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उत्तराखंड के साहित्यकारों को सीएम धामी ने किया सम्मानित, 'बटरोही' को 'साहित्य गौरव सम्मान' अवार्ड - Uttarakhand litterateur honored

Uttarakhand's litterateur honored सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मातृभाषा दिवस के मौके पर उत्तराखंड के 10 साहित्यकारों को सम्मानित किया. सीएम धामी ने साहित्यकारों को एक लाख रुपए का चेक और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया. सीएम धामी ने कहा कि युवाओं को साहित्य और कविता के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा दिए जाने को लेकर साहित्यकारों को सम्मानित किया गया है.

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देहरादून
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 21, 2024, 3:55 PM IST

Updated : Feb 21, 2024, 4:24 PM IST

उत्तराखंड के साहित्यकारों को सीएम धामी ने किया सम्मानित.

देहरादूनः उत्तराखंड के साहित्यकारों के सम्मान में देहरादून में भाषा संस्थान की ओर से 'उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान' समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया. सम्मान समारोह के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को प्रदेश के 10 साहित्यकारों को सम्मानित किया. साहित्यकारों को अलग-अलग श्रेणी में सम्मानित किया गया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साहित्यकारों को एक लाख रुपए का चेक और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया.

इन साहित्यकारों को किया गया सम्मानित: साहित्यकार प्रोफेसर लक्ष्मण सिंह बिष्ट 'बटरोही' को सुमित्रानंदन पंत साहित्य गौरव सम्मान, डॉ. सुशील उपाध्याय को शैलेश मटियानी सम्मान, देवकीनंदन भट्ट (मयंक) को गुमानी पंत पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसी क्रम में गिरीश सुंदरियाल को भजन सिंह पुरस्कार, डॉ. सुरेश ममगाईं को गोविंद चातक पुरस्कार, केए खान को प्रो. उन्वान चिश्ती पुरस्कार, प्रेम साहिल को शिक्षक पूर्ण सिंह पुरस्कार, प्रो. शैलेय को महादेवी वर्मा पुरस्कार, डॉ. ललित मोहन पंत को डॉ. पीतांबर दत्त बड़थ्वाल पुरस्कार, गणेश खुगशाल 'गणी' को भैरव दत्त धूलिया पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

भाषा मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि भाषा संस्थान का शुभारंभ करने का मुख्य उद्देश्य यही था कि प्रदेश की बोली-भाषाओं को बढ़ावा दिया जाए. साथ ही उसके उत्थान के लिए काम किया जाए. इसके साथ ही नई पीढ़ी भी बोली-भाषाओं से दूर न रहे. बल्कि अपनी संस्कृति के वाहक के साथ ही साहित्य और कविताओं के माध्यम से देश की सेवा करने का काम करे. ऐसे में पिछले दो सालों से इस दिशा में भाषा संस्थान आगे बढ़ा है. प्रदेश में तमाम बोली-भाषाओं को लेकर 'साहित्य गौरव सम्मान' की शुरुआत की गई. इस सम्मान के तहत चयनित साहित्यकारों को एक-एक लाख रुपए देकर सम्मानित किया जाता है. इस सम्मान से युवाओं को प्रेरणा मिलती है. क्योंकि साहित्य एवं कविताएं न सिर्फ समाज को दिशा देने का काम करती है. बल्कि समाज की कुरीतियों को भी उजागर करती है.

ये भी पढ़ेंः विजय सेमवाल ने 59 की उम्र में UGC NET किया क्वालीफाई, युवाओं को दी ये टिप्स

उत्तराखंड के साहित्यकारों को सीएम धामी ने किया सम्मानित.

देहरादूनः उत्तराखंड के साहित्यकारों के सम्मान में देहरादून में भाषा संस्थान की ओर से 'उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान' समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया. सम्मान समारोह के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को प्रदेश के 10 साहित्यकारों को सम्मानित किया. साहित्यकारों को अलग-अलग श्रेणी में सम्मानित किया गया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साहित्यकारों को एक लाख रुपए का चेक और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया.

इन साहित्यकारों को किया गया सम्मानित: साहित्यकार प्रोफेसर लक्ष्मण सिंह बिष्ट 'बटरोही' को सुमित्रानंदन पंत साहित्य गौरव सम्मान, डॉ. सुशील उपाध्याय को शैलेश मटियानी सम्मान, देवकीनंदन भट्ट (मयंक) को गुमानी पंत पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसी क्रम में गिरीश सुंदरियाल को भजन सिंह पुरस्कार, डॉ. सुरेश ममगाईं को गोविंद चातक पुरस्कार, केए खान को प्रो. उन्वान चिश्ती पुरस्कार, प्रेम साहिल को शिक्षक पूर्ण सिंह पुरस्कार, प्रो. शैलेय को महादेवी वर्मा पुरस्कार, डॉ. ललित मोहन पंत को डॉ. पीतांबर दत्त बड़थ्वाल पुरस्कार, गणेश खुगशाल 'गणी' को भैरव दत्त धूलिया पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

भाषा मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि भाषा संस्थान का शुभारंभ करने का मुख्य उद्देश्य यही था कि प्रदेश की बोली-भाषाओं को बढ़ावा दिया जाए. साथ ही उसके उत्थान के लिए काम किया जाए. इसके साथ ही नई पीढ़ी भी बोली-भाषाओं से दूर न रहे. बल्कि अपनी संस्कृति के वाहक के साथ ही साहित्य और कविताओं के माध्यम से देश की सेवा करने का काम करे. ऐसे में पिछले दो सालों से इस दिशा में भाषा संस्थान आगे बढ़ा है. प्रदेश में तमाम बोली-भाषाओं को लेकर 'साहित्य गौरव सम्मान' की शुरुआत की गई. इस सम्मान के तहत चयनित साहित्यकारों को एक-एक लाख रुपए देकर सम्मानित किया जाता है. इस सम्मान से युवाओं को प्रेरणा मिलती है. क्योंकि साहित्य एवं कविताएं न सिर्फ समाज को दिशा देने का काम करती है. बल्कि समाज की कुरीतियों को भी उजागर करती है.

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Last Updated : Feb 21, 2024, 4:24 PM IST
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