शिमला: हिमाचल सरकार प्रदेश को 31 मार्च, 2026 तक हरित ऊर्जा राज्य बनाने की दिशा में कार्य कर रही है. इसी कड़ी में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ऊर्जा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ जिला सोलन के नालागढ़ में निर्माणाधीन एक मेगावाट क्षमता के ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र की प्रगति की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की. इस दौरान सीएम ने अधिकारियों को निर्माण प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिए. बैठक में सीएम ने कहा कि परियोजना के लिए निविदा जल्द आवंटित की जाए और साल 2025 के अंत तक प्लांट के निर्माण कार्य को पूरा करने की समय सीमा निर्धारित की जाए. यह ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने में मील पत्थर साबित होगा.
ग्रीन हाइड्रोजन की बढ़ रही मांग: मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विभिन्न उद्योगों में ग्रीन हाइड्रोजन की मांग लगातार बढ़ रही है. परिवहन और ऊर्जा भंडारण जैसे क्षेत्रों में ग्रीन हाइड्रोजन जीवाश्म ईंधन का एक स्वच्छ विकल्प प्रदान करता है. ये शून्य कार्बन उत्सर्जन के साथ हरित हाइड्रोजन के उत्पादन से यह परियोजना उद्योगों और ऊर्जा क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. जिससे पर्यावरण संरक्षण भी सुनिश्चित होगा.
सीएम सुक्खू ने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन से नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर जैसे हानिकारक प्रदूषकों के उत्सर्जन में कमी होगी. इससे वायु की गुणवत्ता में सुधार होगा और पारिस्थितिकी तंत्र की भी रक्षा होगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने 20 माह के अपने कार्यकाल में हिमाचल को एक स्वच्छ और हरित राज्य के रूप में स्थापित करने के लिए कई कदम उठाए हैं.
सीएम सुक्खू ने कहा इस दिशा में चंबा में 14 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से निर्मित होने वाले ग्रीन हाइड्रोजन मोबिलिटी स्टेशन की पायलट परियोजना की आधारशिला रखी है. इसके अलावा जिला ऊना के पेखुबेला में 32 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र पहले ही स्थापित किया जा चुका है. अगले छह महीनों में दो और सौर ऊर्जा संयंत्र शुरू होने की उम्मीद है. उन्होंने विभाग को राज्य में सौर ऊर्जा दोहन को बढ़ाने के लिए प्रयास तेज करने के निर्देश दिए.