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गढ़फुलझर को सीएम साय ने दी सौगात,रनेश्वर रामचंडी मां की पूजा में हुए शामिल

महासमुंद के गढ़फुलझर में सीएम साय ने कोलता समाज के स्नेह सम्मेलन और बंधु मिलन कार्यक्रम में शिरकत की.

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 2 hours ago

Raneshwar Ramchandi worship
गढ़फुलझर को सीएम साय ने दी सौगात (ETV Bharat Chhattisgarh)

महासमुंद : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बसना विकासखंड के गढ़फुलझर में बाबा बिसाशहे कुल कोलता समाज के स्नेह सम्मेलन और बंधु मिलन कार्यक्रम में शिरकत की. इस दौरान सीएम साय के साथ छत्तीसगढ़ शासन के कैबिनेट मंत्री दयाल दास बघेल वित्त मंत्री ओपी चौधरी और स्थानीय जिले के चारों विधायक भी मौजूद थे.

सीएम साय ने की रनेश्वर रामचंडी मां की पूजा : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सबसे पहले रामचंडी मंदिर पहुंचे और पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की. फिर विशाल सामाजिक सभा में शामिल हुए. जहां उन्होंने अपने भाषण मे कोलता समाज को बधाई देते हुए कहा कि कोलता समाज भारतीय संस्कृति एवं परंपरा को साथ लेकर चलने वाला समाज है.क्योंकि इस समाज के अधिकांश लोग खेती-किसानी करने वाले लोग हैं.ओडिशा की संस्कृति प्राचीन संस्कृति है और छत्तीसगढ़ मुख्य रूप से सामाजिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक रूप से इस राज्य से जुड़ा है.दोनों प्रदेश के लोगों का रोटी-बेटी का संबंध है.दोनों के अचार-विचार मिलते हैं.

Raneshwar Ramchandi worship
रनेश्वर रामचंडी मां की पूजा (ETV Bharat Chhattisgarh)
Raneshwar Ramchandi worship
सीएम साय ने की आराधना (ETV Bharat Chhattisgarh)


प्रभु श्रीराम ने मां चंडी को किया था प्रसन्न : आपको बता दें कि मान्यता है कि प्रभु श्रीराम ने रावण से रण में विजय पाने के लिए देवी की 9 दिन तक देवी की उपासना की थी.राम साधक के रूप में कठोर साधना कर चंडी को प्रसन्न किए थे. इसके बाद मां चंडी से विजयी होने का आशीर्वाद प्राप्त किया. उसी समय से देवी के उस स्वरुप का नाम रनेश्वर रामचंडी पड़ा.माता रनेश्वर रामचंडी बाबा बिशा सहे कोलता समाज की कुल देवी के रूप में फुलझर के गढ़ में प्रतिष्ठित हैं.जहां एक ओर राजा तालाब और दूसरी ओर रानी तालाब है. यहां आदिवासी भैना राजा का राज्य था. जिन्होंने गुरु नानक देव जी को 4 एकड़ भूमि देकर गांव का नाम नानक सागर कर सम्मानित किया.साल 2004 में रनेश्वर रामचंडी मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी. तब से प्रत्येक वर्ष रामचंडी दिवस का आयोजन धूमधाम से होता है.

गढ़फुलझर को सीएम साय ने दी सौगात (ETV Bharat Chhattisgarh)

सीएम साय ने दी सौगात : मुख्यमंत्री ने सभी को शरद पूर्णिमा की बधाई एवं शुभकामनाएं दी .इसके बाद शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं को गिनाया.इसके बाद समाज के लिए कई घोषणाएं भी की.जिसमें गढ़फुलझर में सर्व समाज मंगल भवन के लिए 50 लाख रूपए ,रामचंडी गढ़फुलझर क्षेत्र को पर्यटन के रूप मे विकसित करने और ओडिशा से छत्तीसगढ़ को जोड़ने वाली सड़क को भी बेहतर बनाने का ऐलान किया है.

कोलता समाज का परिचय : छत्तीसगढ़ में 306 गांव में कोलता समाज निवासरत है. जिसे 4 अंचलों में विभाजित किया गया है. जिसके अंतर्गत 30 शाखा सभा आते हैं, प्रत्येक 100, व्यक्ति में एक ग्राम प्रतिनिधि होता है. कोलता समाज प्रमुख रूप से क़ृषि कार्य करते हैं. सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और परंपरा तथा जड़ से जुड़े रहने वाले होते हैं.शिक्षा के प्रति विशेष आग्रह रखने वाले, धार्मिक और सेवाभावी होते हैं. इस दिन रामचंडी दिवस में छत्तीसगढ़ के 8 और ओडिशा के 12 जिले के लोग उपस्थित होते हैं. इस कार्यक्रम में कोलता समाज के अलावा अन्य समाज के लोग भी उपस्थित होते हैं.

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सीएम साय ने की रनेश्वर रामचंडी मां की पूजा : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सबसे पहले रामचंडी मंदिर पहुंचे और पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की. फिर विशाल सामाजिक सभा में शामिल हुए. जहां उन्होंने अपने भाषण मे कोलता समाज को बधाई देते हुए कहा कि कोलता समाज भारतीय संस्कृति एवं परंपरा को साथ लेकर चलने वाला समाज है.क्योंकि इस समाज के अधिकांश लोग खेती-किसानी करने वाले लोग हैं.ओडिशा की संस्कृति प्राचीन संस्कृति है और छत्तीसगढ़ मुख्य रूप से सामाजिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक रूप से इस राज्य से जुड़ा है.दोनों प्रदेश के लोगों का रोटी-बेटी का संबंध है.दोनों के अचार-विचार मिलते हैं.

Raneshwar Ramchandi worship
रनेश्वर रामचंडी मां की पूजा (ETV Bharat Chhattisgarh)
Raneshwar Ramchandi worship
सीएम साय ने की आराधना (ETV Bharat Chhattisgarh)


प्रभु श्रीराम ने मां चंडी को किया था प्रसन्न : आपको बता दें कि मान्यता है कि प्रभु श्रीराम ने रावण से रण में विजय पाने के लिए देवी की 9 दिन तक देवी की उपासना की थी.राम साधक के रूप में कठोर साधना कर चंडी को प्रसन्न किए थे. इसके बाद मां चंडी से विजयी होने का आशीर्वाद प्राप्त किया. उसी समय से देवी के उस स्वरुप का नाम रनेश्वर रामचंडी पड़ा.माता रनेश्वर रामचंडी बाबा बिशा सहे कोलता समाज की कुल देवी के रूप में फुलझर के गढ़ में प्रतिष्ठित हैं.जहां एक ओर राजा तालाब और दूसरी ओर रानी तालाब है. यहां आदिवासी भैना राजा का राज्य था. जिन्होंने गुरु नानक देव जी को 4 एकड़ भूमि देकर गांव का नाम नानक सागर कर सम्मानित किया.साल 2004 में रनेश्वर रामचंडी मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी. तब से प्रत्येक वर्ष रामचंडी दिवस का आयोजन धूमधाम से होता है.

गढ़फुलझर को सीएम साय ने दी सौगात (ETV Bharat Chhattisgarh)

सीएम साय ने दी सौगात : मुख्यमंत्री ने सभी को शरद पूर्णिमा की बधाई एवं शुभकामनाएं दी .इसके बाद शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं को गिनाया.इसके बाद समाज के लिए कई घोषणाएं भी की.जिसमें गढ़फुलझर में सर्व समाज मंगल भवन के लिए 50 लाख रूपए ,रामचंडी गढ़फुलझर क्षेत्र को पर्यटन के रूप मे विकसित करने और ओडिशा से छत्तीसगढ़ को जोड़ने वाली सड़क को भी बेहतर बनाने का ऐलान किया है.

कोलता समाज का परिचय : छत्तीसगढ़ में 306 गांव में कोलता समाज निवासरत है. जिसे 4 अंचलों में विभाजित किया गया है. जिसके अंतर्गत 30 शाखा सभा आते हैं, प्रत्येक 100, व्यक्ति में एक ग्राम प्रतिनिधि होता है. कोलता समाज प्रमुख रूप से क़ृषि कार्य करते हैं. सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और परंपरा तथा जड़ से जुड़े रहने वाले होते हैं.शिक्षा के प्रति विशेष आग्रह रखने वाले, धार्मिक और सेवाभावी होते हैं. इस दिन रामचंडी दिवस में छत्तीसगढ़ के 8 और ओडिशा के 12 जिले के लोग उपस्थित होते हैं. इस कार्यक्रम में कोलता समाज के अलावा अन्य समाज के लोग भी उपस्थित होते हैं.

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