पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोमवार को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग कि लगभग 100 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शुभारंभ करने वाले हैं. इसी के तहत सीएम पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से पटना के ज्ञान भवन में कार्यक्रम आयोजित कर बिहार जलवायु सम्मेलन और प्रदर्शनी के साथ पटना में बने भारत और एशिया का पहला डॉल्फिन रिसर्च सेंटर का भी उद्घाटन करेंगे.
बिहार वासियों को मिलेगी करोड़ों की सौगात: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव से पहले लगातार योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास कर रहे हैं. उसी के तहत 108 करोड़ 33 लाख रुपए की लागत से पार्क इक्को टूरिज़्म, भू जल संरक्षण एवं आधारभूत संरचना के विकास की 26 योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे. वहीं मुंगेर वानिकी महाविद्यालय का बिहार वानिकी महाविद्यालय एवं शोध संस्थान के रूप में उन्नयन एवं नामांकरण भी करेंगे.
सीएम के साथ डिप्टी सीएम भी रहेंगे मौजूद: ज्ञान भवन में जल जीवन हरियाली के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में दोनों उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिंह के साथ विभागीय मंत्री प्रेम कुमार मौजूद रहेंगे. ज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री राज्य के सभी 543 ब्लॉक कार्यालय में स्थापित वायु गुणवत्ता निगरानी सेंसर के लिए एक एकीकृत बोर्ड का भी अनावरण करेंगे.
जलवायु परिवर्तन को लेकर सीएम की रणनीति: साथ ही पूर्णिया और भागलपुर में बीएसपीसीबी के क्षेत्रीय कार्यालय का भी उद्घाटन होगा. जलवायु सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन को लेकर मुख्यमंत्री दीर्घकालिक रणनीति प्रस्तुत करेंगे. जलवायु परिवर्तन को लेकर देश के किसी भी राज्य द्वारा विकसित पहली ऐसी दीर्घकालीन रणनीति होगी. बता दें किजलवायु परिवर्तन को लेकर मुख्यमंत्री की सोच की तारीफ दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति में से एक बिल गेट्स भी कर चुके हैं और संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मुख्यमंत्री के इस अभियान की तारीफ हो चुकी है.
सीएम नीतीश का ड्रीम प्रोजेक्ट: पटना राष्ट्रीय डॉल्फिन शोध केंद्र मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है इस शोध केंद्र में डॉल्फिन के साथ जलीय जीव जंतु पर भी शोध होगा. एशिया में डॉल्फिन को लेकर अनुसंधान केंद्र होगा. ऐसे तो 2022 में ही यह बनकर तैयार हो जाना था, लेकिन इसमें कुछ विलंब हुआ है. बता दें कि देश में पाए जाने वाले डॉल्फिन का आधे से अधिक हिस्सा बिहार में पाया जाता है और डॉल्फिन के माध्यम से ही गंगा नदी के जल की गुणवत्ता को भी मापा जाता है.
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