समक्ष ये चुनौती भरा फैसला लेने की घड़ी है. इस बीच, दिल्ली दौरे से लौटे सीएम सुक्खू शनिवार को रोहड़ू जाएंगे. वहां सीएम कई कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे. रोहड़ू के सीमा कॉलेज में वे एनुअल फंक्शन के मुख्य अतिथि होंगे फिर रविवार को भी मीटिंग का दौर चलेगा. सीएम के आवास ओक ओवर में दो बजे भोटा अस्पताल के मामले में हाई लेवल मीटिंग होनी है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में ओपीएस लागू करने का ये हुआ नुकसान, सुखविंदर सुक्खू सरकार को अब आखिरी तिमाही की लोन लिमिट का इंतजार

ये भी पढ़ें: हिमाचल में इस बार पहली दिसंबर को न करें वेतन व पेंशन का इंतजार, खजाने में दो हजार करोड़ की दरकार

शिमला: सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू शनिवार को दिल्ली से वापस हिमाचल लौट चुके हैं. अब सीएम सुक्खू के समक्ष दो बड़ी चुनौतियां हैं और उन्हें 24 घंटे के भीतर दो अहम मामलों में फैसला करना है. सीएम के गृह जिला हमीरपुर के भोटा में राधा स्वामी सत्संग ब्यास का भोटा चैरिटेबल अस्पताल चल रहा है. डेरा ब्यास प्रबंधन इस अस्पताल को अपनी ही सिस्टर कंसर्न महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को ट्रांसफर करना चाहता है. ऐसा ना होने की सूरत में पहली दिसंबर को अस्पताल बंद करने का नोटिस गेट पर लगाया गया है.

अब सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस मामले को लेकर रविवार को हाई लेवल मीटिंग बुलाई है. मीटिंग बुलाने का भोटा के स्थानीय लोगों ने स्वागत किया है, लेकिन साथ ही ये भी कहा है कि यदि बैठक में कोई ठोस फैसला नहीं होता है और अस्पताल के बंद होने की नौबत आती है तो प्रदर्शन को उग्र किया जाएगा. ऐसे में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के समक्ष इस मामले का हल निकालना बड़ी चुनौती है. ये मसला सुलझाना कोई आसान काम नहीं है. कारण ये है कि यदि भोटा चैरिटेबल अस्पताल को महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को ट्रांसफर किया जाना है तो उसके लिए लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन करना पड़ेगा.

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लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन के लिए विधानसभा में विधेयक लाना होगा. विधानसभा में विधेयक पास होने के बाद ये राष्ट्रपति भवन की मंजूरी के लिए जाएगा. कारण ये है कि लैंड सीलिंग एक्ट संविधान के द्वारा प्रोटेक्टिड है और इसमें संशोधन के लिए राष्ट्रपति भवन की मंजूरी चाहिए. यही कारण है कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रविवार के दिन भी अधिकारियों के साथ हाई लेवल मीटिंग बुलाई है. इसी मीटिंग के कारण स्थानीय जनता ने भोटा में अस्पताल के बाहर प्रदर्शन को रोका है. अब रविवार की मीटिंग में जो फैसला होगा, उससे राधास्वामी सत्संग ब्यास प्रबंधन को अवगत करवाया जाएगा. ऐसे में संभावना है कि ब्यास प्रबंधन भी पहली दिसंबर से अस्पताल को बंद ना करे और सरकार के फैसले के अनुसार अस्पताल को सुचारू रूप से चलाकर आगे भी सुविधाएं जारी रहें, जब तक विधानसभा में विधेयक नहीं आता. हिमाचल विधानसभा का विंटर सेशन 18 दिसंबर से शुरू होगा. उससे पहले विधेयक का प्रारूप तैयार करना होगा.

वेतन व पेंशन पर भी चुनौती

आर्थिक मोर्चे पर तंगी से जूझ रहे प्रदेश में पहली तारीख को वेतन व पेंशन देना चुनौती है. इस बार पहली तारीख को रविवार है. ऐसे में सरकार के पास एक दिन की विंडो है, लेकिन एकमुश्त दो हजार करोड़ रुपये की रकम का इंतजाम करना आसान नहीं है. राज्य में कर्मचारियों के वेतन के लिए 1200 करोड़ रुपये प्रति माह और पेंशन के लिए 800 करोड़ रुपये हर महीने चाहिए. ये रकम 2000 करोड़ रुपये बनती है. बेशक सरकार ने पिछली बार अक्टूबर महीने में ही दो बार वेतन दिया, लेकिन अब फंड का जुगाड़ आसान नहीं है.

अक्टूबर माह में दिवाली होने के कारण 28 तारीख को ही वेतन व पेंशन दे दिया गया था साथ ही डीए की एक किश्त भी दी थी. अब पहली दिसंबर को रविवार है तो सवाल पैदा हो रहा है कि क्या दो तारीख को वेतन व पेंशन एक साथ मिलेगा या फिर पहले की तरह पेंशनर्स को इंतजार करना होगा. सरकार के पास अभी 517 करोड़ रुपये लोन की लिमिट बची है. संभव है कि दिसंबर के पहले ही हफ्ते में ये लिमिट ले ली जाए.

इससे पेंशन का भुगतान करने में आसानी होगी. ऐसे में वेतन व पेंशन एक साथ दिया जा सकता है या नहीं, सीएम के समक्ष ये चुनौती भरा फैसला लेने की घड़ी है. इस बीच, दिल्ली दौरे से लौटे सीएम सुक्खू शनिवार को रोहड़ू जाएंगे. वहां सीएम कई कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे. रोहड़ू के सीमा कॉलेज में वे एनुअल फंक्शन के मुख्य अतिथि होंगे फिर रविवार को भी मीटिंग का दौर चलेगा. सीएम के आवास ओक ओवर में दो बजे भोटा अस्पताल के मामले में हाई लेवल मीटिंग होनी है.

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