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CM सुक्खू ने केंद्रीय रेल मंत्री को लिखा पत्र, कालका-शिमला रेल लाइन को लेकर की ये मांग

सीएम ने कालका-शिमला रेल लाइन को लेकर केंद्रीय रेल मंत्री को पत्र लिखा है. सरकार राज्य में ग्रीन एनर्जी को लेकर काम कर रही है.

सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश
सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 4, 2024, 4:26 PM IST

शिमला: हिमाचल सरकार ने केंद्रीय रेल मंत्रालय से यूनेस्को विश्व धरोहर कालका-शिमला रेल लाइन को ग्रीन हाइड्रोजन से संचालित करने की संभावना तलाशने का आग्रह किया है. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कालका-शिमला रेल लाइन को ग्रीन एनर्जी संचालित रूट में बदलने पर विचार करने का अनुरोध किया है.

प्रदेश सरकार ने 31 मार्च, 2026 तक हिमाचल प्रदेश को हरित ऊर्जा राज्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में पहल की है. सरकार हिमाचल को प्रमाणित ग्रीन एनर्जी स्टेट में बदलने के लिए छः सूत्रीय रणनीति के तहत कार्य कर रही है. सरकार की यह पहल भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. सरकार की रणनीतिक पहल के तहत सतत् एवं अक्षय ऊर्जा का उपयोग कर पर्यावरणीय विकास को बढ़ावा प्रदान कर राज्य की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किया जा रहा है.

2 हजार मेगावाट की सौर ऊर्जा के उपयोग का लक्ष्य

सीएम सुक्खू ने कहा कि प्रदेश अपनी वर्तमान 1,500 मिलियन यूनिट थर्मल पावर खपत को हाइड्रो, सौर और पवन ऊर्जा सहित नवीकरणीय स्रोतों से बदलने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. वर्तमान में राज्य 13,500 मिलियन यूनिट बिजली की खपत करता है जिसकी एक बड़ी आपूर्ति पहले से ही नवीकरणीय स्रोतों से पूरी होती है.

बिजली वितरण तंत्र में 90 फीसदी नवीकरणीय ऊर्जा खपत प्राप्त करने से हिमाचल को देश के पूर्ण रूप से हरित ऊर्जा राज्य के रूप में प्रमाणित किया जा सकेगा. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रदेश सरकार प्रयासरत है. एक साल के भीतर इस लक्ष्य को हासिल करने की संभावना है.

इससे प्रदेश के उद्योगों को ‘इको मार्क’ के लिए आवेदन करने की भी अनुमति मिल सकेगी, जिससे उनके उत्पादों की मूल्य में वृद्धि होगी. उन्होंने कहा कि सरकार सौर ऊर्जा उत्पादन पर भी विशेष ध्यान दे रही है, जिसके तहत अगले चार से पांच सालों में 2,000 मेगावाट की सौर ऊर्जा के उपयोग का लक्ष्य रखा गया है.

दो सालों में 1500 इलेक्ट्रिक बसें बेड़े में होंगी शामिल

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश में नवीकरणीय ऊर्जा की विकेन्द्रीकरण पहल के तहत ‘ग्रीन पंचायत’ योजना शुरू की है. इस योजना के तहत पंचायत स्तर पर 500 किलोवाट क्षमता के ग्रिड से जुड़े ग्राउंड माउंटेड सोलर पावर प्लांट लगाए जा रहे हैं.

इसके तहत बिजली की बिक्री से होने वाली आय का उपयोग पर्यावरण अनुकूल और सतत विकास परियोजनाओं के लिए किया जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ के उत्पादन की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है. ऑयल इंडिया लिमिटेड के सहयोग से इस सुविधा का काम चल रहा है.

इस तरह की अन्य सुविधाओं के लिए निजी निवेशकों के साथ विचार-विमर्श किया जा रहा है. राज्य सरकार के इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की पहल के तहत हिमाचल पथ परिवहन निगम की 3,200 बसों के बेड़े में से 1,500 बसों को आगामी दो से तीन सालों में इलेक्ट्रिक बसों से बदला जा रहा है.

सरकार के विभिन्न विभागों में डीजल और पेट्रोल वाहनों के बेड़े को भी इलेक्ट्रिक वाहनों में बदला जा रहा है. इसके अतिरिक्त, छह प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों को ई-वाहनों के संचालन के लिए ग्रीन कॉरिडोर के रूप में विकसित किया गया है.

प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी राजीव गांधी स्टार्टअप योजना के तहत बेरोजगार युवाओं को इलेक्ट्रिक टैक्सी और बसें खरीदने के लिए 50 फीसदी का अनुदान दिया जा रहा है. इससे सरकारी सेवाओं में पर्यावरण अनुकूल वाहनों का संचालन सुनिश्चित हो रहा है.

ये भी पढ़ें: सीएम सुक्खू का दावा, 23 महीने के कार्यकाल में कांग्रेस ने पूरी की 5 गारंटियां

शिमला: हिमाचल सरकार ने केंद्रीय रेल मंत्रालय से यूनेस्को विश्व धरोहर कालका-शिमला रेल लाइन को ग्रीन हाइड्रोजन से संचालित करने की संभावना तलाशने का आग्रह किया है. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कालका-शिमला रेल लाइन को ग्रीन एनर्जी संचालित रूट में बदलने पर विचार करने का अनुरोध किया है.

प्रदेश सरकार ने 31 मार्च, 2026 तक हिमाचल प्रदेश को हरित ऊर्जा राज्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में पहल की है. सरकार हिमाचल को प्रमाणित ग्रीन एनर्जी स्टेट में बदलने के लिए छः सूत्रीय रणनीति के तहत कार्य कर रही है. सरकार की यह पहल भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. सरकार की रणनीतिक पहल के तहत सतत् एवं अक्षय ऊर्जा का उपयोग कर पर्यावरणीय विकास को बढ़ावा प्रदान कर राज्य की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किया जा रहा है.

2 हजार मेगावाट की सौर ऊर्जा के उपयोग का लक्ष्य

सीएम सुक्खू ने कहा कि प्रदेश अपनी वर्तमान 1,500 मिलियन यूनिट थर्मल पावर खपत को हाइड्रो, सौर और पवन ऊर्जा सहित नवीकरणीय स्रोतों से बदलने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. वर्तमान में राज्य 13,500 मिलियन यूनिट बिजली की खपत करता है जिसकी एक बड़ी आपूर्ति पहले से ही नवीकरणीय स्रोतों से पूरी होती है.

बिजली वितरण तंत्र में 90 फीसदी नवीकरणीय ऊर्जा खपत प्राप्त करने से हिमाचल को देश के पूर्ण रूप से हरित ऊर्जा राज्य के रूप में प्रमाणित किया जा सकेगा. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रदेश सरकार प्रयासरत है. एक साल के भीतर इस लक्ष्य को हासिल करने की संभावना है.

इससे प्रदेश के उद्योगों को ‘इको मार्क’ के लिए आवेदन करने की भी अनुमति मिल सकेगी, जिससे उनके उत्पादों की मूल्य में वृद्धि होगी. उन्होंने कहा कि सरकार सौर ऊर्जा उत्पादन पर भी विशेष ध्यान दे रही है, जिसके तहत अगले चार से पांच सालों में 2,000 मेगावाट की सौर ऊर्जा के उपयोग का लक्ष्य रखा गया है.

दो सालों में 1500 इलेक्ट्रिक बसें बेड़े में होंगी शामिल

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश में नवीकरणीय ऊर्जा की विकेन्द्रीकरण पहल के तहत ‘ग्रीन पंचायत’ योजना शुरू की है. इस योजना के तहत पंचायत स्तर पर 500 किलोवाट क्षमता के ग्रिड से जुड़े ग्राउंड माउंटेड सोलर पावर प्लांट लगाए जा रहे हैं.

इसके तहत बिजली की बिक्री से होने वाली आय का उपयोग पर्यावरण अनुकूल और सतत विकास परियोजनाओं के लिए किया जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ के उत्पादन की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है. ऑयल इंडिया लिमिटेड के सहयोग से इस सुविधा का काम चल रहा है.

इस तरह की अन्य सुविधाओं के लिए निजी निवेशकों के साथ विचार-विमर्श किया जा रहा है. राज्य सरकार के इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की पहल के तहत हिमाचल पथ परिवहन निगम की 3,200 बसों के बेड़े में से 1,500 बसों को आगामी दो से तीन सालों में इलेक्ट्रिक बसों से बदला जा रहा है.

सरकार के विभिन्न विभागों में डीजल और पेट्रोल वाहनों के बेड़े को भी इलेक्ट्रिक वाहनों में बदला जा रहा है. इसके अतिरिक्त, छह प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों को ई-वाहनों के संचालन के लिए ग्रीन कॉरिडोर के रूप में विकसित किया गया है.

प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी राजीव गांधी स्टार्टअप योजना के तहत बेरोजगार युवाओं को इलेक्ट्रिक टैक्सी और बसें खरीदने के लिए 50 फीसदी का अनुदान दिया जा रहा है. इससे सरकारी सेवाओं में पर्यावरण अनुकूल वाहनों का संचालन सुनिश्चित हो रहा है.

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