पटनाः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विधान परिषद का कार्यकाल मई में समाप्त हो रहा है. इस बार विधान परिषद की 11 सीटों पर चुनाव हो रहा है, जिसमें से 6 सीट एनडीए को मिलना तय है. जदयू के चार विधान पार्षद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व मंत्री संजय झा, खालिद अनवर और रामेश्वर महतों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. जिसमें से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा खालिद अनवर को फिर से पार्टी विधान परिषद भेजने वाली है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज नामांकन दाखिल कर दिया है. साथ ही जेडीयू की ओर से खालिद अनवर ने भी पर्चा दाखिल किया.
नीतीश ने चौथी बार दाखिल किया नामांकन : बिहार विधान परिषद की 11 सीटों पर चुनाव के लिए 4 मार्च से नामंकन शुरू चुका है. 11 मार्च नॉमिनेशन का अंतिम दिन है. 14 मार्च को नामांकन वापस लेने का अंतिम दिन है. 21 मार्च को सुबह 9 बजे से वोटिंग होगी जो 4 बजे शाम तक चलेगी. 21 मार्च को ही काउंटिंग होगी और रिजल्ट की घोषणा होगी.
इन पार्षदों की खाली हो रही सीटेंः 5 मई को जिनका कार्यकाल पूरा हो रहा है, उसमें बीजेपी से तीन सीट मंगल पांडे, शाहनवाज हुसैन, संजय पासवान का है. जदयू से 4 सीट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, संजय झा, रामेश्वर महतो और खालिद अनवर का है. आरजेडी से दो सीट पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और विधान विधान परिषद के उपाध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे की है. कांग्रेस से एक सीट प्रेमचंद्र मिश्रा की और एक सीट हम पार्टी मंत्री संतोष सुमन की है.
संतोष सुमन को जीताएगी बीजेपीः विधानसभा में जदयू के 45 विधायक हैं और एक निर्दलीय का समर्थन मिल रहा है. ऐसे में चार में से केवल दो ही सीट इस बार जदयू को मिलने वाली है, यानी दो सीटों का जदयू को विधान परिषद चुनाव में नुकसान हो रहा है. बीजेपी के तीन विधान पार्षदों का कार्यकाल मंगल पांडे, शाहनवाज हुसैन और संजय पासवान का पूरा हो रहा है और बीजेपी को तीन सीट मिलना तय है. साथ ही तीन सीट के बाद जो विधायक बच जाएंगे उससे जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन को जीताने में भी बीजेपी कामयाब रहेगी.
महागठबंधन के लिए हो सकती है मुश्किलः इस तरह एनडीए को 6 सीट मिलना तय है, तो वहीं महागठबंधन को यदि कोई उलट फेर नहीं हुई तो 5 सीट मिल जाएगी. हालांकि पांचवें सीट के लिए थोड़ी मुश्किल तब बढ़ेगी जब 12वां उम्मीदवार मैदान में उतर जाए. हालांकि नीतीश कुमार का अब तक का ट्रैक रिकार्ड रहा है कि चुनाव से बचते रहे हैं, लेकिन सात बागियों ने महागठबंधन खेमे की मुश्किल फिलहाल जरूर बढ़ा रखी है.
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