महासमुंद : छत्तीसगढ़ में बस्तर लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण की वोटिंग हुई है. अब दूसरे चरण के लिए प्रदेश में तैयारी शुरु हो गई है.दूसरे चरण में कांकेर,राजनांदगांव और महासमुंद सीट के लिए मतदान होंगे. लिहाजा राजनीतिक दल इन तीनों सीटों के चुनाव प्रचार में जुट चुके हैं.इसी कड़ी में महासमुंद लोकसभा के लिए सीएम विष्णुदेव साय ने रुपकुमारी चौधरी के पक्ष में सभा की.खल्लारी विधानसभा के बागबहरा में सीएम विष्णुदेव साय ने कांग्रेस को खूब कोसा.
ठगरा लबरा कांग्रेस नहीं करेगी वादा पूरा : मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस को इस चुनाव में सबक सिखाना है. ठगरा-लबरा कांग्रेस एक भी वादा पूरा नहीं की है. छत्तीसगढ़ को भ्रष्टाचार और अपराध का गढ़ बना दिया है.कांग्रेस अनर्गल बातें कर रही है कि चुनाव के बाद महतारी वंदन योजना बंद हो जाएगी और आरक्षण खत्म हो जाएगा.
''मैं दावा करता हूं कि कुछ बंद नहीं होगा. कांग्रेस 1 लाख रूपए देने के लिए फार्म भरा रही है इस पर कोई भरोसा नहीं करता है. नक्सलियों के खात्मे के लिए कांग्रेस के खात्मे की जरूरत है.कांग्रेस डूबता हुआ जहाज है.''- विष्णुदेव साय, सीएम छग
कौन-कौन हैं प्रत्याशी : महासमुंद लोकसभा की बात करें तो कांग्रेस सरकार में गृहमंत्री रहे ताम्रध्वज साहू मैदान में हैं.वहीं बीजेपी ने पूर्व संसदीय सचिव और बसना से पूर्व विधायक रूप कुमारी चौधरी को मैदान में उतारा है. इनके अलावा 16 अन्य अभ्यर्थियों ने नामांकन दाखिल किया है.
क्या है महासमुंद लोकसभा का गणित : महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में 3 जिले शामिल है. धमतरी,गरियाबंद और महासमुंद जिले की विधानसभाएं महासमुंद लोकसभा में आती हैं. महासमुंद लोकसभा के आठ विधानसभा क्षेत्रों में से चार विधानसभा क्षेत्र सरायपाली, खल्लारी, धमतरी और बिन्द्रानवागढ़ पर कांग्रेस का कब्जा है. वहीं चार विधानसभा महासमुंद, बसना, राजिम और कुरूद बीजेपी के कब्जे में है. इन तीनो जिलों में कुल मतदाताओं की संख्या 17 लाख 59 हजार 181 मतदाता है. इसमें 8 लाख 65 हजार 125 पुरुष मतदाता और 8 लाख 94 हजार 23 महिला मतदाता हैं. वहीं 33 थर्ड जेंडर मतदाता हैं.इनमें पुरुषों की तुलना में महिला वोटर 28 हजार 898 अधिक हैं.
आखिर क्यों हाईप्रोफाइल सीट है महासमुंद: महासमुंद में 1952 से अब तक कुल 19 चुनाव हुए हैं. जिसमें 12 बार कांग्रेस का कब्जा रहा है. कांग्रेस के कद्दावर नेता विद्याचरण शुक्ल सात बार महासमुंद से चुनाव जीतकर केंद्र में वरिष्ठ मंत्री रहे हैं. अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे श्यामाचरण शुक्ल भी एक बार महासमुंद से चुनाव जीत चुके हैं. इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ के पहले सीएम अजीत जोगी साल 2004 के लोकसभा चुनाव में महासमुंद लोकसभा सीट से जीते थे. इसके बाद 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने महासमुंद की सीट पर कब्जा किया.
कैसा है जातिगत समीकरण : महासमुंद लोकसभा क्षेत्र के जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां 51 फीसद मतदाता अन्य पिछड़ा वर्ग के हैं. इनमें साहू, कुर्मी, अघरिया, यादव और कोलता समाज की बहुलता है. अनुसूचित जनजाति के वोटर लगभग 20 फीसद हैं. अनुसूचित जाति के वोटर लगभग 11 फीसद हैं. अनारक्षित वर्ग के लगभग 12 फीसद मतदाता हैं. इन आंकड़ों से साफ पता चलता है कि महासमुंद लोकसभा सीट अन्य पिछड़ा वर्ग बाहुल क्षेत्र है.