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हरेला पर्व पर सीएम धामी ने शहीदों के नाम पर किया वृक्षारोपण, एक करोड़ का रखा लक्ष्य - Harela festival in Uttarakhand

Uttarakhand Harela Festival उत्तराखंड में हरेला पर्व से श्रावण मास और वर्षा ऋतु का आरंभ माना जाता है. हरेला पर्व आज भी देवभूमि की संस्कृति और विरासत को जीवंत रखे हुए हैं. जो पर्यावरण संरक्षण के लिए जाना जाता है.

CM Dhami participated in the program of Harela festival
सीएम धामी ने हरेला पर्व के कार्यक्रम में लिया भाग (फोटो- ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 16, 2024, 12:58 PM IST

Updated : Jul 16, 2024, 2:00 PM IST

देहरादून: हरेला पर्व के अवसर पर प्रदेश भर में पौधरोपण का कार्यक्रम किया जा रहा है. इसी क्रम में वन विभाग की ओर से 'शहीदों के नाम पौधारोपण' कार्यक्रम का आयोजन किया गया. आयोजित इस कार्यक्रम में शामिल हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी में पौधरोपण कर प्रदेश की जनता से आह्वान किया कि अपने घर या खाली पड़े भूमि पर पौधारोपण कर प्रदेश में हरियाली लाने का काम करें. जिससे ना सिर्फ पर्यावरण का संरक्षण होगा, बल्कि समृद्धि और खुशहाली भी होगी. सीएम ने कहा कि उत्तराखंड के जो पांच वीर शहीद हुए हैं, उनके याद में पांच पौधों का रोपण किया गया है.

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरेला पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हरेला पर हमारे जीवन में सुख-समृद्धि सामाजिक सद्भाव का संचार करने के साथ ही हमें प्रकृति से जोड़ने का काम करता है. हरेला पर्व पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों की जिम्मेदारियां और कर्तव्यों से रूबरू कराता है. ताकि किसी तरह से प्रकृति के साथ संबंध में बनाकर आगे बढ़ाना है. साथ ही कहा कि सनातन संस्कृति में प्राचीन काल से ही प्रकृति को मां के रूप में पूजने और संरक्षण करने की परंपरा रही है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार धरती पंच तत्वों से बना है, वैज्ञानिक आधार के अनुसार इन सभी पांच तत्वों का संबंध प्रकृति से है.

सीएम धामी ने कहा कि पहले देहरादून की स्थिति यह थी कि अगर थोड़ी सा भी तापमान में बढ़ोतरी होती थी तो उस दौरान बारिश हो जाती थी, लेकिन मौजूदा स्थिति यह है कि देहरादून का तापमान 44 डिग्री 45 डिग्री तक पहुंच रहा है. यह सभी के लिए एक चिंतन का विषय है, ऐसे में प्रकृति के संरक्षण, समन्वय और संतुलन के लिए जरूरी है कि सभी लोग पौधरोपण करें. उत्तराखंड राज्य में प्राचीन काल से ही अपने परंपराओं के माध्यम से प्रकृति के प्रति अपने प्रेम और समर्पण को लेकर प्रतिबद्धता रही है. जिसके चलते उत्तराखंड को देवभूमि और प्रकृति का प्रदेश कहा जाता है. उत्तराखंड की शुद्ध वातावरण ही प्रदेश की विशेष पहचान है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा और यमुना की गोद में बसे उत्तराखंड राज्य को प्रकृति का आशीर्वाद प्राप्त है. लेकिन वर्तमान समय में तमाम प्रश्न लोगों के सामने खड़े हो गए हैं, जिसमें बढ़ती जनसंख्या जलवायु परिवर्तन शामिल है. ऐसे में सभी का कर्तव्य बनता है कि एकजुट होकर प्रकृति के संरक्षण के लिए अपना योगदान दें. ऐसे में हरेला पर्व के अवसर पर सभी को संकल्प लेने की जरूरत है कि अपने प्राकृतिक धरोहर का संरक्षण करेंगे. उत्तराखंड सरकार ने हरेला पर्व को मानने की थीम "पर्यावरण की रखवाली, घर-घर हरियाली, लाए समृद्धि और खुशहाली" रखा है.

राज्य सरकार ने हरेला पर्व के अवसर पर प्रदेश भर में बृहद स्तर पर पौधरोपण करने का लक्ष्य रखा है. जिसके तहत हरेला पर्व के अवसर पर प्रदेश भर में 50 लाख पौधों का रोपण किया जाएगा. इसके लिए वन विभाग की तरफ से अधिकांश परिवारों को दो-दो फलदार वृक्ष भी वितरित किए हैं. सीएम ने राज्य के सभी स्कूल, कॉलेज, जनप्रतिनिधियों, निकायों, सरकारी और निजी संस्थानों से हरेला पर्व के अवसर पर अधिक से अधिक पौधों का रोपण करने को कहा है. पर्यावरण संरक्षण को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से भी पिछले 10 सालों की भीतर तमाम काम किए गए हैं. साथ ही तमाम योजनाएं भी शुरू की गई हैं.

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देहरादून: हरेला पर्व के अवसर पर प्रदेश भर में पौधरोपण का कार्यक्रम किया जा रहा है. इसी क्रम में वन विभाग की ओर से 'शहीदों के नाम पौधारोपण' कार्यक्रम का आयोजन किया गया. आयोजित इस कार्यक्रम में शामिल हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी में पौधरोपण कर प्रदेश की जनता से आह्वान किया कि अपने घर या खाली पड़े भूमि पर पौधारोपण कर प्रदेश में हरियाली लाने का काम करें. जिससे ना सिर्फ पर्यावरण का संरक्षण होगा, बल्कि समृद्धि और खुशहाली भी होगी. सीएम ने कहा कि उत्तराखंड के जो पांच वीर शहीद हुए हैं, उनके याद में पांच पौधों का रोपण किया गया है.

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरेला पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हरेला पर हमारे जीवन में सुख-समृद्धि सामाजिक सद्भाव का संचार करने के साथ ही हमें प्रकृति से जोड़ने का काम करता है. हरेला पर्व पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों की जिम्मेदारियां और कर्तव्यों से रूबरू कराता है. ताकि किसी तरह से प्रकृति के साथ संबंध में बनाकर आगे बढ़ाना है. साथ ही कहा कि सनातन संस्कृति में प्राचीन काल से ही प्रकृति को मां के रूप में पूजने और संरक्षण करने की परंपरा रही है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार धरती पंच तत्वों से बना है, वैज्ञानिक आधार के अनुसार इन सभी पांच तत्वों का संबंध प्रकृति से है.

सीएम धामी ने कहा कि पहले देहरादून की स्थिति यह थी कि अगर थोड़ी सा भी तापमान में बढ़ोतरी होती थी तो उस दौरान बारिश हो जाती थी, लेकिन मौजूदा स्थिति यह है कि देहरादून का तापमान 44 डिग्री 45 डिग्री तक पहुंच रहा है. यह सभी के लिए एक चिंतन का विषय है, ऐसे में प्रकृति के संरक्षण, समन्वय और संतुलन के लिए जरूरी है कि सभी लोग पौधरोपण करें. उत्तराखंड राज्य में प्राचीन काल से ही अपने परंपराओं के माध्यम से प्रकृति के प्रति अपने प्रेम और समर्पण को लेकर प्रतिबद्धता रही है. जिसके चलते उत्तराखंड को देवभूमि और प्रकृति का प्रदेश कहा जाता है. उत्तराखंड की शुद्ध वातावरण ही प्रदेश की विशेष पहचान है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा और यमुना की गोद में बसे उत्तराखंड राज्य को प्रकृति का आशीर्वाद प्राप्त है. लेकिन वर्तमान समय में तमाम प्रश्न लोगों के सामने खड़े हो गए हैं, जिसमें बढ़ती जनसंख्या जलवायु परिवर्तन शामिल है. ऐसे में सभी का कर्तव्य बनता है कि एकजुट होकर प्रकृति के संरक्षण के लिए अपना योगदान दें. ऐसे में हरेला पर्व के अवसर पर सभी को संकल्प लेने की जरूरत है कि अपने प्राकृतिक धरोहर का संरक्षण करेंगे. उत्तराखंड सरकार ने हरेला पर्व को मानने की थीम "पर्यावरण की रखवाली, घर-घर हरियाली, लाए समृद्धि और खुशहाली" रखा है.

राज्य सरकार ने हरेला पर्व के अवसर पर प्रदेश भर में बृहद स्तर पर पौधरोपण करने का लक्ष्य रखा है. जिसके तहत हरेला पर्व के अवसर पर प्रदेश भर में 50 लाख पौधों का रोपण किया जाएगा. इसके लिए वन विभाग की तरफ से अधिकांश परिवारों को दो-दो फलदार वृक्ष भी वितरित किए हैं. सीएम ने राज्य के सभी स्कूल, कॉलेज, जनप्रतिनिधियों, निकायों, सरकारी और निजी संस्थानों से हरेला पर्व के अवसर पर अधिक से अधिक पौधों का रोपण करने को कहा है. पर्यावरण संरक्षण को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से भी पिछले 10 सालों की भीतर तमाम काम किए गए हैं. साथ ही तमाम योजनाएं भी शुरू की गई हैं.

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Last Updated : Jul 16, 2024, 2:00 PM IST
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