पटना: बिहार में एनडीए की सरकार के बनने के 5 दिनों के बाद ही पुरानी समितियों को भंग करने का सिलसिला शुरू हो गया है. जिला कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति के अध्यक्ष से लेकर जिलों के प्रभारी मंत्री के मनोनयन से संबंधित मंत्रिमंडल सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश के बाद यह फैसला लिया गया है.
10 साल बाद हुआ था गठन: 2022 में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद सीएम नीतीश कुमार ने 10 साल बाद 20 सूत्री के गठन का बड़ा फैसला लिया था. नीतीश-तेजस्वी ने महागठबंधन से जुड़े पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को बड़ी सौगात दी थी. 38 जिलों के लिए 20 सूत्री जिला स्तरीय कमिटि का गठन कर दिया गया.
आरजेडी-कांग्रेस और वामदलों को झटका: इस समिति में जिला प्रभारी मंत्री को अध्यक्ष की जिम्मेवारी दी गई तो स्थानीय महागठबंधन के नेताओं को उपाध्यक्ष और सदस्य के रूप में मौका दिया गया. इनमें जेडीयू-आरजेडी और कांग्रेस के साथ-साथ वाम दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को जगह दी गई थी. वहीं अब नीतीश कुमार के महागठबंधन से निकलने और एनडीए के साथ सरकार बनाने के बाद सभी को रद्द कर दिया गया है. महागठबंधन के घटक दल आरजेडी-कांग्रेस और वामदलों को उन कार्यकर्ताओं को बड़ा झटका है, जिन्हें 20 सूत्री कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति में अहम जिम्मेदारी मिली थी.
28 जनवरी को बनी एनडीए सरकार: पिछले महीने की 28 तारीख को बिहार में सत्ता परिवर्तन हुआ है. हालांकि कमान नीतीश कुमार के हाथ में है. उन्होंने रिकॉर्ड नौवीं बार सीएम पद की शपथ ली. उनके साथ 8 मंत्रियों ने भी पद और गोपनीयता की शपथ ली है. 12 फरवरी को विधानसभा में बहुमत हासिल करने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार होगा. वहीं अब तक मंत्रियों के विभागों का बंटवारा भी नहीं हो पाया है.
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